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Sunday 27 November 2022 11:50:38 PM
पणजी। 'प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है, हर ख़ुशी से हर ग़म से, बेगाना होता है' जी हां! किशोर कुमार की दिव्य आवाज़ और राजेश खन्ना का दमदार अभिनय एकबार फिर इस सदाबहार गीत केसाथ पणजी के मैकिनेज पैलेस ऑडिटोरियम के पर्दे पर जीवंत हो उठा। दर्शकों केलिए यहएक सुनहरा क्षण था। गुजरे जमाने की अभिनेत्री और दर्शकों के दिल की धड़कन आशा पारेख, जिन्होंने इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाया और इस गाने में भी नज़र आई थीं भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड रेट्रो सेक्शन में कटी पतंग फिल्म की स्क्रीनिंग में उनका उपस्थित होना, दिल को छू लेनेवाले पलों से भरे अतीत की स्मृतियों में खो जाने जैसा था। इफ्फी का ये खंड इस वर्ष आशा पारेख को समर्पित है, जिन्हें साल 2020 का दादा साहेब फाल्के सम्मान मिला है।
आशा पारेख ने स्क्रीनिंग में भाग लेते हुए और इस महोत्सव के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहाकि बीते वर्षों में इफ्फी बहुत बड़ा हो गया है और ये निर्माताओं को अपनी फिल्मों को प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर दे रहा है। उन्होंने कहाकि मुझे अपनी फिल्म इंडस्ट्री से प्यार है, फिल्म प्रेमियों केलिए इफ्फी सबसे अच्छी जगह है, क्योंकि यहां देशभर के लोग एकसाथ आते हैं। आशा पारेख ने सम्मानित किए जाने के लिए इफ्फी, एनएफडीसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को धन्यवाद दिया। अपने फिल्मी दौरकी अनेक सुपरहिट फिल्मों की अभिनेत्री आशा पारेख को प्यार से 1960 और 70 के दशक में हिंदी सिनेमा की 'हिट गर्ल' कहा जाता था। एक बाल कलाकार से फिल्मी जीवन की शुरुआत करने वाली आशा पारेख की डेब्यू फिल्म दिल देके देखो (1959) थी, जो बड़ी हिट गई, जिसने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
आशा पारेख ने 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जो तबके शीर्ष फिल्मकारों और उस समय के प्रमुख कलाकारों के साथ थीं, जैसेकि-शक्ति सामंत, राज खोसला, नासिर हुसैन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, शम्मी कपूर, मनोज कुमार, देव आनंद आदि। आशा पारेख ने कटी पतंग (1971) फिल्म केलिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार पाया,और कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त किए, जिसमें फिल्मफेयर, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2002) भी शामिल है। आशा पारेख एक फिल्म निर्देशक, निर्माता और कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। उन्हे पद्मश्री (1992) सम्मान मिला और वे 1998-2001 के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की प्रमुख रहीं। शक्ति सामंत निर्देशित कटी पतंग फिल्म गुलशन नंदा के इसी शीर्षक वाले सबसे अधिक बिकने वाले उपन्यास पर आधारित थी।
कटी पतंग फिल्म में केंद्रीय पात्र माधवी (आशा पारेख) कमल (राजेश खन्ना) केसाथ अपनी शादी के दिन घर से दूर पतंग की तरह कटकर उड़ जाती है, लेकिन आगे उसे अपने 'प्रेमी' कैलाश (प्रेम चोपड़ा) के नापाक इरादे पता चलते हैं, जिनसे परिस्थितियां माधवी को मजबूर करती हैं, उसे एक घर में शरण लेनी पड़ती है और उस घर की बहू होने का नाटक करना पड़ता है, असली बहू पूनम (नाज़) की रेल दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, लेकिन मरने से पहले वो अपने बच्चे को माधवी के हाथों सौंप जाती है। आगे की कहानी माधवी की जिदंगी दिखाती हैकि कैसे वो एक झूंठी पहचान केसाथ जीने लगती है। संगीतकार आरडी बर्मन और सुपरस्टार राजेश खन्ना को एकसाथ लाने केलिए भी इस फिल्म को सबसे ज्यादा याद किया जाता है। फिल्म में ये शाम मस्तानी, प्यार दीवाना होता है और ये जो मोहब्बत है, जैसे सदाबहार हिट गाने सुनने को मिलते हैं।