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Tuesday 29 November 2022 12:59:28 PM
पणजी। खजुराहो के मंदिर संपूर्ण काव्य व्यक्त करते हैं, इसकी मूर्तियों में गहरे दार्शनिक अर्थ समाहित हैं, खजुराहो के मंदिरों में 33 करोड़ हिंदू देवी-देवता और भगवान मौजूद हैं। भारत के समृद्ध प्राचीन दर्शन से युवा पीढ़ी को शिक्षित और जागरुक करने केलिए निर्देशक जोड़ी डॉ दीपिका कोठारी और रामजी ओम ने इसपर 60 मिनट की हिंदी डॉक्यूमेंट्री 'खजुराहो आनंद और मुक्ति' फिल्म बनाई है। खजुराहो परिसर में 25 मंदिरों के अवशेष तो हजारों वर्ष पुराने हैं, जो यहां की हजारों वर्ष पुरानी कला और संस्कृति के अकाट्य और सर्वाधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। खजुराहो मंदिर प्राचीन भारत के बारेमें उस युग के किसीभी अन्य खंडहरों की तुलना में कहीं अधिक गहरी बातें बताते हैं, यहसब उत्तर भारत में सदियों पहले के अद्भुत निर्माणों के अवशेष हैं। खजुराहो के खंडहर उस समय के व्यापार, संस्कृति और सामाजिक जीवन पर बोलते हैं।
प्राचीनकाल में खजुराहो के मंदिरों पर कला के रूपमें मंदिर की दीवारों पर मूर्तियों में एक पूरा काव्य अंकित किया गया था, ये शानदार मूर्तियां हमें प्राचीन भारतीय दर्शन के बारेमें बताती हैं और सीखने केलिए एक खुली किताब हैं। निर्देशक जोड़ी डॉ दीपिका कोठारी और रामजी ओम ने 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आईएफएफआई टेबल वार्ता सत्र को संबोधित करते हुए कहाकि फिल्म निर्माताओं का उद्देश्य दर्शकों को यह दिखाना थाकि खजुराहो के मंदिरों में क्या-क्या है। रामजी ओम ने कहाकि खजुराहो मंदिर में उन्हें वैदिक देवताओं की अभिव्यक्तियां मिलीं, सभी 33 करोड़ हिंदू देवी-देवता और भगवान मंदिर की दीवारों पर खुदी हुई मूर्तियों में मौजूद हैं, जो भारतीय कला का एक विश्वकोष है। उन्होंने बतायाकि इस वृत्तचित्र में खजुराहो मंदिर परिसर में वैकुंठ विष्णु मंदिर का पता लगाया गया है, कश्मीर और उसके आसपास के क्षेत्रों में वैकुंठ परंपरा अधिक प्रचलित थी, वैकुंठ सिद्धांत से संबंधित विभिन्न दार्शनिक विचारों को मंदिर की दीवारों पर अंकित पाया गया है।
खजुराहो आनंद और मुक्ति फिल्म के निर्माता रामजी ओम ने बतायाकि मूर्तियां कृष्ण मिश्रा के संस्कृत नाटक 'प्रबोधचंद्रदाय' से प्रेरित हैं, इतना ही नहीं मंदिर की दीवारों पर सांख्य दर्शन प्रकट होता पाया गया है। उन्होंने कहाकि बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा थाकि 'तांत्रिक झंडा नहीं, बल्कि सांख्य का ध्वज खजुराहो के मंदिरों के ऊपर ऊंचा फहराता है। खजुराहो का लक्ष्मण मंदिर, जिसे वैकुंठ विष्णु का निवास माना जाता है, फिल्म में अपने सर्वोच्च उत्कृष्ट कलारूपों में इन पहलुओं को उजागर करता है। डॉ दीपिका कोठारी ने कहाकि खजुराहो के मंदिर कामुक मूर्तियों केलिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन कामुक नक्काशी के पीछे दार्शनिक रहस्य छिपे हुए हैं। उन्होंने कहाकि यह केवल 10 प्रतिशत है, जो खुदा हुआ है और एक गहरा दर्शन बताता है। वृत्तचित्र में खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर में योग और सांख्य के रहस्यों का अनावरण किया गया है। डॉ देवांगना देसाई ने वृत्तचित्र के माध्यम से समझायाकि सभी कामुक और गैर-कामुक कल्पना वैदिक और पौराणिक हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
खजुराहो आनंद और मुक्ति फिल्म का निर्माण भारतीय सभ्यता की 24 कड़ी की श्रृंखला के अंतर्गत किया गया है, जिसे हाल हीमें जारी किया गया है। डॉ दीपिका कोठारी ने कहाकि वर्तमान पीढ़ी हमारे प्राचीन मंदिरों के बारेमें बहुत अनपढ़ हो गई है, इसलिए उन्होंने विशेष रूपसे देशके समृद्ध प्राचीन दर्शन के बारेमें युवा पीढ़ी को शिक्षित करने केलिए यह फिल्म बनाई है, जो मंदिर के खंडहरों में दिखाई देती है। गौरतलब हैकि खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में प्राचीनकाल में कभी एक गांव हुआ करता था, जो प्राचीन एवं मध्यकालीन दिव्य मंदिरों केलिए विश्वविख्यात शहर बन चुका है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। चंदेल राजाओं द्वारा 950-1050 सीई के बीच निर्मित खजुराहो मंदिर भारतीय कला के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों में से एक हैं। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिंदू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों केलिए विश्वप्रसिद्ध है।
खजुराहो अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है, जहां देशके सर्वोत्कृष्ट मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनियाभर के पर्यटक और मंदिर कलाप्रेमी इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने केलिए निरंतर खजुराहो आते रहते हैं। महान शिल्पियों ने मध्यकाल में यहांके पत्थरों पर हिंदू कला और संस्कृति को उत्कीर्ण किया था, जिनमें विभिन्न काम क्रीड़ाओं को बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। खजुराहो का मंदिर एक सभ्य संदर्भ, जीवंत सांस्कृतिक संपत्ति और एक हजार आवाज़ें जो सेरेब्रम से अलग हो रही हैं, समय और स्थान के अंतिम बिंदु की तरह हैं, जो मानव संरचनाओं और संवेदनाओं को संयुक्त करती हुई सामाजिक संरचनाओं की भरपाई करती हैं, जोकि हमारे पास हैं। खजुराहो मिट्टी से पैदा हुआ एक कैनवास है, जो अपने शुद्धतम रूपमें जीवन का चित्रण करने और जश्न मनाने वाले लकड़ी के ब्लॉकों पर फैला हुआ है। इन हिंदू और जैन मंदिरों के सेटों को आकार लेने में लगभग सौ साल लगे। मूल रूपसे 85 मंदिरों का इस संग्रह की संख्या 25 तक आ गई है।
खजुराहो यूनेस्को विश्व विरासत स्थल सूची में है। खजुराहो मंदिर परिसर तीन क्षेत्रों में विभाजित है-पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं, जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं। पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेल शासनकाल में फलते-फूलते जैन धर्म केलिए बनाए गए थे। पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से आठ मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को और एक गणेश और सूर्य को, जबकि तीन मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। कंदरिया महादेव मंदिर सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है। माना जाता हैकि खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है, जो अपने खजुराहो की सबसे पुरानी ज्ञात शक्ति वत्स हुआ करती थी। उनके उत्तराधिकारियों में मौर्य, सुंग, कुषाण, पद्मावती के नागा, वाकाटक वंश, गुप्त, पुष्यभूति राजवंश और गुर्जर-प्रतिहार राजवंश शामिल थे।