स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 30 November 2022 01:08:16 PM
कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के 18वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि विश्वभर में तेजीसे बदलाव हो रहे हैं, तकनीकी क्रांति के कारण नौकरियों के स्वरूप केसाथ-साथ लोगों की मूलभूत आवश्यकताएं बदल रही हैं, इन बदलावों ने इंजीनियरिंग की मौजूदा पद्धतियों कोभी चुनौती प्रदान की हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि तकनीकी बदलाव के कारण होरहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए यह बहुतही आवश्यक हो चुका हैकि एनआईटी कुरुक्षेत्र सहित हमारे तकनीकी संस्थान भविष्य केलिए तैयार रहें। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि एनआईटी कुरुक्षेत्र आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा साइंस, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन एवं इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने की दिशामें बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि एनआईटी कुरुक्षेत्र ने एक अत्याधुनिक 'सीमेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' की स्थापना की है, जिसमें स्मार्ट विनिर्माण, ऑटोमेशन डिजाइन और ई-मोबिलिटी पर विशेष बल दिया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि यह गर्व कीबात हैकि एनआईटी कुरुक्षेत्र इस प्रकार के केंद्र की स्थापना करने वाला उत्तर भारत का पहला और देश का दूसरा एनआईटी है। उन्होंने कहाकि इस केंद्र की स्थापना से उद्योग, शैक्षणिक क्षेत्र, डीआरडीओ और भेल जैसे अनुसंधान एवं विकास संगठनों केसाथ सहयोग बढ़ा है। राष्ट्रपति ने कहाकि हरियाणा और पंजाब का क्षेत्र देशके कृषि विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इस क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए हरित क्रांति को यथार्थ बनाया है और देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की है, लेकिन आज इस क्षेत्रमें बढ़ते वायु और भूमि प्रदूषण की समस्या और घटता हुआ भूजल स्तर एक बहुत बड़ी समस्या के रूपमें उभरकर सामने आया है। उन्होंने कहाकि यह एनआईटी कुरुक्षेत्र की जिम्मेदारी हैकि वह इन समस्याओं का प्रौद्योगिकी समाधान खोजें। उन्होंने कहाकि महामारी केदौरान यह साबित हो चुका हैकि देश का आम नागरिक प्रौद्योगिकी के अनुकूल है। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी समाज की भलाई केलिए है तो उसे आम लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है, जिसका एक उदाहरण डिजिटल भुगतान की सफलता है।
राष्ट्रपति ने कहाकि प्रौद्योगिकी न केवल विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक गौण उत्पाद है, बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ भी है। उन्होंने कहाकि हम सभी देशवासियों को 'सामाजिक न्याय केलिए प्रौद्योगिकी' वाले विचारों केसाथ बढ़ना होगा और हमें कोशिश करनी चाहिएकि वंचित वर्ग इसमें पीछे न रह जाएं। उन्होंने कहाकि भेदभावहीन समाज का निर्माण करने केलिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए। शिक्षा की सफलता को वेतन पैकेज वाले मापदंड बनाने की प्रवृत्ति की तरफ इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि ज्यादा वेतन पैकेज मिलना अच्छी बात है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैकि जिन छात्रों को अच्छा वेतन पैकेज नहीं प्राप्त होता है, वह कम योग्य है। उन्होंने छात्रों को सलाह दीकि वे कभीभी अपनी सफलता का आकलन वेतन पैकेज के आधार पर न करें, उन्हें सफलता की पारंपरिक धारणाओं और सामाजिक दबावों तक सीमित नहीं होना चाहिए, उन्हें निर्धारित करना चाहिएकि वे अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं। राष्ट्रपति ने छात्रों से एक ऐसा करियर चुनने का आग्रह किया, जो उन्हें संतुष्टि और जीवन का सही उद्देश्य प्रदान करे।
राष्ट्रपति ने माता-पिता से भी अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ बनने केलिए प्रेरित करने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से कहाकि सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करें, उपलब्धियां अपने आप प्राप्त हो जाएंगी। राष्ट्रपति ने कहाकि एनआईटी कुरुक्षेत्र की स्थापना 1963 में हुई थी और यह देशके पहले एनआईटी में से एक है। उन्होंने कहाकि संस्थान ने इस क्षेत्रमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार करने में बहुतही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, पिछले छह दशक में संस्थान ने देश और विदेश में उच्चशिक्षा के तकनीकी संस्थानों केबीच अपनी एक पहचान बनाई है। उन्होंने कहाकि इस संस्थान के 40,000 से ज्यादा छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है और पूरे विश्वमें भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने मेभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहाकि एनआईटी कुरुक्षेत्र के छात्रों ने सिंगापुर से लेकर सिलिकॉन वैली तक, नागरिक समाज से लेकर प्रशासनिक सेवाओं तक सभी क्षेत्रों में अपने लिए एक उल्लेखनीय जगह बनाई है।