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Friday 9 December 2022 05:26:11 PM
मसूरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में 97वें फाउंडेशन पाठ्यक्रम के विदाई समारोह में प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा हैकि इस समय जब वे उन सभी को संबोधित कर रही हैं तो सरदार वल्लभभाई पटेल के शब्द उन्हें याद आ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि अप्रैल 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा थाकि प्रत्येक जनसेवक चाहे वह किसीभी दायित्व का निर्वहन कर रहा हो, हमें उससे सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिए और यह उम्मीद रखना हमारा अधिकार है। उन्होंने कहाकि आज जनता जागरुक है और सुशासन समय की मांग है, सुशासन का अभाव हमारी तमाम सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ होता है, लोगों की समस्याएं समझने केलिए जरूरी हैकि आम लोगों से जुड़ा जाए। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को सलाह दीकि लोगों से संपर्क करते समय वे विनम्र बनें, तभी वे लोगों केसाथ बात करने, उनकी जरूरतों को समझने और उनकी बेहतरी केलिए काम करने में सफल हो पाएंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गौर कियाकि फाउंडेशन पाठ्यक्रम का मूलमंत्र 'हम, न कि मैं' है। उन्होंने भरोसा जतायाकि ये प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना केसाथ देश को आगे लेजाने की जिम्मेदारी उठाएंगे। उन्होंने कहाकि उनमें से कई अगले 10-15 वर्ष केलिए देश के एक बड़े भू-भाग में प्रशासनिक कामकाज करेंगे तथा जनमानस से उनका सीधा संपर्क होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि वे अपने सपने के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं। एलबीएसएनएए अकादमी के ध्येय वाक्य शीलं परम् भूषणम् का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि एलबीएसएनएए में प्रशिक्षण पद्धति कर्मयोग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें शील को अत्यंत महत्व दिया जाता है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को परामर्श दियाकि वे समाज के वंचित वर्ग केप्रति संवेदनशील बनें। उन्होंने कहाकि गोपनीयता, क्षमता और अनुशासित आचरण सिविल अधिकारियों के आभूषण हैं, यही गुण उनको उनके पूरे सेवाकाल में आत्मबल देंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रशिक्षु अधिकारियों ने प्रशिक्षण के दौरान जिन मूल्यों को सीखा है, उन्हें सिर्फ सैद्धांतिक दायरे तकही सीमित न रखें। उन्होंने कहाकि देशवासियों केलिए काम करते समय अधिकारियों को अनेक चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, उन परिस्थितियों में उन सबको इन्हीं मूल्यों का पालन करते हुए पूरे आत्मविश्वास से काम करना पड़ेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत को प्रगति और विकास के मार्ग पर बढ़ाते हुए उन्हें देशवासियों के उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करना होगा, क्योंकि यही उनका संवैधानिक कर्तव्य भी है और नैतिक दायित्व भी। राष्ट्रपति ने कहाकि समाज के लाभ केलिए किया जानेवाला कोईभी काम तभी अच्छे से पूरा होगा, जब सभी हितधारकों को साथ लेकर चला जाएगा, जब अधिकारी समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों को ध्यान में रखकर निर्णय करेंगे तो वे अपना लक्ष्य प्राप्त करने में निश्चित ही सफल होंगे। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहाकि उन्हें बताया गया हैकि आप लोगों ने अपने प्रशिक्षण के दौरान आजादी से अंत्योदय तक अभियान केतहत देश के 75 गांव में समय बिताया, साथही आपने उन गांवों में अमृत सरोवरों का निर्माण भी किया, ये सभी गांव ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हैं, जिन्होंने किसी नाम और ख्याति की इच्छा किए बिना, देश की आज़ादी केलिए लड़ाई लड़ी। राष्ट्रपति ने कहाकि आपको इन महान आत्माओं से प्रेरणा लेते हुए एक आम आदमी बनकर देशकी सेवा करनी है, आपने गांवों में प्रवास के दौरान सरकारी योजनाओं के क्रियांवयन की प्रक्रिया को नजदीक से देखा, वहां के लोगों की बुनियादी जरूरतों, समस्याओं और आशाओं-आकांक्षाओं को जानने-समझने का मौका भी आप सबको मिला।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि आप इस व्यापक अनुभव को केवल प्रशिक्षण तकही सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व आप सदैव निभाएंगे। उन्होंने कहाकि उन्हें यह देखकर हार्दिक प्रसन्नता हैकि प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियां हैं। उन्होंने कहाकि हमारे देशके सर्वांगीण विकास केलिए महिलाओं और पुरुषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण है, इसलिए विशेषकर बेटियों से अपील करूंगीकि आप अपनी सेवा के दौरान जहां भी रहें लड़कियों को आगे बढ़ने केलिए प्रोत्साहित करते रहें, जब हमारी बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में आगे आएंगी तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रपति ने कहाकि विश्व इन समस्याओं से जूझ रहा है, इनका समाधान करने केलिए कारगर कदम उठाने की अत्यावश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों का आह्वान कियाकि हमारे भविष्य को सुरक्षित करने केलिए उन्हें पर्यावरण सुरक्षा के सम्बंध में भारत सरकार के प्रयासों को पूरी तरह क्रियांवित करना है। राष्ट्रपति ने कहाकि उल्लेखनीय हैकि अकादमी में आज वॉक वे ऑफ सर्विस का उद्घाटन हुआ, जिसमें प्रशिक्षु अधिकारियों के निर्धारित राष्ट्र निर्माण लक्ष्यों को टाइम-कैपस्यूल में रखा जाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसका उल्लेख करते हुए प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह कियाकि वे अपने निर्धारित लक्ष्यों को हमेशा याद रखें तथा उन्हें पूरा करने केलिए समर्पित रहें। उन्होंने कहाकि जब वे वर्ष 2047 में बीते समय को देखेंगे तो उन्हें यह देखकर संतोष और गर्व होगाकि उन्होंने अपने लक्ष्य को पा लिया है। राष्ट्रपति ने एलबीएसएनएए के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों की उनके समर्पण तथा परिश्रम केलिए सराहना कीकि किस तरह वे देश की प्रतिभाओं को योग्य जनसेवक के रूपमें ढालते हैं। राष्ट्रपति ने भरोसा जतायाकि आज जिन सुविधाओं का उद्घाटन हुआ है जैसे-नया हॉस्टल ब्लॉक और मेस, एरीना पोलो फील्ड ये सुविधाएं प्रशिक्षु अधिकारियों केलिए लाभप्रद होंगी। उन्होंने कहाकि पर्वतमाला हिमालय एंड नॉर्थ ईस्ट आउटडोर लर्निंग एरीना, जिसका निर्माण आज शुरू हो गया है, वह हिमालय तथा भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विषय में जनसेवकों और प्रशिक्षुओं केलिए ज्ञानस्तंभ के रूपमें काम करेगा।