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Thursday 15 December 2022 05:13:02 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा हैकि नरेंद्र मोदी सरकार के ठोस प्रयासों से इन आठ वर्ष में एमबीबीएस सीटों में 87 प्रतिशत और पीजी सीटों में 105 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। मीडिया को जानकारी देते हुए डॉ मनसुख मांडविया ने देशमें चिकित्सीय शिक्षा के क्षेत्रमें आमूलचूल परिवर्तन लाने की दिशामें सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहाकि 2014 केबाद से देशमें चिकित्सीय कार्यबल की प्रतिभा और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डॉ मनसुख मांडविया ने उम्मीद जताईकि इस गति और हितधारकों केबीच समन्वय केसाथ हम देशमें चिकित्सीय शिक्षा का एक समग्र इकोसिस्टम बनाने में सक्षम होंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि मोदी सरकार ने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और किफायती चिकित्सीय शिक्षा प्रदान करने केलिए प्रशिक्षण और पहुंच में सुधार केलिए ठोस प्रयास किए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव की जानकारी देते हुए कहाकि भारत में 2014 में सीमित संख्या में 387 मेडिकल कॉलेज थे, सिस्टम बहुत अधिक समस्याओं से भरा हुआ था। स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि मोदी सरकार केतहत जानकारी आधारित से परिणाम आधारित दृष्टिकोण और सुधारों की तरफ एक प्रतिमान बदलाव है, नतीजतन 2022 में 648 मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें 2014 से अकेले सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 96 प्रतिशत और निजी क्षेत्रमें 42 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है, वर्तमान में देश के 648 मेडिकल कॉलेजों में से 355 सरकारी और 293 निजी हैं। उन्होंने दोहरायाकि एमबीबीएस सीटें 51,348 से बढ़कर 2022 में 96,077 हो गई हैं, इसी तरह पीजी सीटें 31,185 सीटों से बढ़कर 2022 में 63,842 हो गई हैं। उन्होंने कहाकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 10,000 सीटें करने की दृष्टि से 16 राज्यों के 58 कॉलेजों को एमबीबीएस की 3,877 सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई है, इसी प्रकार 21 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को 72 मेडिकल कॉलेजों में पहले चरण में पीजी की 4,058 सीटें बढ़ाने की मंजूरी दी गई है, जीएमसी में पीजी की 4,000 सीटें सृजित करने केलिए दूसरे चरण में कुल 47 कॉलेजों में पीजी की 2,975 सीटों की वृद्धि को मंजूरी दी गई है।
डॉ मनसुख मांडविया ने कहाकि सस्ती और विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना और मौजूदा सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों की स्थापना करके चरणबद्ध तरीके से आधुनिकीकरण करना है, योजना के तहत 22 नए एम्स और 75 सरकारी मेडिकल कॉलेजों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। डॉ मनसुख मांडविया ने कहाकि निष्पक्ष परीक्षा और चयन प्रक्रिया केलिए 2016 में एक सामान्य प्रवेश परीक्षा-'एक देश, एक परीक्षा, एक योग्यता' प्रणाली और एक सामान्य काउंसलिंग प्रणाली केसाथ राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) शुरू की गई थी, यह किसी भी छात्र को योग्यता के आधार पर देशके किसी भी मेडिकल कॉलेज में अध्ययन करने की इजाजत देती है। डॉ मनसुख मांडविया ने बतायाकि भारतीय चिकित्सा परिषद के अत्यधिक भ्रष्ट निकाय को बदलने केलिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग भी बनाया गया था, एनएमसी चिकित्सा शिक्षा को नियंत्रित करने वाली नियामक व्यवस्था का आधुनिकीकरण करेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि मौजूदा सभी नियमों को सुव्यवस्थित करने के अलावा एक सामान्य निकास परीक्षा नैक्स्ट का आयोजन, शुल्क संबंधी दिशा-निर्देशों का निर्धारण, सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं केलिए मानक निर्धारित करना और मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग की जा रही है। उन्होंने कहाकि एनएमसी कानून से पहले निजी कॉलेजों में ली जानेवाली फीस को नियंत्रित करने केलिए कोई कानूनी तंत्र नहीं था, अब सरकारी, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित सभी कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों केलिए शुल्क के संबंध में दिशा-निर्देश एनएमसी से जारी किए जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि नर्सिंग एजुकेशन, डेंटल एजुकेशन और एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशन के क्षेत्रों मेभी सुधार जारी हैं, एक नया नेशनल एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन कानून 2021 भी बनाया गया है, इसी तरह एनएमसी की तर्ज पर डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और इंडियन नर्सिंग काउंसिल में नए कानून के जरिए सुधार किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि कोविड के दौरान हमने देखा हैकि हमारे मेडिकल वर्कफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन कई चुनौतियों काभी सामना किया जैसे कक्षा शिक्षा तक पहुंच आदि, इस संबंध में कई कदम उठाए गए, दीक्षा प्लेटफॉर्म उनमें से एक है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि यह राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा केलिए गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री प्रदान करने केलिए देश का डिजिटल बुनियादी ढांचा है। उन्होंने कहाकि एक कक्षा के माध्यम से कक्षा 1-12 केलिए टेलीविजन व्याख्यान, स्वयं प्रभा पहल चैनल की काफी सराहना की गई। उन्होंने बतायाकि रेडियो, सामुदायिक रेडियो और सीबीएसई पॉडकास्ट जैसी अन्य पहल-शिक्षा वाणी, दृष्टिबाधित और श्रवणबाधित लोगों केलिए विशेष ई-सामग्री विकसित की गई, डिजिटली एक्सेसिबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (डेज़ी) पर और एनआईओएस वेबसाइट/ यूट्यूब पर सांकेतिक भाषा में और मनोदर्पण की पहल कोविड महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई केलिए छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने केलिए की गई थी। भारत सरकार की कुछ प्रमुख पहलों को सूचीबद्ध करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि स्वच्छता अभियान के माध्यम सेही स्कूलों में 4.5 लाख शौचालय बनाए गए और देशमें विशेष रूपसे छात्राओं के ड्रॉपआउट दर में 17 प्रतिशत से 13 प्रतिशत तक की कमी आई है।