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कश्मीर को देश से जोड़ेगी एस्केप टनल

भारतीय रेलवे की शुरू की गई एक राष्ट्रीय परियोजना

आपात स्थिति में बचाव और बहाली कार्य सुगम होंगे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 16 December 2022 02:03:35 PM

escape tunnel will connect kashmir with the country

जम्मू। उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक परियोजना हिमालय के माध्यम से ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के निर्माण केलिए भारतीय रेलवे की शुरू की गई एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य कश्मीर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ना है। यूएसबीआरएल परियोजना के कटरा-बनिहाल खंड पर सुंबर और खारी स्टेशनों केबीच एस्केप टनल टी-49 को जोड़कर बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। एस्केप टनल की लंबाई 12.895 किलोमीटर है, यह भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल है और इसको जोड़ने के दौरान टनल की लाइन और लेवल को सटीक रूपसे हासिल किया जाता है। यह उपलब्धि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी यूएसबीआरएल एसपी माही की उपस्थिति में उनके अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम के बल पर हासिल की गई है।
एस्केप टनल हॉर्सशू के आकार की एक उन्नत सुरंग है, जो खोड़ा गांव में उत्तर की ओर खोड़ा नाला पर पुल संख्या 04 को पार करने केबाद दक्षिण की ओर सुंबर स्टेशन यार्ड और सुरंग टी-50 को जोड़ती है। सुम्बरिस में दक्षिण छोर की ऊंचाई लगभग 1400.5 मीटर और उत्तरी छोर पर 1558.84 मीटर है। टनल के अंदर रूलिंग ग्रेडिएंट 80 में 1 है। बोरिंग साउथ पोर्टल, नॉर्थ पोर्टल और तीन मार्गों यानी उरनिहाल (323 मीटर), हिंगनीअदित (280 मीटर) और कुंदन अदित (739 मीटर) के माध्यम से विभिन्न चेहरों से की गई थी। टनल टी-49 एक ट्विन ट्यूब टनल है, जिसमें मेन टनल (12.75 किलोमीटर) और एस्केप टनल (12.895 किलोमीटर) शामिल हैं, जो हर क्रॉस पैसेज पर 33 क्रॉस-पासेज से जुड़ी हैं। मुख्य सुरंग खनन पहले ही पूरा हो चुका है और अंतिम चरण का काम तीव्रगति से चल रहा है। सुरंग का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया गया है, जिसमें आपात स्थिति में बचाव और बहाली कार्यों को सुगम बनाने केलिए एस्केप टनल का प्रावधान किया गया है।
एस्केप टनल हिमालय के रामबन से होकर गुजरती है और खोड़ा, हिंगनी, कुंदन नाला आदि जैसे चिनाब नदी के विभिन्न डिस्ट्रीब्यूटरीज/ नालों को एलाइनमेंट केसाथ पार करती है, जिससे खनन अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है। निर्माण के दौरान शियरजोन, पर्च्ड एक्विफर और अत्यधिक संयुक्त चट्टान द्रव्यमान, अत्यधिक निचोड़ने की चट्टान की समस्या और पानी की भारी अंतर्ग्रहण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उत्तरी छोर पर सुरंग एलाइनमेंट कार्बनसियस फिलाइट के बहुत कमजोर शियरजोन से होकर गुजरता है। सुरंग खनन बहुत चुनौतीपूर्ण था और सुरंग खोदने के दौरान कई आश्चर्य देखने को मिले। कुंदन और सीरन केबीच कई स्थानों पर सुरंग खोदने के दौरान अत्यधिक विकृतियां देखने को मिलीं, लेकिन इनसे सफलतापूर्वक पेशेवर तरीके से निपटा गया। सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से किया गया है, जो ड्रिल और ब्लास्ट प्रक्रियाओं की एक आधुनिक तकनीक है, यद्यपि सुरंग का बोरिंग कार्य दोनों दिशाओं से मिलाने के बिंदुतक शुरू किया गया था, एक बिंदु पर दोनों सिरे सटीकता से मिलते हैं, यह सावधानीपूर्वक योजना और टनलिंग कार्य के सटीक निष्पादन का परिणाम है।
सुरंग की लाइन और लेवल ब्रेक-थ्रू केबाद दोनों भागों में पूरी तरह से मेल खाते हैं। रेलवे के अनुभवी इंजीनियरों की टीम ने सफलतापूर्वक चुनौतियों का सामना किया। सुरंग की निर्माण गतिविधियों के दौरान आस-पास के गांवों के 75 प्रतिशत से अधिक श्रमिक विभिन्न निर्माण गतिविधियों में लगे हुए थे, जिससे क्षेत्र के समग्र सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आया। गौरतलब हैकि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के खारी तहसील क्षेत्र में सुंबर से सीरन गांव तक टी-49 सुरंग देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है। परियोजना में तीन और सुरंगें हैं, जिनकी लंबाई सुरंग टी-49 के करीब है और ये हैं-गांव धरम-सुंबर स्टेशन केबीच टनल टी48 10.20 किलोमीटर जिसमें पहले सेही सफलता हासिल करली गई है। संगलधन-बसिंधदार स्टेशनों केबीच 11.25 किलोमीटर की टनल टी15 और बनिहाल-काजीगुंड स्टेशनों केबीच 11.2 किलोमीटर पीरपंजाल सुरंग। 

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