स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 13 February 2023 04:46:33 PM
लखनऊ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज लखनऊ में बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और कहाकि यह उनके लिए हर्ष का विषय हैकि आज उन्हें डॉ भीमराव आंबेडकर के नामपर स्थापित बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने डिग्री, पुरस्कार और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उल्लेख कियाकि बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन में जितना संघर्ष था, उतनी ही उनकी उपलब्धियां भी थीं, बचपन सेही मेधावी छात्र रहे डॉ भीमराव आंबेडकर ने अनेक चुनौतियों और बाधाओं का सामना करते हुए देश-विदेश में श्रेष्ठ शिक्षा हासिल की, एक प्रसिद्ध विद्वान, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुशल वकील होने केसाथ वे स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री भी हुए, अपनी दूरदर्शिता से उन्होंने अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों का इस्तेमाल समाजकल्याण हेतु व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं को सुधारने केलिए किया, उनका जीवन मूल्यों और सिद्धांतों पर आधारित था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छात्र-छात्राओं से कहाकि बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के आदर्श और मूल्यों से प्रेरणा लेकर आपसब भी कठिन से कठिन लक्ष्य को साध सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि बाबासाहेब मानते थेकि ग़रीब और जरूरतमंद लोगों को शिक्षा प्रदान करना विश्वविद्यालयों का बुनियादी कर्तव्य है, उनका कहना थाकि शैक्षिक संस्थानों को बिना किसी भेदभाव के सबको बेहतर शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करके अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के शिक्षार्थियों की उन्नति केलिए सराहनीय काम कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यह विश्वविद्यालय देश और प्रदेश में बाबासाहेब के आदर्शों के अनुरूप शिक्षा का प्रसार करता रहेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि दीक्षांत समारोह शिक्षार्थियों केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर होता है, आज केदिन उन्हें अपने अनेक वर्ष के कठिन परिश्रम का फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहाकि इस अवसर पर वे शिक्षार्थियों को यह सलाह देंगीकि वे अपने जीवन में जोभी बनना चाहते हैं, उसके लिए वे आज से काम शुरू करदें तथा अपने लक्ष्य को हमेशा अपने ध्यान में रखें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इच्छा व्यक्त कीकि कुछ शिक्षार्थियों को शिक्षक या प्रोफेसर बनना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बातपर जोर देती हैकि शिक्षक को शिक्षा व्यवस्था में मूलभूत सुधारों के केंद्र में होना चाहिए, इसलिए शिक्षकों और टीचिंग प्रोफेशन को पूरा सम्मान मिलना चाहिए और हमारे होनहार छात्र-छात्राओं को टीचिंग को एक व्यवसाय के रूपमें अपनाकर देश के भविष्य को सुंदर बनाने में बहुमूल्य योगदान देना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें पूरा भरोसा हैकि आज यहां जो शिक्षार्थी एकत्र हुए हैं, वे शिक्षा व ज्ञान के बलपर अपने जीवन में खूब प्रगति करेंगे, लेकिन इसके साथही उन्हें हमारे मूल्यों और संस्कृति सेभी जुड़ा रहना होगा, तभी वे एक सार्थक और संतोषी जीवन जी पाएंगे। राष्ट्रपति ने शिक्षार्थियों को सलाह दीकि वे हमेशा उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करते रहें, जबभी संकट की घड़ी आए तो समाधान खोजने पर विचार करें और उसे अवसर की तरह समझें, इससे उनके व्यक्तित्व का विकास होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि आज भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इकोप्रणाली मौजूद है, सभी शैक्षिक संस्थानों विशेषकर विश्वविद्यालयों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों को इस इकोप्रणाली का पूरा लाभ उठाना चाहिए तथा अनुसंधान एवं नवाचार केलिए अपने शिक्षार्थियों को प्रेरित करना चाहिए, उनके प्रयास नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रमें भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान साबित होंगे।
राष्ट्रपति ने कहाकि आज इस विश्वविद्यालय में बिरसा मुंडा छात्र गतिविधि केंद्र का उद्घाटन करके उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई है और भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी युवाओं केलिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनुसंधान और नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहाकि कौशल आधारित शिक्षा, लचीले पाठ्यक्रम और बहुविषयक दृष्टिकोण पर बल देते हुए भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाना ही इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य है और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय को इस शिक्षा नीति को लागू करने में तत्परता दिखाने केलिए मैं बधाई देती हूं। निवेश और व्यापार केलिए यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 के सहायक वातावरण को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने इसके साथ शिक्षा को जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि हमारे विश्वविद्यालयों को खुदको ऐसे केंद्रों के रूपमें विकसित करना चाहिए, जहां जनकल्याण केलिए नए शोध किए जाएं, जो चौथी औद्योगिक क्रांति का केंद्र बनें और जो स्टार्ट-अप के पनपने का केंद्र बन सकें। उन्होंने कहाकि अगर हमारे शिक्षण संस्थान नई क्रांति और सामाजिक समृद्धि एवं समानता के संदेशवाहक बन जाएं तो यहभी बहुत उत्साहवर्धक होगा।