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Wednesday 22 February 2023 01:44:43 PM
बाड़मेर (राजस्थान)। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा हैकि बाड़मेर रिफाइनरी रेगिस्तान का नगीना साबित होगी, जो राजस्थान के लोगों केलिए रोज़गार, अवसर और खुशी लाएगी। हरदीप सिंह पुरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड परिसर में यह बात कही। उन्होंने कहाकि परियोजना की परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया दृष्टिकोण के अनुसार की गई है। उन्होंने बतायाकि राजस्थान के बाड़मेर में ग्रीनफील्ड रिफाइनरी सह पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और राजस्थान सरकार की एक संयुक्त उद्यम कंपनी एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड कर रही है, जिसमें क्रमशः 74 प्रतिशत और 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। उन्होंने बतायाकि परियोजना की परिकल्पना 2008 में की गई थी और शुरुआत में इसे 2013 में मंजूरी दी गई थी, 2018 में इसे फिरसे आकार दिया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की गई थी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने कहाकि कोविड महामारी के 2 वर्ष के दौरान सामने आई बाधाओं के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बतायाकि एचआरआरएल रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स 9 एमएमटीपीए कच्चे तेल को संसाधित करेगा और 2.4 मिलियन टन से अधिक पेट्रोकेमिकल का उत्पादन करेगा, जो पेट्रोकेमिकल के कारण आयात बिल को कम करेगा। उन्होंने कहाकि यह परियोजना न केवल पश्चिमी राजस्थान केलिए औद्योगिक केंद्र केलिए एक प्रमुख उद्योग के रूपमें कार्य करेगी, बल्कि 2030 तक 450 एमएमटीपीए शोधन क्षमता हासिल करने के अपने दृष्टिकोण केलिए भारत को आगे बढ़ाएगी। हरदीप पुरी ने कहाकि यह परियोजना पेट्रोकेमिकल्स के आयात प्रतिस्थापन के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी और वर्तमान आयात 95000 करोड़ रुपये का है, यह पोस्ट कमीशन आयात बिल को 26000 करोड़ रुपये तक कम कर देगा। रोज़गार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में परियोजना के सामाजिक एवं आर्थिक लाभों को रेखांकित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहाकि इस परियोजना ने परिसर में और उसके आसपास लगभग 35,000 श्रमिकों को काम पर लगाया है, लगभग 1,00,000 कर्मचारी अप्रत्यक्ष रूपसे जुड़े हुए हैं, इसके अतिरिक्त लगभग 600 छात्रों केलिए 12वीं कक्षा तक एक को-एड विद्यालय खोला जाएगा।
हरदीप पुरी ने बतायाकि विद्यालय केलिए भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है और वास्तुशिल्प लेआउट को अंतिम रूप दे दिया गया है तथा इसका निर्माण भी आरंभ हो चुका है, उम्मीद की जाती हैकि यह दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने जानकारी दीकि एक 50 बेड वाला अस्पताल भी विकसित किया जा रहा है, इसके लिए भी भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है और यह दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। रिफाइनरी की स्थापना के कारण क्षेत्र में कनेक्टिविटी में वृद्धि की चर्चा करते हुए हरदीप पुरी ने बतायाकि आसपास के क्षेत्रों में गांवों केलिए सड़कों के निर्माण से क्षेत्रमें कनेक्टिविटी में सुधार लाने में सहायता मिलेगी। हरदीप पुरी ने परियोजना के पर्यावरण संबंधी लाभों का भी उल्लेख किया। उन्होंने जानकारी दीकि रिफाइनरी परिसर में डेमोइसेल बगुला जैसे प्रवासी पक्षियों केलिए आद्रभूमि वास का विकास किया जा रहा है, पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाले अन्य काम भी किए जा रहे हैं, उनमें प्राकृतिक सतही जल निकायों का कायाकल्प तथा पचपदरा से खेड़ तक वृक्षारोपण शामिल है, इसके अतिरिक्त एएफआरआई द्वारा परिसर में रेगिस्तानी भूमि केलिए अध्ययन किया जा रहा है, जिससे कि भूमि में उच्च लवणीय तत्व पर विचार करते हुए इसे हरित पट्टी के रूपमें परिवर्तित किया जा सके। हरदीप पुरी ने कहाकि जैसेही अनुशंसाएं प्राप्त हो जाएंगी, निक्षेप कार्यों के तहत वन विभाग की सहायता से वृक्षारोपण कर दिया जाएगा। परियोजना के कारण राजस्व में वृद्धि केबारे में उन्होंने कहाकि राज्य के खजाने को पेट्रोलियम सेक्टर का वार्षिक योगदान लगभग 27,500 करोड़ रुपये का होगा, जिसमें से रिफाइनरी परिसर का योगदान 5,150 करोड़ रुपये का होगा, इसके अतिरिक्त लगभग 12,250 करोड़ रुपये के बराबर के उत्पादों के निर्यात से बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी अर्जित होगी।
बाड़मेर रिफाइनरी परियोजना से क्षेत्र में औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। निर्माण चरण के दौरान परियोजना से निर्माण उद्योग, मैकेनिकल फैब्रिकेशन दुकानों, मशनिंग तथा असेंबली इकाइयों क्रेन, ट्रेलरों, जेसीबी आदि जैसे भारी उपकरणों की आपूर्ति, परिवहन एवं आतिथ्य उद्योग, ऑटोमोटिव स्पेयर्स एवं सेवाओं और सैंड ब्लास्टिंग तथा पेंटिंग दुकानों आदि के विकास को बढ़ावा मिलेगा। पेट्रोकैमिकल डाउनस्ट्रीम लघु उद्योग इंजेक्शन मोल्डिंग जैसे आरआरपी से पेट्रोकैमिकल फीडस्टाक का उपयोग करने के जरिए विकसित होंगे जैसेकि-फर्नीचर केलिए क्रॉकरी, स्टोरेज टैंक, बल्क कंटेनर्स, ऑटो मोल्डिंग, पैकेजिंग, चिकित्सा उपकरण, ब्लो मोल्डिंग कंटेनर के निर्माण, रोटोमोल्डिंग पानी के टैंकों कंटेनरों, फिल्मस सीमेंट बैग, रैपिंग मैटेरियल, एडेसिव टेप आदि तथा टायर, फार्मास्यूटिकल, डिटरजेंट, परफ्यूम, इंक, नेल पालिश, पेंट थिनर्स आदि। इससे रसायन, पेट्रोरसायन एपं संयंत्र उपकरण विनिर्माण जैसे प्रमुख डाउनस्ट्रीम उद्योगों काभी विकास होगा। एचआरआरएल बुटाडाइन का उत्पादन करेगा, जो रबर विनिर्माण केलिए कच्चा माल है, जिसका उपयोग मुख्य रूपसे टायर उद्योग में किया जाता है, इससे ऑटोमोटिव उद्योग को गति मिलेगी। भारत लगभग 300 केपीटीए सिथेंटिक रबर का आयात कर रहा है। प्रमुख कच्चे माल बुटाडाइन की उपलब्धता केसाथ सिथेंटिक रबर के आयात पर निर्भरता में भरी कमी आने की संभावना है, चूंकि भारत ऑटोमोटिव उद्योग में उच्च विकास पथ पर अग्रसर है, बुटाडाइन इस श्रेणी में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा।