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Monday 10 June 2013 09:33:37 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सली हिंसा पर सोमवार को यहां हुई सर्वदलीय बैठक में कहा है कि नक्सली विचारधारा को हिंसक तरीकों से देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को कमजोर करने और बेदखल करने के लिए मानव जीवन के प्रति पूरे निरादर के लिए जाना जाता है, कई वर्षों से उन्होंने जघन्य और अमानवीय हमले किए हैं, जिनके कारण सुरक्षा कर्मियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और मासूम लोगों की जानें गई हैं और गंभीर क्षति पहुंची है, छत्तीसगढ़ में हमला यह संकेत करता है कि उन्होंने व्यवस्थित ढंग से राजनीतिक दल के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाया है, यदि भय या आतंक के कारण राजनीतिक गतिविधि के लिए गुंजाइश सीमित की गई तो देश में लोकतांत्रिक ताकतों की ताकत और मजबूती को नुकसान होगा, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ हमला राष्ट्र की लोकतांत्रिक बुनियाद पर सीधा हमला है।
उन्होंने कहा कि सब सहमत होंगे कि राज्य सरकार और खासतौर से छत्तीसगढ़ सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राजनीतिक गतिविधि के लिए हालात ज्यादा अनुकूल हों, केंद्र सरकार इस कार्य में राज्य सरकार को पूरा समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार वामपंथी उग्रवाद की इस चुनौती से निपटने के लिए दोहरी रणनीति अपना रही है, इसमें मावोवादियों का सामना करने के लिए सतत और अति सक्रिय रूप से कार्रवाई करना तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास और शासन संबंधी मुद्दों से निपटना शामिल है, इस रणनीति को और असरदार एवं मजबूत बनाने की जरूरत है, हमने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है, मै यहां उन उपायों का ब्योरा नहीं देना चाहता, जो हम कर रहे हैं या करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन सिर्फ यह दोहराना चाहता हूं कि हमारी सरकार इस संबंध में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या से कारगर ढंग से निपटने की तत्काल जरूरत है, हालांकि हम सभी उपाय करते हैं कि इस बुराई को स्थायी रूप से समूल उखाड़ दिया जाए, लेकिन फिर भी हमें तत्काल यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नक्सली हिंसा पर रोक लगे और छत्तीसगढ़ जैसे हमले फिर न हों, हमारी सरकार आज हमारे समक्ष मौजूद गंभीर चुनौती से निपटने के लिए आपकी बुद्धि, ज्ञान और अनुभव से लाभ उठाने की उम्मीद करती है।