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Friday 24 March 2023 05:00:25 PM
बेंगलुरु। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 'नशीली दवाओं की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा' पर आज बेंगलुरु में हुए क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की, जिसमें 5 दक्षिणी राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के दौरान गृहमंत्री की उपस्थिति में जब्त किएगए 9298 किलोग्राम मादक पदार्थों, जिसका मूल्य 1235 करोड़ रुपये है को नष्ट किया गया, इसके अलावा राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी और कर्नाटक सरकार केबीच शिवमोगा में यूनिवर्सिटी का नया कैंपस खोलने संबंधी समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर भी हुए। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने नशा मुक्त भारत बनाने केलिए नशीली दवाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उन्होंने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव केतहत 1 जून 2022 से शुरू हुए 75 दिवसीय अभियान के दौरान 75000 किलोग्राम नशीले पदार्थों को नष्ट करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अबतक जब्त की गई कुल 594620 किलोग्राम नशीली दवाओं, जिसका मूल्य 8409 करोड़ रुपये है को नष्ट किया जा चुका है, जो लक्ष्य से कई गुना अधिक है और नष्ट की गई कुल नशीली दवाओं में से 3138 करोड़ रुपये मूल्य की 129363 किलोग्राम जब्त की गई दवाओं को अकेले एनसीबी ने नष्ट किया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि ड्रग्स देश की सुरक्षा और भविष्य का दुश्मन है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थों पर कार्रवाई करने केलिए एक त्रि-आयामी सूत्र अपनाया है, इसमें संस्थागत संरचनाओं को मजबूत करना, नशीली दवाओं की रोकथाम से जुड़ी सभी एजेंसियों का सशक्तिकरण एवं उनके बीच समन्वय करना और एक व्यापक जागरुकता अभियान चलाना शामिल है। उन्होंने कहाकि मादक पदार्थों की तस्करी की समस्या केंद्र या किसी एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है और इससे निपटने के प्रयास भी राष्ट्रीय एवं एकीकृत होने चाहिएं। उन्होंने कहाकि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई सिर्फ किसी एक सरकार की लड़ाई नहीं, बल्कि जन-जन की लड़ाई है। उन्होंने कहाकि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई एक सरकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी राज्य सरकारों और सभी विभागों की लड़ाई है और इस लड़ाई को समाज केसाथ मिलकर लड़ना है। उन्होंने इस समस्या से निपटने केलिए नियमित रूपसे जिलास्तरीय और राज्यस्तरीय एनसीओआरडी की बैठक आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहाकि ऐसा किए बिना नशे के खिलाफ लड़ाई को जनआंदोलन बनाना संभव नहीं है।
गृहमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दियाकि मादक पदार्थों के पूरे नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए इससे जुड़े मामलों में इसके स्रोत से लेकर गंतव्य तक गहन जांच की जानी चाहिए और किसीभी मामले को आइसोलेशन में नहीं देखा जाना चाहिए। अमित शाह ने बतायाकि वर्ष 2006-2013 केबीच कुल 1257 मामले दर्ज किएगए, जो 2014-2022 के बीच 152 प्रतिशत बढ़कर 3172 हो गए, जबकि इसी अवधि के दौरान गिरफ्तारियों की कुल संख्या 1362 से 260 प्रतिशत बढ़कर 4888 हो गई, इसी तरह 2006-2013 के दौरान 1.52 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किएगए, जिसकी मात्रा 2014-2022 के दौरान दोगुनी होकर 3.30 लाख किलोग्राम हो गई। वर्ष 2006-2013 के दौरान 768 करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ जब्त किए गए। वर्ष 2014-2022 के दौरान इसमें 25 गुना बढ़ोतरी हुई और 20000 करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ जब्त किए गए। अमित शाह ने कहाकि देश से ड्रग्स को ख़त्म करने केलिए मोदी सरकार के अभियान के चार प्रमुख स्तंभ हैं-ड्रग्स का पता लगाना, नेटवर्क का विनाश करना, दोषियों को हिरासत में लेना और नशा करने वालों का पुनर्वास करना।
अमित शाह ने कहाकि ड्रग्स एक ऐसा नासूर है, जिसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो उसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए मोदीजी ने 2047 तक नशा मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहाकि आज़ादी के अमृत महोत्सव में गृह मंत्रालय ने भी नशामुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है और हम सबको साझा प्रयास से इसे आगे ले जाना है। उन्होंने कहाकि सभी राज्यों को मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई केलिए एनसीओआरडी पोर्टल और निदान प्लेटफॉर्म का समुचित उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहाकि विभिन्न राज्यों में गठित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को मजबूत करना भी समय की मांग है, ताकि मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कार्रवाई की जा सके, इसके अलावा एनडीपीएस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को भी सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ 'संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण' अपनाया है और सभी विभागों एवं एजेंसियों केबीच कोऑपरेशन, कोऑर्डिनेशन और कोलैबोरेशन बढ़ाकर नशामुक्त भारत बनाने की दिशामें आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि तटीय सुरक्षा और समुद्री मार्गों पर फोकस बढ़ाने की ज़रूरत है और दक्षिणी समुद्री मार्ग में चौकसी और ज्यादा बढ़नी चाहिए।