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Friday 24 March 2023 06:41:24 PM
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने लघु टीबी निवारक उपचार, टीबी-मुक्त पंचायत की आधिकारिक अखिल भारतीय शुरुआत, टीबी केलिए परिवार पर केंद्रित देखभाल मॉडल और भारत की वार्षिक टीबी रिपोर्ट-2023 जारी करने सहित विभिन्न पहलों की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने वाराणसी में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और उच्च रोकथाम प्रयोगशाला केंद्र की आधारशिला रखी तथा महानगर सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी इकाई के स्थान का भी उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने टीबी को समाप्त करने की दिशा में कुछ चुनिंदा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों और जिलों की प्रगति केलिए उन्हें सम्मानित भी किया। राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करनेवाले राज्यों में कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर तथा जिलास्तर पर नीलगिरी, पुलवामा और अनंतनाग जिले थे। इस अवसर पर स्टॉप टीबी की कार्यकारी निदेशक डॉ लुसिका दितीयू ने टिप्पणी कीकि यह शिखर सम्मेलन दुनिया के सबसे पुराने शहरों मेसे एक वाराणसी में हो रहा है, जिसमें दुनिया में एक हजार साल पुरानी बीमारी यानी तपेदिक या टीबी पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहाकि भारत पर टीबी का बहुत अधिक बोझ है, लेकिन उसके पास सर्वश्रेष्ठ योजना, महत्वाकांक्षा और कर्मठता है।
स्टॉप टीबी की कार्यकारी निदेशक डॉ लुसिका दितीयू ने भारत की जी20 की अध्यक्षता से वैश्विक कल्याण को गले लगाने की बात भी रेखांकित की और विषय-वन वर्ल्ड वन हेल्थ के महत्व को समझाया। उन्होंने कहाकि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2025 तक टीबी को समाप्त करने की राह पर है। उन्होंने कहाकि भारत जैसे देशों के प्रयासों के कारण इतिहास में पहलीबार टीबी का निदान और उपचार नहीं कराने वालों की संख्या 30 लाख से नीचे चली गई है। उन्होंने टीबी और टीबी मुक्त भारत की पहल की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2025 तक खुद के सहयोग से टीबी को समाप्त कर देगा। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र महासभा के दौरान 22 सितंबर को टीबी पर होनेवाली संयुक्तराष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक के बारेमें भी बताया और बैठक में प्रधानमंत्री की उपस्थिति का भी अनुरोध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से टीबी के खिलाफ इस लड़ाई में अन्य विश्व नेताओं का नेतृत्व करने और उन्हें प्रेरित करने का भी आग्रह किया। लोगों की भागीदारी को लेकर प्रधानमंत्री ने टीबी के मरीजों की मदद केलिए नि-क्षय मित्र अभियान का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि करीब 10 लाख टीबी मरीजों को नागरिकों ने गोद लिया है, यहां तककि 10-12 साल के बच्चे भी आगे आए हैं, टीबी के मरीजों को आर्थिक मदद कार्यक्रम केतहत यह एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने इस आंदोलन को प्रेरणादायक बताया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि इसमें प्रवासी भारतीय भी भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन वाराणसी में हो रहा है और कहाकि वह इस शहर से संसद सदस्य भी हैं। उन्होंने रेखांकित कियाकि काशी शहर एक शाश्वत जलधारा की तरह है, जो हजारों वर्षों से मानवजाति के परिश्रम और प्रयासों का साक्षी है। उन्होंने कहाकि कोई भी बाधा हो काशी ने हमेशा साबित किया हैकि सबके प्रयास से नए रास्ते बनते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि काशी टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक संकल्पों की दिशा में नई ऊर्जा का संचार करेगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालाकि एक देश के रूपमें भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब वसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है की भावना में देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यह प्राचीन विचारधारा आजकी अत्याधुनिक दुनिया को एकीकृत कल्पना और एकीकृत समाधान दे रही है। उन्होंने कहाकि जी20 अध्यक्ष के रूपमें भारत ने ऐसी ही मान्यताओं के आधार पर 'एक परिवार, एक विश्व, एक भविष्य' विषय को चुना। प्रधानमंत्री ने कहाकि जी20 की विषयवस्तु दुनिया के साझा भविष्य का संकल्प है, भारत दुनिया में 'वन अर्थ, वन हेल्थ' की कल्पना को बढ़ावा दे रहा है और कहाकि यह वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन केसाथ वैश्विक भलाई के संकल्पों को साकार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने 2014 केबाद टीबी से निपटने केलिए जिस प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प केसाथ खुदको समर्पित किया, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहाकि यह टीबी के खिलाफ वैश्विक संघर्ष का एक नया मॉडल है, पिछले 9 वर्ष में टीबी के खिलाफ एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों की भागीदारी, पोषण बढ़ाने, उपचार नवाचार, तकनीकी एकीकरण और सम्पूर्ण स्वास्थ्य तथा रोकथाम जैसेकि-फिट इंडिया, योग और खेलो इंडिया जैसे प्रयासों को सूचीबद्ध किया। टीबी रोगियों केलिए पोषण की बड़ी चुनौती को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने टीबी रोगियों की मदद करने में नि-क्षय मित्र अभियान के योगदान पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने 2018 में टीबी रोगियों केलिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना की घोषणा की थी, इसके परिणामस्वरूप उनके इलाज केलिए उनके बैंक खातों में लगभग 2000 करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित किएगए हैं, जिससे लगभग 75 लाख टीबी रोगी लाभांवित हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि नि-क्षय मित्र अब सभी टीबी रोगियों केलिए ऊर्जा का एक नया स्रोत बन गए हैं। उन्होंने कहाकि सरकार ने नई रणनीतियों के साथ काम किया है, ताकि टीबी के रोगी अपना इलाज न छोड़ दें। उन्होंने टीबी की जांच और उपचार केलिए आयुष्मान भारत योजना शुरू करने, देशमें परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने और उन शहरों को लक्षित करके क्षेत्र-विशिष्ट कार्य नीतियां बनाने का उदाहरण दिया, जहां टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि इसी तर्ज पर आज 'टीबी मुक्त पंचायत अभियान' नाम से एक नया अभियान भी शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि सरकार टीबी की रोकथाम केलिए 6 महीने के कोर्स के बजाय 3 महीने का उपचार कार्यक्रम शुरू कर रही है, पहले मरीजों को छह माह तक प्रतिदिन दवा खानी पड़ती थी, लेकिन अब नई व्यवस्था में मरीज को सप्ताह में एक बार ही दवा खानी पड़ेगी।
प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत अभियान में तकनीकी एकीकरण की जानकारी दी और कहाकि नि-क्षय पोर्टल और डेटा साइंस का उपयोग इस संबंध में काफी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बतायाकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने उपराष्ट्रीय रोग निगरानी केलिए एक नया तरीका विकसित किया है, जिसने भारत को डब्ल्यूएचओ के अलावा इस तरह का मॉडल रखने वाला एकमात्र देश बना दिया है। प्रधानमंत्री ने 2030 के वैश्विक लक्ष्य के मुकाबले 2025 तक टीबी को खत्म करने केलिए भारत के एक और प्रमुख संकल्प का उल्लेख किया। उन्होंने बीमारी के खिलाफ लड़ाई में ट्रेस, टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और टेक्नोलॉजी के अधिकतम उपयोग की चर्चा की। उन्होंने बतायाकि टीबी की 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनाई जाती हैं, मैं चाहूंगाकि अधिक से अधिक देशों को ऐसे तमाम अभियानों, भारत के नवोन्मेष और आधुनिक तकनीक का लाभ मिले और शिखर सम्मेलन में शामिल सभी देश इसके लिए एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकते हैं। कुष्ठ रोग को खत्म करने की दिशा में महात्मा गांधी के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने एक घटना साझा की जब गांधीजी को अहमदाबाद में एक कुष्ठ अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने याद कियाकि गांधीजी ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों से कहा थाकि जब वे दरवाजे पर ताला लटका देखेंगे तो उन्हें खुशी होगी।
प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त कियाकि अस्पताल दशकों तक उसी तरह चलता रहा और कुष्ठ रोग का कोई अंत नहीं था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डालाकि कुष्ठ रोग के खिलाफ अभियान को वर्ष 2001 में नई गति मिली जब गुजरात के लोगों ने उन्हें अवसर दिया और बतायाकि गुजरात में कुष्ठ रोग की दर 23 प्रतिशत से घटकर 1 प्रतिशत से भी कम हो गई है। उन्होंने बतायाकि वर्ष 2007 में जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे, कुष्ठ अस्पताल को बंद कर दिया गया था। उन्होंने इसमें सामाजिक संगठनों की भूमिका और जनभागीदारी पर भी प्रकाश डाला और टीबी के खिलाफ भारत की सफलता पर भरोसा जताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज का नया भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए जाना जाता है और उन्होंने निर्धारित समय से पहले खुले में शौच मुक्त होने की प्रतिज्ञा को प्राप्त करने, सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने केसाथ पेट्रोल में निश्चित प्रतिशत के इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने का उदाहरण दिया। उन्होंने टिप्पणी कीकि सार्वजनिक भागीदारी की शक्ति विश्व के आत्मविश्वास को बढ़ा रही है और टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई की सफलता का श्रेय सार्वजनिक भागीदारी को दिया। उन्होंने सभी से टीबी रोगियों को बीमारी के बारेमें जागरुक करने पर समान ध्यान देने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने काशी में भी स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार केलिए उठाएगए कदमों की जानकारी दी, जिसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की वाराणसी शाखा का उद्घाटन, जन स्वास्थ्य निगरानी इकाई का काम शुरू करना, बीएचयू में चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट, ब्लड बैंकों के आधुनिकीकरण, आधुनिक ट्रॉमा सेंटर, सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर का जिक्र किया, जहां 70 हजार से ज्यादा मरीज इलाज करा चुके हैं। उन्होंने कबीर चौरा अस्पताल, जिला अस्पताल, डायलिसिस सुविधा, सीटी स्कैन सुविधा और काशी के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार काभी जिक्र किया। वाराणसी में आयुष्मान भारत योजना केतहत 1.5 लाख से अधिक मरीजों का मुफ्त इलाज हो चुका है और 70 से अधिक जन औषधि केंद्र मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित कियाकि भारत देश के अनुभव, विशेषज्ञता और इच्छाशक्ति का उपयोग करके टीबी उन्मूलन के अभियान में लगा हुआ है। उन्होंने कहाकि भारत हर जरूरतमंद देश की मदद केलिए लगातार तैयार है। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी उपस्थित थे।