स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 25 March 2023 01:58:22 PM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने एकबार फिर शांत और समृद्ध उत्तर-पूर्व भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा हैकि यह निर्णय उत्तर-पूर्व भारत की सुरक्षा स्थिति में आए उल्लेखनीय सुधार को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहाकि उत्तर-पूर्व की सुरक्षा, शांति और विकास को प्राथमिकता देने का काम पहलीबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वोत्तर शांति और विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और इस क्षेत्र को भारतभर केसाथ दिल से जोड़ने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को भी बधाई दी।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि केंद्र सरकार के प्रभावी प्रयासों से उत्तर-पूर्वी राज्यों में वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2022 में उग्रवादी घटनाओं में 76 प्रतिशत की कमी आई है, उसी प्रकार इस अवधि में सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मृत्यु में क्रमश: 90 और 97 प्रतिशत की कमी आई है। अमित शाह ने कहाकि भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम केतहत दशकों बाद अप्रैल 2022 से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम केतहत अशांत क्षेत्रों को कम किया है एवं आज एक और महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए इन तीनों राज्यों में फिरसे 1 अप्रैल 2023 से अफस्पा केतहत अशांत क्षेत्रों में और कमी की जा रही है। गृहमंत्री ने कहाकि पिछले 4 वर्ष में उनकी अगुवाई में उत्तर-पूर्व राज्यों में कई शांति समझौते लागू किएगए हैं, जिसके परिणामस्वरुप अधिकांश उग्रवादी समूहों ने देश के संविधान और मोदी सरकार की नीतियों में विश्वास जताते हुए हथियार डाले और उत्तर-पूर्व की शांति एवं विकास में सहभागी बने हैं।
अमित शाह ने कहाकि वर्ष 2014 से अभीतक लगभग 7000 उग्रवादियों ने सरेंडर किया है और बीते 4 वर्ष में शांत, समृद्ध और विकसित उत्तर पूर्व केलिए गृह मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनसे दशकों से चली आरही समस्याओं का समाधान हुआ जैसे-त्रिपुरा में अगस्त 2019 में एनएलएफटी (एसडी) समझौता करके उग्रवादियों को हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लाने का काम किया गया, जनवरी 2020 के बोडो समझौते ने असम की 5 दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान किया, जनवरी 2020 में दशकों पुराने ब्रु-रिआंग शरणार्थी संकट को सुलझाने केलिए एक ऐतिहासिक समझौता किया गया, जिसके अधीन 37000 आंतरिक विस्थापित लोगों को त्रिपुरा में बसाया जा रहा है। सितंबर 2021 के करबी-आंगलांग समझौते ने लंबे समय से चल रहे असम के करबी क्षेत्र के विवाद को हल किया, सितम्बर 2022 में असम के आदिवासी समूह केसाथ समझौता हुआ है।
गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र को उग्रवाद मुक्त करने केलिए संकल्पित हैं, इस संबंध में केंद्र सरकार राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों केसाथ लगातार बातचीत करती रही है। उन्होंने कहाकि सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण अफस्पा के अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को त्रिपुरा से 2015 में और मेघालय से 2018 में पूरी तरह से हटा लिया गया था। उन्होंने कहाकि संपूर्ण असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है, मोदी सरकार के अथक प्रयासों से सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के परिणामस्वरूप 1 अप्रैल 2022 से असम के 9 जिलों तथा एक जिले के एक सब-डिविजन को छोड़कर शेष असम राज्य से अफस्पा के अंतर्गत अशांत क्षेत्रों को हटा लिया गया था तथा 1 अप्रैल 2023 से अशांत क्षेत्रों में और कमी करते हुए इसे मात्र 8 जिलों तक सीमित कर दिया गया है।
अमित शाह ने बतायाकि मणिपुर में इंफाल नगरपालिका क्षेत्र को छोड़कर में अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र घोषणा वर्ष 2004 से चली आ रही थी और केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को 1 अप्रैल 2022 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया था और अब 1 अप्रैल 2023 से अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 4 अन्य थाना क्षेत्रों से हटाते हुए कुल 7 जिलों के 19 पुलिस थानों से हटाया जा रहा है। उन्होंने बतायाकि नागालैंड में अशांत क्षेत्र अधिसूचना वर्ष 1995 से लागू है, केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में गठित कमेटी की चरणबद्ध तरीके से अफस्पा हटाने की सिफारिश को मानते हुए 1 अप्रैल 2022 से 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया था और 1 अप्रैल 2023 से अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 3 अन्य थाना क्षेत्रों से हटाते हुए कुल 8 जिलों के 18 पुलिस थानों से हटाया जा रहा है।