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Wednesday 29 March 2023 11:53:51 AM
मुंबई। भारतीय हीरा उद्योग ने भारत डायमंड बोर्स में जी20 व्यापार और निवेश कार्य समूह के प्रतिनिधियों की मेजबानी की। गौरतलब हैकि भारतीय हीरा उद्योग अपनी कुशल शिल्प कौशल, अत्याधुनिक तकनीक और एक मजबूत इकोसिस्टम केलिए प्रसिद्ध है, यही विशेषताएं इसे वैश्विक हीरा उद्योग का एक प्रमुख अंग बनाती हैं। भारत डायमंड बोर्स दुनिया का सबसे बड़ा हीरा एक्सचेंज है, जिसमें 2500 से अधिक कार्यालय हैं और जो मुंबई के एकदम मध्य में 20 एकड़ यानी 0.87 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। भारतीय हीरा उद्योग, कट और पॉलिश किएगए हीरों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है, जो सालाना 23 बिलियन डॉलर मूल्य के हीरों का निर्यात करता है। दुनियाभर के आभूषणों के 15 में से 14 हीरे भारत में संसाधित होते हैं, भारत दुनिया में हीरे और हीरे जड़ित आभूषणों का निर्यात करता है, जिनमें संयुक्तराज्य अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, एशिया और अन्य शामिल हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सक्षम नेतृत्व में भारतीय हीरा उद्योग ने पिछले कई वर्ष में कई गुना वृद्धि दर्ज की है। केंद्र सरकार के निरंतर समर्थन, मार्गदर्शन और व्यावहारिक व्यापार अनुकूल नीतियों केसाथ भारत ने विश्वस्तर पर रत्न और आभूषण के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी स्थिति प्राप्त करली है।
रत्न और आभूषण का निर्यात देश से कुल व्यापारिक निर्यात का 10 प्रतिशत है। उल्लेखनीय हैकि इस उद्योग में एमएसएमई कंपनियों की संख्या 85 प्रतिशत से अधिक है, जो देश की अर्थव्यवस्था केलिए इस क्षेत्र के महत्व को और अधिक रेखांकित करता है। जी20 के प्रतिनिधियों ने मुंबई डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन, इंडिया डायमंड ट्रेडिंग सेंटर, जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, प्रेशियस कार्गो कस्टम्स क्लीयरेंस सेंटर के कार्यालयों केसाथ सुरक्षा कमान और नियंत्रण केंद्र सहित भारत डायमंड बोर्स परिसर के भीतर उपलब्ध विश्वस्तरीय सुविधाओं का जायजा लिया। हीरे के व्यापार और उसके संचालन के बारेमें जानकारी प्राप्त करने केलिए प्रतिनिधि मोहित डायमंड, श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्ट्स, महेंद्र ब्रदर्स, वीनस ज्वेल, फाइनस्टार ज्वैलरी एंड डायमंड्स, अंकित जेम्स और धर्मनंदन डायमंड्स भी गए। प्रतिनिधियों को देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार सृजन की दिशा में हीरा उद्योग के महत्वपूर्ण योगदान के बारेमें बताया गया। जी20 टीआईडब्ल्यूजी को पहलीबार हीरा उद्योग की क्षमता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका को जानने का अवसर मिला। इस अवसर पर बीडीबी के अध्यक्ष अनूप मेहता ने कहाकि भारत डायमंड बोर्स को गर्व से दुनिया के हीरों का केंद्र कहा जाता है, यह बोर्स 2500 से अधिक हीरा व्यापारियों का एक समूह है, जिसमें कुछ सबसे बड़े व्यापारी भी शामिल हैं।
बीडीबी के अध्यक्ष अनूप मेहता ने कहाकि यह अपनी प्रकृति में समावेशी है और जितना यह बड़े व्यवसायों की जरूरतों को पूरा करता है, उतनाही सबसे छोटे हीरा व्यापारियों की जरूरतों काभी ध्यान रखता है, यह न केवल भारत, बल्कि विभिन्न देशों को हीरे के निर्यात के दौरान प्रमुख रोज़गार सृजक की भूमिका भी निभाता है। अनूप मेहता ने कहाकि आमतौर पर भारतीय हीरा उद्योग और खासकर बीडीबी में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉंसिबिलिटी की एक शानदार परंपरा रही है और हमारे सीएसआर प्रयास स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण, खेल और परोपकार के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करते हैं। जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहाकि दुनिया के जौहरी भारत के पास आभूषण बनाने की 5000 वर्ष की समृद्ध विरासत है, ये स्किल्स और विशेषज्ञता पीढ़ी दर पीढ़ी प्रदान की जाती रही है और आज हमारे कुशल कारीगर अपने असाधारण शिल्प कौशल, उत्कृष्ट डिजाइनों केलिए मशहूर हैं और उन्होंने दुनियाभर में पहचान पाई है। उन्होंने कहाकि भारत का आभूषण उद्योग संस्कृतियों, देशों और लोगों केबीच एक सेतु का काम करता है और दुनियाभर के लाखों उपभोक्ताओं को खुशी और आनंद देता है। विपुल शाह ने कहाकि भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है, ये 5 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है और भारत के कुल मर्चेंडाइज निर्यात में इसका 10 प्रतिशत हिस्सा है। विपुल शाह ने कहाकि 1 मिलियन से ज्यादा रत्न और आभूषण निर्माण इकाइयों केसाथ 390 जिलों की पहचान जीएंडजे क्लस्टर के रूपमें की गई है।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहाकि भारत के पास एक फलता-फूलता निर्यात क्षेत्र है, जिसका आकार सालाना 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, हमारा देश अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट, एशिया और कई अन्य देशों सहित दुनियाभर के देशों को आभूषण निर्यात करता है। विपुल शाह ने जी20 के प्रतिनिधियों को आमंत्रित कियाकि वे भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग केसाथ व्यापार करने के अवसर तलाशें और जी20 के वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर के सूत्रवाक्य के हिस्से के रूपमें साथ मिलकर एक उज्जवल भविष्य निर्मित करें। विपुल शाह ने कहाकि एक देश के रूपमें हम इस जीवंत उद्योग को और विकसित करने केलिए दुनियाभर में अपने भागीदारों केसाथ काम करने केलिए तत्पर हैं। उन्होंने कहाकि ये उद्योग मानता हैकि स्थिरता एक वैश्विक जरूरत है, इसलिए हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और संसाधनों के संरक्षण केलिए ये नई तकनीकों एवं प्रक्रियाओं में निवेश कर रहा है। उन्होंने कहाकि रत्न और आभूषण उद्योग में बड़े पैमाने पर परोपकारी गतिविधियों में संलग्न होने की परंपरा रही है, इसने लगातार सामाजिक जिम्मेदारी, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी पहलों का समर्थन करने और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता दिखलाई है।
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने 1966 में रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की थी। यह भारत सरकार के विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों में से एक है। जीजेईपीसी रत्न और आभूषण उद्योग की शीर्ष संस्था है और आज इस क्षेत्र के 9000 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। जीजेईपीसी के नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, सूरत और जयपुर में क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जो उद्योग केलिए प्रमुख केंद्र का काम करते हैं। पिछले कुछ दशक में जीजेईपीसी सबसे सक्रिय ईपीसी में से एक बनकर उभरा है, प्रचार के जरिए यह अपनी पहुंच को बढ़ाने केलिए लगातार प्रयास कर रहा है, साथ ही अपने सदस्यों तक सेवाओं के विस्तार और दायरे को बढ़ाने की दिशा में भी प्रयासरत है। मुंबई हीरा व्यापारी संघ की स्थापना 1906 में हुई थी और यह हीरा व्यापार संगठन जगत में एक कीमती रत्न की तरह चमक रहा है, यह महत्वपूर्ण संस्था उद्यमिता को बढ़ावा देने केसाथ ही अपने सदस्यों का सहयोग करने केलिए काम करती है, जो सच मायने में उद्योग केलिए हीरे हैं।
भारत हीरा कारोबार केंद्र का उद्घाटन 20 दिसंबर 2015 को हुआ था, इसकी लगातार कोशिश वैश्विक माइनिंग कंपनियों को एक उपयुक्त मंच प्रदान करने की है, जिससे वे अपने सामानों को प्रदर्शित कर सकें और व्यापक स्तर पर ग्राहक मिलने में भी मदद हो। इसके बदले में निर्यात बढ़ने और जीडीपी को बढ़ावा मिलने से अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। रत्न और आभूषण निर्यात संघ मुंबई के अंतर्गत जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना की गई थी, यह संस्थान एक गैर-लाभकारी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूपमें पंजीकृत कियागया है। यह भारत में रत्न के क्षेत्र में पहली अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से एसआईआरओ के रूपमें मान्यता प्राप्त है। यह रत्न और हीरे केलिए राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र है, इसकी प्रयोगशाला विश्वस्तरीय है और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। वर्ष 1985 से ओपेरा हाउस में हीरा प्लाजा कस्टम्स क्लीयरेंस केंद्र ने काम करना शुरू किया था, जिसे 2010 में भारत डायमंड बोर्स बांद्रा कुर्ला के परिसर में शिफ्ट कर दिया गया और इसका नाम कीमती कार्गो कस्टम्स क्लीयरेंस केंद्र रख दिया गया।
कीमती कार्गो कस्टम्स क्लीयरेंस केंद्र में 35 सीमा शुल्क कर्मचारी तैनात हैं। यह केंद्र हीरे, कीमती पत्थरों, मोती, सोने या दूसरे कीमती धातुओं से बने आभूषणों के आयात और निर्यात से संबंधित कामकाज देखता है। यहां रोजाना 600-700 निर्यात पार्सल और 100-150 आयात पार्सल कस्टम्स से फाइनल किए जाते हैं। पीसीसीसीसी के जरिए कुल करीब 98 प्रतिशत कट और पॉलिश हीरों का निर्यात 52 देशों में किया जाता है, इसमें अमेरिका, हॉन्ग कॉन्ग, संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल और बेल्जियम प्रमुख हैं। सुरक्षा कमान और नियंत्रण केंद्र एक ऐसी सुविधा है, जिसे वास्तविक समय में निगरानी और सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर नियंत्रण प्रदान करने केलिए शुरू किया गया, इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा केंद्र तैयार करना है, जहां सुरक्षाकर्मी निगरानी केसाथ ही सुरक्षा से संबंधित घटनाओं पर जल्द से जल्द और कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया दे सकें, इसमें वीडियो निगरानी प्रणाली, एक्सेस कंट्रोल सिस्टम, अलार्म प्रणाली, आग का पता लगाने संबंधी जैसी सुरक्षा प्रणालियां शामिल हैं।