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Monday 10 April 2023 12:00:37 PM
मैसूर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के स्मरणोत्सव कार्यक्रम में भारत में बाघों की बढ़ती आबादी के गौरवपूर्ण क्षण की चर्चा की और खड़े होकर बाघों केप्रति सम्मान दर्शाते हुए इसकी सराहना की। उन्होंने कहाकि प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल होने की ऐतिहासिक घटना का हर कोई गवाह है। उन्होंने कहाकि इस प्रोजेक्ट की सफलता न केवल भारत, बल्कि विश्व केलिए गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने न केवल बाघों की आबादी को घटने से बचाया है, बल्कि बाघों को फल-फूलने केलिए एक बेहतरीन इकोसिस्टम भी प्रदान किया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि भारत की आजादी के 75वें वर्ष में दुनिया की 75 प्रतिशत बाघों की आबादी भारत में ही रहती है एवं यहभी एक सुखद संयोग हैकि भारत में बाघ अभयारण्य 75000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर फैले हैं और पिछले दस से बारह वर्ष में देश में बाघों की आबादी में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों के मन में अन्य देशों, जहां बाघों की आबादी यातो स्थिर है या फिर उसमे गिरावट में हो रही है की तुलना में भारत में बाघों की बढ़ती आबादी के बारेमें उठनेवाले सवालों को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि इसका जवाब भारत की परंपराओं एवं संस्कृति और जैव विविधता एवं पर्यावरण केप्रति इसके नैसर्गिक प्रेम में निहित है। उन्होंने कहाकि भारत इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था केबीच संघर्ष में विश्वास नहीं करता, बल्कि वह दोनों के सहअस्तित्व को समान महत्व देता है। भारत के इतिहास में बाघों के महत्व को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने इस तथ्य का उल्लेख कियाकि मध्य प्रदेश में दस हजार साल पुरानी रॉककला में बाघों का चित्रण पाया गया है, मध्य भारत के भरिया समुदाय और महाराष्ट्र के वर्ली समुदाय के लोग जहां बाघ की पूजा करते हैं, वहीं भारत के कई अन्य समुदाय बाघ को दोस्त और भाई मानते हैं। उन्होंने कहाकि मां दुर्गा और भगवान अयप्पा की सवारी भी बाघ है।
वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्रमें भारत की अनूठी उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति की रक्षा करना संस्कृति का एक हिस्सा है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत के पास दुनिया की कुल भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा ही है, लेकिन यह ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में आठ प्रतिशत का योगदान देता है। उन्होंने कहाकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा टाइगर रेंज वाला देश है, लगभग तीस हजार हाथियों के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा एशियाई एलीफैंट रेंज वाला देश है और यह एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी वाला सबसे बड़ा देश भी है, एक सींग वाले गैंडों की संख्या यहां लगभग तीन हजार है। उन्होंने कहाकि भारत एशियाई शेरों वाला दुनिया का एकमात्र देश है और इन शेरों की आबादी 2015 में लगभग 525 से बढ़कर 2020 में लगभग 675 हो गई है। उन्होंने भारत की तेंदुओं की आबादी का भी उल्लेख किया और कहाकि चार वर्षों में इसमें 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
गंगा जैसी नदियों को साफ करने केलिए किए जारहे कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालाकि कुछ जलीय प्रजातियां जिन्हें कभी खतरे में माना जाता था, उनकी संख्या में सुधार हुआ है। उन्होंने इन उपलब्धियों का श्रेय लोगों की भागीदारी और संरक्षण की संस्कृति को दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि वन्यजीवों के फलने-फूलने केलिए इकोलॉजी का फलना-फूलना जरूरी है, भारत ने रामसर साइटों की अपनी सूची में 11 वेटलैंड को जोड़ा है, जिससे यहां रामसर साइटों की कुल संख्या 75 हो गई है। उन्होंने कहाकि भारत ने 2019 की तुलना में 2021 तक 2200 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि को वन एवं वृक्षों से आच्छादित किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछले दशक में सामुदायिक रिज़र्व की संख्या 43 से बढ़कर 100 से अधिक हो गई और वैसे राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभ्यारण्यों, जिनके आसपास इको-सेंसिटिव जोन अधिसूचित किए गए थे की संख्या 9 से बढ़कर 468 हो गई है और ऐसा सिर्फ एक दशक में हुआ है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपमें वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़े अपने अनुभवों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने शेरों की आबादी बढ़ाने की दिशा में किएगए कार्यों का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दियाकि एक भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित रखकर एक जंगली जानवर को नहीं बचाया जा सकता है। उन्होंने स्थानीय लोगों और वन्यजीवों के बीच भावनाओं केसाथ-साथ अर्थव्यवस्था का एक संबंध बनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने गुजरात में वन्यजीव मित्र कार्यक्रम केबारे में प्रकाश डाला, जहां शिकार जैसी गतिविधियों की निगरानी केलिए नकद इनाम का प्रोत्साहन दिया गया। उन्होंने गिर के शेरों केलिए एक पुनर्वास केंद्र खोलने और गिर क्षेत्रमें वन विभाग में महिला बीट गार्ड और वनकर्मियों की भर्ती काभी उल्लेख किया। उन्होंने पर्यटन और इकोटूरिज्म के उस विशाल इकोसिस्टम परभी प्रकाश डाला, जिसे अब गिर में स्थापित किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य को दोहरायाकि प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता के कई आयाम हैं, इसने पर्यटकों की गतिविधियों व जागरूकता कार्यक्रमों में वृद्धि की है और टाइगर रिज़र्व के भीतर मानव-पशु संघर्ष में कमी लाई है। उन्होंने कहाकि बिग कैट की मौजूदगी ने हर जगह स्थानीय लोगों के जीवन और वहां की इकोलॉजी पर सकारात्मक असर डाला है। दशकों पहले भारत में चीता के विलुप्त हो जाने पर प्रधानमंत्री ने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाएगए चीतों का उल्लेख करते हुए बिग कैट के पहले सफल ट्रांस-कॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन की चर्चा की। उन्होंने याद दिलायाकि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में कुछदिन पहले चार सुंदर चीता शावकों का जन्म हुआ है। उन्होंने कहाकि करीब 75 साल पहले विलुप्त होने केबाद चीते ने भारत की धरती पर जन्म लिया है। उन्होंने जैव विविधता के संरक्षण और समृद्धि केलिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की जरूरत पर बल देते हुए कहाकि वन्यजीव संरक्षण किसी एक देश का मुद्दा नहीं है, बल्कि एक सार्वभौमिक मुद्दा है।
नरेंद्र मोदी ने बतायाकि वर्ष 2019 में उन्होंने वैश्विक बाघ दिवस पर एशिया में अवैध वन्यजीव व्यापार और अवैध शिकार के खिलाफ एक गठबंधन बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने कहाकि इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस इसी भावना का विस्तार है, भारत सहित विभिन्न देशों के अनुभवों से उभरे संरक्षण एवं सुरक्षा संबंधी एजेंडे को आसानी से लागू करते हुए बिग कैट से जुड़े पूरे इकोसिस्टम केलिए वित्तीय और तकनीकी संसाधन जुटाना आसान होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस का फोकस बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता सहित दुनिया के सात प्रमुख बिग कैट के संरक्षण पर होगा। उन्होंने बतायाकि बिग कैट के निवास स्थान वाले देश इस गठबंधन का हिस्सा होंगे, इसमें सभी सदस्य देश अपने अनुभवों को साझा करने में सक्षम होंगे, अपने साथी देश की अधिक तेज़ी से मदद कर सकेंगे और अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर जोर दे सकेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि साथ मिलकर हम इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाएंगे और एक सुरक्षित एवं स्वस्थ इकोलॉजी का निर्माण करेंगे।
जी20 की भारत की अध्यक्षता केलिए ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के आदर्श वाक्य पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह इस संदेश को आगे बढ़ाता हैकि मानवता का बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे और हमारी जैव विविधता का विस्तार होता रहे। उन्होंने दोहरायाकि यह जिम्मेदारी हम सभीकी है। कॉप-26 का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने बड़े एवं महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं और आपसी सहयोग में विश्वास व्यक्त किया है, जो पर्यावरण संरक्षण के हर लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित हो सकता है। इस अवसर पर आए विदेशी मेहमानों और गणमान्य व्यक्तियों से प्रधानमंत्री ने भारत के जनजातीय समाज के जीवन एवं परंपराओं से कुछ सीख लेने का आग्रह किया। उन्होंने सह्याद्री और पश्चिमी घाट के उन इलाकों पर प्रकाश डाला, जो जनजातीय लोगों के निवास स्थान रहे हैं और कहाकि वे सदियों से बाघ सहित हर जैव विविधता को समृद्ध करने में लगे हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यहां के जनजातीय समाज की प्रकृति से पारस्परिक लेन-देन की संतुलनकारी परंपरा को अपनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त वृत्तचित्र द एलिफेंट व्हिस्पर्स का भी उल्लेख किया और कहाकि यह प्रकृति और प्राणी केबीच अद्भुत संबंधों की हमारी विरासत को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जनजातीय समाज की जीवनशैली मिशन लाइफ यानी पर्यावरण केलिए जीवनशैली के दृष्टिकोण को समझने में भी बहुत मदद करती है। उन्होंने स्मरणोत्सव कार्यक्रम में इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस का शुभारंभ किया। उन्होंने ‘अमृतकाल का विजन फॉर टाइगर कंजर्वेशन’ तथा टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन के पांचवें चक्र की एक सारांश रिपोर्ट का लोकार्पण किया, बाघों की संख्या की घोषणा की और अखिल भारतीय बाघ अनुमान (पाचवां चक्र) की सारांश रिपोर्ट जारी की। उन्होंने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। स्मरणोत्सव कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे।