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Wednesday 12 April 2023 05:16:02 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक मजबूत रक्षा वित्त प्रणाली को एक मजबूत सेना की रीढ़ बताते हुए देश की सुरक्षा जरूरतों पर खर्च किएगए धन के मूल्य को अधिकतम करने केलिए नवीन तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। आज नई दिल्ली में रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि एक कानूनी और प्रक्रियात्मक रक्षा-वित्त ढांचा एक परिपक्व राज्य प्रणाली का एक अभिन्न अंग है, जो रक्षा व्यय के विवेकपूर्ण प्रबंधन को सुनिश्चित करता है। रक्षामंत्री ने कहाकि इस तरहकी रूपरेखा, जिसमें दिशानिर्देशों के अनुसार व्यय नियंत्रण, पेशेवरों की वित्तीय सलाह, ऑडिट, भुगतान प्रमाणीकरण तंत्र आदि शामिल हैं, यह सुनिश्चित करता हैकि रक्षा खर्च आवंटित बजट के भीतर है और धन का पूरा मूल्य प्राप्त हो गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि जहां सशस्त्रबलों को रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की एक अधिरचना की आवश्यकता होती है, जिसमें अनुसंधान एवं विकास संगठन, उद्योग, सैनिक कल्याण संगठन आदि शामिल होते हैं, उन्हें वित्तीय संसाधनों का इष्टतम और विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने केलिए एक मजबूत वास्तुकला केसाथ एक अच्छी तरह से वित्त पोषित प्रणाली की भी आवश्यकता होती है। राजनाथ सिंह का विचार थाकि रक्षा व्यय में धन के पूर्ण मूल्य की आर्थिक अवधारणा को लागू करना मुश्किल है, क्योंकि इस क्षेत्र में राजस्व का कोई दृश्य स्रोत नहीं है और आसानी से पहचाने जाने योग्य लाभार्थी नहीं हैं। खर्च किए गए धन के मूल्य को अधिकतम करने केलिए उन्होंने जोर देकर कहाकि रक्षा खरीद में खुली निविदा के माध्यम से प्रतिस्पर्धी बोली के नियम का पालन किया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहाकि पूंजी या राजस्व मार्ग केतहत रक्षा उपकरणों की खरीद के मामले में खुली निविदा के स्वर्ण मानक को यथासंभव हदतक अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि एक प्रतिस्पर्धी बोली आधारित खरीद प्रक्रिया, जो सभी केलिए खुली है, खर्च किए जारहे सार्वजनिक धन के पूर्ण मूल्य का एहसास करने का सबसे अच्छा तरीका है एवं कुछ दुर्लभ मामले होंगे, जब खुली निविदा प्रक्रिया केलिए जाना संभव नहीं होगा, ऐसे उदाहरण अपवाद के अंतर्गत आने चाहिएं और अपवाद को नियम नहीं बनना चाहिए। राजनाथ सिंह ने निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली केलिए रक्षा उपकरणों की खरीद के नियमों और प्रक्रियाओं को संहिताबद्ध करते हुए व्यापक ब्लू बुक्स के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि इस दृष्टि से सरकार ने पूंजी अधिग्रहण केलिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 के रूपमें राजस्व खरीद केलिए रक्षा खरीद नियमावली और रक्षा सेवाओं को वित्तीय शक्तियों का प्रत्यायोजन ब्लू बुक तैयार की है।
रक्षामंत्री ने कहाकि ये नियमावली यह सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैकि रक्षा खरीद की प्रक्रिया नियमबद्ध है और वित्तीय औचित्य के सिद्धांतों का पालन करती है, चूंकि इसे हितधारकों के परामर्श से रक्षा वित्त और खरीद विशेषज्ञों द्वारा सावधानी से तैयार करने की आवश्यकता है और यह एक सतत अभ्यास होना चाहिए, ताकि ये दस्तावेज़ गतिशील रूपसे अपडेट किए जा सकें। रक्षामंत्री ने दैनिक वित्तीय मामलों में सेवाकर्मियों को विशेषज्ञ वित्तीय सलाह की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहाकि सक्षम वित्तीय प्राधिकरण को वित्तीय सलाह देने केलिए एकीकृत वित्तीय सलाहकार की प्रणाली बनाई गई है, ताकि सार्वजनिक धन की बर्बादी से बचा जा सके। उन्होंने कहाकि इस प्रणाली में आईएफए और सीएफए जनता के धन का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की दिशामें एक टीम के रूपमें काम करते हैं।
राजनाथ सिंह ने आंतरिक और बाहरी लेखापरीक्षा की एक पुख्ता व्यवस्था की हिमायत की, जो वित्तीय विवेक और औचित्य के सिद्धांतों का पालन करने केबाद भी अपव्यय, चोरी और भ्रष्टाचार, यदि कोई हो से निपट सके। उन्होंने कहाकि ऑडिटरों की भूमिका प्रहरी या प्रहरी की होती है। रक्षामंत्री ने लेखांकन, बिल पास करने और भुगतान, वेतन और पेंशन वितरण आदि की एक ठोस प्रणाली की आवश्यकता पर भी विस्तार से बताया, क्योंकि यह सशस्त्रबलों के कर्मियों को उनकी मुख्य नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने केलिए मुक्त करता है। उन्होंने कहाकि रक्षा वित्त के कार्यों को मुख्य रक्षा संगठनों से अलग करने के कई फायदे हैं, लीकेज, भ्रष्टाचार, अपव्यय की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने कहाकि एक सकारात्मक जनमत तब उत्पन्न होता है, जब एक न्यायोचित विश्वास होता हैकि जनता का पैसा बेहतर और विवेकपूर्ण तरीके से खर्च किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि रक्षा व्यय की प्रणाली में अधिक सार्वजनिक विश्वास केसाथ रक्षा प्रणाली को समग्र रूपसे लाभ होता है, क्योंकि विधायिका से अधिक धन की संभावना बढ़ जाती है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि केंद्रीय विचार यह हैकि सेना, नौसेना, वायुसेना, रक्षा अनुसंधान संगठनों आदि जैसे रक्षा प्रतिष्ठानों को एक विशेष एजेंसी की आवश्यकता होती है, जो रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र केलिए समर्पित हो। उन्होंने कहाकि भारत में यह कार्य वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) के नेतृत्व में रक्षा लेखा विभाग दक्षतापूर्वक करता आ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के समक्ष रक्षामंत्री ने साझा सुरक्षा का विचार भी रखा और कहाकि एक परिवार के रूपमें दुनिया की सामूहिक सुरक्षा की भावना में हम सभी मानव जाति केलिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की दिशा में भागीदार हैं, हमें रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आपके अनुभवों से बहुत कुछ सीखना है और हम आपके साथ अपनी सीख साझा करने केलिए तैयार हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि समाज के विकास की पूरी क्षमता का एहसास तभी हो सकता है, जब वह बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षित हो।
रक्षामंत्री ने बाहरी आक्रमण और आंतरिक व्यवधानों से लोगों की सुरक्षा को राज्य का प्रमुख कार्य बताया। उन्होंने कहाकि सुरक्षा वह आधारशिला है, जिसपर किसीभी समाज की समृद्धि, कला और संस्कृति फलती-फूलती और समृद्ध होती है। रक्षा मंत्रालय (वित्त) के आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और केन्या सहित भारत और विदेशों के प्रतिष्ठित नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और सरकारी अधिकारियों की भागीदारी देखी जाएगी। यह उन्हें वैश्विक स्तरपर उभरती सुरक्षा चुनौतियों और नीतियों के संदर्भ में रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र पर अपनी अंतर्दृष्टि, अनुभव साझा करने केलिए एक मंच प्रदान करेगा। सम्मेलन का उद्देश्य प्रतिभागियों केबीच संवाद, सहयोग को बढ़ावा देना और इष्टतम वित्तीय संसाधनों एवं रक्षा बजट के प्रभावी कार्यांवयन केसाथ देश की रक्षा तैयारी में योगदान देना है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुभवों और विशेषज्ञता का प्रसार करना और अंतर्राष्ट्रीय मानकों केसाथ भारतीय संदर्भ में प्रक्रियाओं को संरेखित करना है।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन रक्षा क्षेत्रमें स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता पर सरकार के प्रयासों का समर्थन करने और परिवर्तनकारी सुधारों को बढ़ावा देने केलिए रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विदेशी सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और वैश्विक नेताओं केसाथ सहयोग की भी उम्मीद करता है। चर्चा के विषयों में रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में वर्तमान चुनौतियां और अवसर शामिल होंगे जैसे-संसाधनों का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से आवंटन एवं उपयोग कैसे करें और लागत-सचेत तरीके से रसद का प्रबंधन कैसे करें। प्रतिभागी दुनियाभर में रक्षा अधिग्रहण से संबंधित वित्त और अर्थशास्त्र के विभिन्न मॉडलों और प्रथाओं केसाथ रक्षा अनुसंधान और विकास में नवीनतम विकास और नवाचारों पर भी विचार-विमर्श करेंगे। सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, सचिव पूर्व सैनिक कल्याण विजॉय कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार रक्षा सेवाएं रसिका चौबे, अतिरिक्त सीजीडीए प्रवीण कुमार और एसजी दस्तीदार तथा देश-विदेश के प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।