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Friday 21 April 2023 02:23:34 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सिविल सेवकों से केंद्रीय शासन और राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था में एकरूपता लाने का आह्वान किया है, ताकि परिकल्पित संघवाद, सहकारी संघवाद का रूप ले सके। लोक सेवाओं को शासन के मेरुदंड के रूपमें संदर्भित करते हुए उन्होंने कहाकि राष्ट्र के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने में सिविल सेवकों की भूमिका 'परिवर्तन के सबसे प्रत्यक्ष एवं प्रभावी प्रतिनिधियों' के रूपमें होती है। उपराष्ट्रपति 16वें सिविल सेवा दिवस पर नई दिल्ली विज्ञान भवन में आयोजित समारोह के उद्घाटन केबाद लोक सेवकों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि इस वर्ष के सिविल सेवा दिवस की विषयवस्तु 'विकसित भारत: नागरिकों को सशक्त बनाना और अंतिम छोर तक पहुंचना' है, यह भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वास्तविक प्रतिबिंब है, जो अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व भाव को सुरक्षित करने का प्रयास करता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आकांक्षी जिलों, स्मार्ट शहरों, जल जीवन मिशन, लेनदेन के डिजिटलीकरण और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जैसे प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों का विशेष रूपसे उल्लेख करते हुए कहाकि ये पहलें नागरिक सशक्तिकरण की प्रधानता केसाथ आगे बढ़ते हुए एक विकसित भारत की दिशा में हमारी उन्नति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उपराष्ट्रपति ने सिविल सेवा क्षमता निर्माण केलिए सितंबर 2020 में शुरू किएगए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी की भी प्रशंसा की, जो नए भारत की दृष्टि के अनुरूप सही दृष्टिकोण, कौशल तथा ज्ञान केसाथ भविष्य केलिए तैयार सिविल सेवा को और बेहतर आकार देने वाला परिवर्तनकारी बदलाव साबित हो रहा है। उन्होंने कहाकि अमृतकाल में सिविल सेवक वर्ष 2047 के योद्धा हैं, जो अब नींव रख रहे हैं, नए भारत और उस भारत को आकार दे रहे हैं, जो भारत अपनी स्वाधीनता की स्वर्ण शताब्दी मनाएगा।
उपराष्ट्रपति ने समाज के सभी वर्गों विशेष रूपसे दूरदराज के गांवों से निकली युवा प्रतिभाओं, छोटी पारिवारिक पृष्ठभूमि केसाथ-साथ हाशिए पर रहनेवाले समुदायों से बड़ी संख्या में सिविल सेवाओं में शामिल होने के बढ़ते प्रतिनिधित्व केलिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने लोक प्रशासन में महिलाओं की बढ़ती संख्या पर विशेष रूपसे कहाकि लोक प्रशासनिक ढांचे में महिलाओं की बढ़ती संख्या अधिक संवेदनशील और पूर्ण विकसित नौकरशाही का मार्ग प्रशस्त करेगी। जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत इतनी तेजीसे आगे बढ़ रहा है, जितना पहले कभी नहीं देखा गया था, निःसंदेह विकास की यह गति अजेय है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि सरकार की सकारात्मक और अभिनव पहल तथा लाभदायक नीतियों के प्रभावी कार्यांवयन के कारण ही भारत आज अवसरों एवं निवेश का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य स्थल बन चुका है।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत सितंबर 2022 में हमारे पूर्व औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था और सभी मान्यता प्राप्त संकेतों से पता चलता हैकि भारत इस दशक के अंततक तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र और इसे लोकतंत्र की जननी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश का लोकतंत्र सभी स्तरों पर चाहे गांव हो, नगरपालिका हो या फिर राज्यों और केंद्र की बात हो तो यह सबसे कार्यात्मक तथा जीवंत है। उन्होंने कहाकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हमारे जैसा स्तर किसी केभी पास में नहीं है और लोगों की आवाज़ को दबाने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारे अभूतपूर्व विकास और फलते-फूलते लोकतांत्रिक मूल्यों केप्रति अनदेखी करने का रुख अपनाने से कुछ लोगों को पीड़ा होना कष्टदायक होता है। जगदीप धनखड़ ने उन लोगों केप्रति निराशा व्यक्त की, जो भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों को नीचा दिखाने, निंदा, कलंकित तथा गलत साबित करने के दुस्साहस में शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह हैरान करने वाला होता हैकि जब आर्थिक विकास, नीति निर्माण और कार्यांवयन की बात आती है तो हममें से कुछ क्यों आनंदपूर्वक स्वघोषित लक्ष्यों का सहारा लेने लगते हैं? उपराष्ट्रपति ने इस अस्वास्थ्यकर आदत को समाप्त करने की आवश्यकता प्रकट की। उपराष्ट्रपति ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता केलिए पीएम पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहाकि ये पुरस्कार सिविल सेवकों की कड़ी मेहनत और समर्पण केलिए एक उपयुक्त भेंट है, वे रचनात्मक प्रतिस्पर्धा, नवाचार, प्रतिकृति और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के संस्थानीकरण को प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहाकि पुरस्कार लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लक्ष्य केसाथ प्रयास करने के उद्देश्य से सिविल सेवकों केलिए एक प्रेरक केतौर पर कार्य करते हैं। उपराष्ट्रपति ने देश में सभी स्तरों पर सिविल सेवकों के कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के अथक प्रयासों के माध्यम से वैश्विक मानदंड स्थापित करने में निभाई गई प्रशंसनीय भूमिका का विशेष तौरपर उल्लेख किया। उन्होंने त्वरित सेवा वितरण और नागरिक केंद्रित शासन केलिए सिविल सेवकों के नेतृत्व के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के महत्व को भी उजागर किया।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि एक नए मानदंड अर्थात संयुक्त विकास ने सभी स्तरों पर प्रशासनिक व्यवस्था में नई क्रांति ला दी है। जगदीप धनखड़ ने सबसे बड़े लोकतंत्र के रूपमें भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्तर किसी से कम नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने कहाकि भारत की संसद लोगों की आवाज़ का प्रतीक है और यही कारण हैकि आंतरिक एवं बाहरी दोनों तरह के खतरों से देश की संप्रभुता एवं सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा करना संसद का कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने इस दौरान 'राष्ट्रीय सुशासन वेबिनार श्रृंखला' पर ई-पुस्तक का अनावरण किया। उन्होंने भारत में सुशासन पद्धतियां-पुरस्कृत पहल' विषय पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, उपराष्ट्रपति के सचिव सुनील कुमार गुप्ता, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के सचिव वी श्रीनिवास और भारत सरकार के अन्य विभागों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।