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Monday 24 April 2023 02:33:29 PM
मुंबई। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई में रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के भारतीय रत्न और आभूषण पुरस्कार के 49वें संस्करण में भाग लिया और इस क्षेत्र के 28 शीर्ष निर्यातकों और सुविधा प्रदानकर्ताओं को सम्मानित किया। वाणिज्य व उद्योग मंत्री ने इस अवसर पर दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ने और प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक माहौल के बावजूद अच्छे परिणाम प्राप्त करने केलिए भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग की सराहना की। उन्होंने देश में सभी क्षेत्रों में निर्यात की व्यवस्थित वृद्धि सुनिश्चित करने केलिए एसईईपीज़ेड की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रसन्नता जताई। पीयूष गोयल ने कहाकि उद्योग के उत्पादों के डिजाइन, सौंदर्य और परंपरा एवं इनमें आधुनिकता का मिश्रण भारतीयता के भाव को दर्शाता है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि रत्न और आभूषण उद्योग देश के युवाओं केलिए लाखों रोज़गार अवसर सृजित करते हुए अपनी विकास गाथा जारी रखेगा। उन्होंने कहाकि हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कररहे हैंकि व्यापार करने में आसानी हो, ताकि इस क्षेत्रसे जुड़े सभी उद्योग सत्यनिष्ठा और कुशलता से व्यवसाय करना जारी रखें। उन्होंने कहाकि कड़ी प्रतिस्पर्धा केबीच भी सहयोग और मित्रता की भावना ही रत्न और आभूषण उद्योग को दूसरों से अलग करती है। कार्यक्रम के दौरान जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने केंद्रीय मंत्री को वित्तीय वर्ष 2022-23 केलिए भारत से माल और सेवाओं दोनों को मिलाकर कुल निर्यात में 770 बिलियन डॉलर की शानदार उपलब्धि केलिए बधाई दी। संयुक्त अरब अमीरात केसाथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते और भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते केलिए भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए जीजेईपीसी के अध्यक्ष ने आशा व्यक्त कीकि मुक्त व्यापार समझौते केलिए ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ केसाथ वर्तमान में जारी वार्तालाप से निर्यातकों को निर्यात में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े तक पहुंचने में सहायता मिलेगी।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने बतायाकि केंद्र सरकार की ओर से मुंबई में एसईईपीजेड केसाथ व्यापक सामान्य सुविधा केंद्र में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है और इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण केलिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का मानना हैकि नवीनतम तकनीक केसाथ मध्यम और लघुस्तर की इकाइयों की सहायता की जाए। विपुल शाह ने कहाकि पीयूष गोयल के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण और संरक्षण केसाथ तैयार किए जारहे इस केंद्र का उद्घाटन इसवर्ष सितंबर में करने की योजना है, जिसका संचालन और कार्यांवयन परिषद करेगी। उन्होंने बतायाकि इसके लिए एक विशेष समिति और परिषद ने सचिवालय पहले ही स्थापित कर लिया है, जो रिकॉर्ड समय में इसे कार्यांवित करने केलिए दैनिक आधार पर एसईईपीजेड प्राधिकरणों केसाथ समन्वय कर रहा है। जीजेईपीसी के अध्यक्ष ने कहाकि जीजेईपीसी ने पहले ही नवी मुंबई में दुनिया के सबसे बड़े आभूषण पार्कों में से एकका निर्माण प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से इस प्रतिष्ठान की स्थापना केलिए मार्गदर्शन मांगा है, जो तुर्की अथवा इटली की तरह ही आभूषणों के भारतीय निर्यात को इन्हीं के अनुरूप बदलना चाहता है।
गौरतलब हैकि वित्तीय वर्ष 2022-23 केलिए कुल रत्न और आभूषण निर्यात 2.48 प्रतिशत बढ़कर पिछले वर्ष इसी अवधि केलिए 293193.19 करोड़ रुपये की तुलना में 300462.52 करोड़ रुपये हो गया है। अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में कुल रत्न और आभूषण निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 39331.71 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 37468.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। बदलते व्यावसायिक परिदृश्य केसाथ तालमेल बिठाने केलिए पुरस्कार समारोह के 49वें संस्करण में नई पुरस्कार श्रेणियों जैसे ग्राहकों की अधिकतम संख्या, प्रयोगशाला में विकसित हीरे और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार, नया व्यवसाय मॉडल, सेवा क्षेत्र, पेटेंट, डिजिटल, ई-कॉमर्स को शामिल किया गया था। ब्रांड इंडिया के प्रचार में व्यावसायिक उत्कृष्टता और योगदान प्रदर्शित करने वाली कंपनियों को मान्यता देने के अलावा जीजेईपीसी ने वुमन एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर और उद्योग को वित्तपोषित करने वाले बैंकों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुंबई में बेल्जियम के महावाणिज्यदूत फ्रैंक गीर्केंस, निर्यात ऋण गारंटी निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सेंथिलनाथन, सांताक्रूज़ इलेक्ट्रॉनिक निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास आयुक्त श्याम जगन्नाथन एवं वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी उपस्थित थे।
वाणिज्य मंत्रालय की 1966 में स्थापित रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद भारत सरकार की कई निर्यात संवर्धन परिषदों में से एक है, जिसे देश में निर्यात पर जोर देने केलिए प्रारंभ किया गया था। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता केबाद की अर्थव्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश दिलाना है। वर्ष 1998 से जीजेईपीसी को स्वायत्तता का दर्जा दिया गया, जीजेईपीसी रत्न और आभूषण उद्योग का शीर्ष निकाय है और आज इस क्षेत्रमें 9000 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है। मुंबई में मुख्यालय केसाथ जीजेईपीसी के नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, सूरत और जयपुर में क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जो सभी उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। इस प्रकार अपनी व्यापक पहुंच के जरिए यह प्रत्यक्ष और अधिक सार्थक तरीके से सदस्यों की सेवा करने केलिए सदस्यों केसाथ घनिष्ठ संपर्क करने में सक्षम है। पिछले दशक में जीजेईपीसी सबसे सक्रिय ईपीसी में से एक के रूपमें उभरी है और अपनी प्रचार गतिविधियों में अपनी पहुंच और गहनता दोनों का विस्तार करने केसाथ अपने सदस्यों केलिए सेवाओं को और व्यापक बनाने एवं बढ़ावा देने केलिए निरंतर प्रयास कर रही है।