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Tuesday 25 April 2023 05:10:06 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से आज भारतीय सिविल लेखा सेवा के 2018-2021 बैच के अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने आईसीएएस अधिकारियों पर विश्वास जताया कि वे देश के वित्तीय प्रशासन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। उन्होंने कहाकि युवा सिविल सेवकों के रूपमें उनसे सार्वजनिक प्रशासन में उत्कृष्टता का प्रयास करने और संविधान में प्रदत्त मूल्यों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। राष्ट्रपति ने कहाकि वे जिस भी संगठन या विभाग में तैनात हों, उन्हें अपने कार्य के उद्देश्यों का पता होना चाहिए, प्रक्रिया का पालन करते हुए उद्देश्य से भटकना नहीं चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आईसीएएस अधिकारियों से आग्रह कियाकि वे सार्वजनिक कल्याण और देश के समावेशी विकास के उद्देश्य से कार्य करें। उन्होंने कहाकि भारतीय सिविल लेखा सेवा ने यह सुनिश्चित किया हैकि लेखा प्रक्रिया और लेखा रिपोर्ट सरकार में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने और लोक प्रशासन में पारदर्शिता लाने का साधन बने। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन की एक ठोस प्रणाली देश में न्यायसंगत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद करती है। उन्होंने कहाकि देश में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख संचालकों के रूपमें आईसीएएस अधिकारियों से उन प्रणालियों को डिजाइन विकसित और कार्यांवित करने की अपेक्षा की जाती है, जो अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र मेभी एक आदर्श बनते हैं। उन्होंने कहाकि लेखा महानियंत्रक की प्रकाशित राजकोषीय और वित्तीय रिपोर्ट कार्यकारी द्वारा सूचित निर्णय लेने केलिए एक आधार बन जाती है और बेहतर वित्तीय योजना और संसाधनों के प्रबंधन में मदद करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यांत्रिकीकरण और प्रौद्योगिकी के उपयोग ने देश में शासन के मानक बदल दिए हैं, हमने शासन प्रणालियों में प्रौद्योगिकी के उपयोग में तेज बदलाव देखा है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि डिजिटाइजेशन और ऑनलाइन सर्विस डिलीवरी से लोक प्रशासन में काफी हदतक पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। उन्होंने कहाकि नए लेखा सॉफ्टवेयर और क्लाउड स्टोरेज प्रौद्योगिकियों के आनेसे लेखांकन प्रक्रियाओं के अधिक सहज और सटीक होने की संभावना है। उन्होंने कहाकि उल्लेख कियाकि भारतीय इतिहास में हमें अभिलेख और पुस्तकें मिलती हैं, जो हमें बताती हैंकि लेखांकन और वित्तीय प्रबंधन हमारे पूर्वज भी करते थे, चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में लेखांकन के सिद्धांतों और पद्धति का विस्तृत विवरण दिया है, उन्होंने लेखांकन में गलत प्रथाओं को रोकने में नैतिकता की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।