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Sunday 4 June 2023 02:32:39 PM
किश्तवाड़। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि मौजूदा बिजली परियोजनाओं के पूरा होने केबाद जम्मू और कश्मीर का किश्तवाड़ उत्तर भारत का प्रमुख पावर हब बन जाएगा, जो लगभग 6000 मेगावाट बिजली पैदा करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने ओडिशा में दुखद ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के सम्मान में नागसेनी और दच्छन में दो सार्वजनिक रैलियों को रद्द कर दिया, इसके बजाय किश्तवाड़ और डोडा जिलों में विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा केलिए एक विस्तृत बैठक बुलाई। एनएचपीसी के अध्यक्ष राजीव विश्नोई, किश्तवाड़ के उपायुक्त देवांश यादव और केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने परियोजनाओं की प्रगति के बारेमें डॉ जितेंद्र सिंह को जानकारी दी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि किश्तवाड़ से अतिरिक्त बिजली का उपयोग न केवल जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों केलिए किया जाएगा, बल्कि अन्य राज्य भी इसका लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहाकि चिनाब के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का पिछली सरकारों, जिन्होंने 60-65 वर्ष तक जम्मू-कश्मीर पर शासन किया ने उचित उपयोग नहीं किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह किश्तवाड़ क्षेत्र को उत्तर भारत का एक प्रमुख पावर हब बनाता है। उन्होंने इन परियोजनाओं केलिए अकुशल नौकरियों में स्थानीय लोगों केलिए 100 प्रतिशत आरक्षण का भी आश्वासन दिया और कुशल जनशक्ति आवश्यकताओं में स्थानीय प्रतिभाओं को वरीयता देने का वादा किया। उल्लेखनीय हैकि पाकल दुल परियोजना 1000 मेगावाट क्षमता वाली सबसे बड़ी परियोजना है, इसकी अभीतक अनुमानित लागत 8112.12 करोड़ रुपए है और इसके पूरे होने की अपेक्षित समयसीमा 2025 है। एक अन्य प्रमुख परियोजना 624 मेगावाट की क्षमता वाली किरू जलविद्युत परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत 4285.59 करोड़ रुपये है और इसकी समयसीमा भी 2025 है।
किश्तवाड़ से लगभग 43 किलोमीटर दूर एक अन्य परियोजना 624 मेगावाट की क्षमता वाली क्वार जलविद्युत परियोजना है, इसकी अनुमानित लागत 4526.12 करोड़ रुपये है और इसकी समय सीमा 54 महीने है। किरू जलविद्युत परियोजना के लगभग 25 किलोमीटर अपस्ट्रीम में 930 मेगावाट की क्षमता वाली एक और जलविद्युत परियोजना कीर्थाई-II जलविद्युत परियोजना है, वहीं 850 मेगावाट की रतले परियोजना को केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर केबीच एक संयुक्त उद्यम के रूपमें पुनर्जीवित किया गया है। मौजूदा दुलहस्ती पावर स्टेशन की स्थापित क्षमता 390 मेगावाट है, जबकि दुलहस्ती-II जलविद्युत परियोजना की क्षमता 260 मेगावाट होगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ये परियोजनाएं न केवल बिजली आपूर्ति की स्थिति में वृद्धि करेंगी, बल्कि इन परियोजनाओं के निर्माण केलिए किया जा रहा भारी निवेश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय लोगों के लिए अवसर भी बढ़ाएगा, जिससे केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिजली आपूर्ति की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि 2014 से पहले किश्तवाड़ की सड़क यात्रा बोझिल थी और थोड़े से भूस्खलन पर डोडा-किश्तवाड़ सड़क अवरुद्ध हो जाती थी, लेकिन आज जम्मू से किश्तवाड़ तक सड़क यात्रा का समय 2014 के 7 घंटे के मुकाबले कम होकर अब 5 घंटे से भी कम हो गया है। उन्होंने कहाकि इन 9 वर्ष के दौरान किश्तवाड़ भारत के उड्डयन मानचित्र पर आया है और केंद्र की उड़ान योजना के तहत एक हवाई अड्डे को मंजूरी दी गई है, जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि किश्तवाड़ को एक आयुष अस्पताल मिला है, जबकि पादार को केंद्र की रुसा योजना के तहत एक केंद्रीय विद्यालय दिया गया था, क्योंकि तत्कालीन राज्य सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि खिलानी-सुधमहादेव राजमार्ग सहित तीन नए राष्ट्रीय राजमार्ग, डिग्री कॉलेजों की एक श्रृंखला, मचैल यात्रा के रास्ते में मोबाइल टावर और अन्य दूरदराज के इलाके भी मोदी सरकार के दौरान सामने आए हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने नागरिकों से आह्वान कियाकि वे अरोमा मिशन के तहत स्टार्टअप के अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने केलिए युवाओं को प्रेरित करें, जो पहले से ही भद्रवाह में चल रहा है और इसे आजीविका के अबतक अनछुए स्रोत के रूपमें देखा जाता है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य पहाड़ी राज्यों जैसे क्षेत्रों को पिछले 60-65 वर्ष के दौरान केंद्र की सरकारों की अदूरदर्शी नीतियों के कारण कई तरह से नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन मोदी सरकार के सत्ता संभालने के तुरंत बाद 2014 में प्रधानमंत्री ने कहा थाकि उत्तर पूर्वी क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर और अन्य पिछड़े क्षेत्रों को देश के अधिक विकसित क्षेत्रों के बराबर लाने केलिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमेशा भारत में एक नई कार्य संस्कृति शुरू करने का श्रेय दिया जाएगा, जिसमें प्रत्येक गरीब समर्थक और जन कल्याणकारी योजनाओं को इस तरह से डिजाइन किया गया था, ताकि सबसे अधिक जरूरतमंदों या गरीबों और जाति, पंथ, धर्म या वोट के विचार की परवाह किए बिना अंतिम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा जा सके। उन्होंने कहाकि इसी तरह समकालीन भारत के उभरते परिदृश्य को देखते हुए लगातार स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया गया है, जो अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हों।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ग़रीब कल्याण अन्न योजना, जनधन, उज्जवला, शौचालय, पीएम आवास, हरघर जल, हरघर बिजली और आयुष्मान जैसी क्रांतिकारी योजनाएं किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी और दुर्गम इलाकों सहित देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी हैं। उन्होंने कहाकि लोगों को बिना किसी भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जबकि पहले के दौर में तुष्टीकरण की नीति प्रचलित थी। उन्होंने कहाकि इन कल्याणकारी उपायों ने करोड़ों लोगों को घोर गरीबी के चंगुल से बाहर निकाला और उन्हें सम्मान का जीवन दिया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उन राज्यों जहां सुविधाएं पहुंच चुकी हैं, उनकी बजाय किश्तवाड़, उत्तर-पूर्व और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों जैसे अप्रयुक्त क्षमता वाले क्षेत्र भारत की अगले 25 वर्ष की यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहाकि 2047 में जब दुनिया भारत के स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का जश्न मना रही होगी तो भारत को यह इलाके एक अग्रिम पंक्ति के राष्ट्र के रूपमें आगे बढ़ाएंगे। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री सुनील शर्मा, डीडीसी सदस्य स्थानीय पीआरआई प्रतिनिधि और प्रमुख राजनीतिक नेता, भाजपा अध्यक्ष चुन्नी लाल, वरिष्ठ नेता तारिक कीन, प्रदीप परिहार, कैप हुकुम चंद केसाथ क्षेत्र के कई राजनीतिक लोग इस दौरान राज्यमंत्री के साथ थे।