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'भारत के विकास से कुछ लोग खुश नहीं'

उपराष्ट्रपति ने आईडीईएस प्रशिक्षुओं के सामने चिंता जताई

'देश व संस्थानों की छवि को कलंकित करने की कोशिशें'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 7 June 2023 12:31:18 PM

vice president expresses concern in front of ides trainees

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि हम दूसरों को खुदको परखने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि उनकी परख वस्तुनिष्ठ नहीं है। उन्होंने यह टिप्पणी इस बात कीकि देश के अंदर और बाहर के लोग हमें परखने की कोशिश कर रहे हैं और भारत के विकास से कुछ लोग खुश नहीं हैं, क्योंकि हमारा देश दुनिया में शांति, स्थिरता और सद्भाव में विश्वास करता है। उन्होंने कहाकि कुछ ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका राष्ट्र केप्रति अच्छा व्यवहार नहीं है और वे हमारे देश एवं संस्थानों की छवि को धूमिल और कलंकित करते हैं, वास्तविक सच्चाई को देखने केलिए एकतरफा और अदूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हैं। उन्होंने कहाकि यह कहनाकि भारत का उत्थान नहीं हो रहा है, वास्तविक सच्चाई को नज़रअंदाज करना है, हमारी उन्नति आंकड़ों में, लोगों की संतुष्टि और उनके जीवन की बेहतरी में स्पष्ट है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ये चिंता भारतीय रक्षा संपदा सेवा के 2021-22 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों केसाथ उपराष्ट्रपति निवास पर बातचीत करते हुए प्रकट की। उन्होंने डिजिटल लेनदेन, इंटरनेट उपयोग, बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देश की कई प्रशंसनीय उपलब्धियां भी गिनाईं। नए संसद भवन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि सभी सुविधाओं से लैस यह विशाल भवन महज ढाई साल के रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है, यह इमारत पूरी तरह से तैयार है और नए संसद भवन में देश की पूरी संस्कृति झलकती है। उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहाकि उन्हें 1.4 बिलियन लोगों की सेवा करने का एक दुर्लभ अवसर मिला है, चाहे कोईभी चुनौती या कुछभी प्रलोभन हो, हमेशा देश को सबसे ऊपर रखें। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहाकि भौतिक लाभ केवल उस सीमातक आवश्यक है, जो आपको जीवित रहने केलिए जरूरी है, इसके अलावा यह मातृभूमि की सेवा करने और दूसरों की सेवा करने का संतोष है।
भारतीय रक्षा संपदा सेवा को देशभर में एक बड़े भूमि क्षेत्र का संरक्षक और मार्गदर्शक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि प्रकृति और वहां रहने वाले लोगों की बेहतरी केलिए वृक्षारोपण, बागवानी और चिकित्सा या हर्बल पेड़ के माध्यम से रक्षा भूमि के प्रत्येक इंच का दोहन किया जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि इस प्रक्रिया में आईडीईएस के प्रशिक्षु अधिकारी न केवल रक्षा संपदा के उत्कर्ष में बड़ा योगदान देंगे, बल्कि प्रकृति केप्रति प्रेम और सम्मान के हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक लोकाचार का पोषण करके मां भारती की सेवा करेंगे। इस अवसर पर रक्षा संपदा महानिदेशक जीएस राजेश्वरन, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक संजीव कुमार, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के पाठ्यक्रम निदेशक सत्यम मोहन, आईडीईएस के प्रशिक्षु अधिकारी और उपराष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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