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'मजबूत व आत्मनिर्भर सेना संप्रभु राष्ट्र की रीढ़'

'सैन्य आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है'

रक्षामंत्री का लखनऊ में आत्मनिर्भर भारत विषय पर रक्षा संवाद

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Saturday 17 June 2023 04:32:40 PM

defense minister rajnath singh

लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में पूर्व सैनिकों की पहल स्ट्राइव थिंक-टैंक और एक मीडिया संगठन के आयोजित 'आत्मनिर्भर भारत' पर रक्षा संवाद में कहा हैकि आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, क्योंकि भारत आज तेजीसे बदलते विश्व में उभर रही युद्धकला के नए आयामों केसाथ-साथ अपनी सीमाओं पर दोहरे खतरे का सामना कर रहा है। रक्षामंत्री ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना को एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ बताया, जो सीमाओं की रक्षा के अतिरिक्त देश की सभ्यता और संस्कृति की सुरक्षा करती है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित कर रही हैकि सशस्त्र बल विदेशी हथियारों और उपकरणों पर निर्भर न हों, असली शक्ति आत्मनिर्भर होने में निहित है, विशेष रूपसे जब कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने युद्धकला की प्रकृति में प्रौद्योगिकी से लाए गए आमूलचूल परिवर्तन पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों और प्लेटफार्मों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो नई और उभरती चुनौतियों से निपटने केलिए सशस्त्र बलों को सुसज्जित और तैयार करते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि आज अधिकांश हथियार इलेक्ट्रॉनिक आधारित प्रणालियां हैं, जो शत्रुओं के समक्ष संवेदनशील जानकारी प्रकट कर सकते हैं, चूंकि आयातित उपकरणों की कुछ सीमाएं हैं, हमें इसके दायरे से आगे जाने और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता अर्जित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि नवीनतम हथियार या उपकरण हमारे सैनिकों की बहादुरी के समान ही महत्वपूर्ण हैं, यदि भारत वैश्विक स्तर पर एक सैन्य शक्ति बनना चाहता है तो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है।
आत्मनिर्भर होने के लाभों को गिनाते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि इससे न केवल आयात पर व्यय कम होगा, बल्कि सिविल सेक्टर को बहुआयामी लाभ भी प्राप्त होगा। उन्होंने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी विकसित करने की अपील की, जो रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के अतिरिक्त लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाए। रक्षामंत्री ने एक मजबूत रक्षा इकोसिस्टम बनाने केलिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया, जो न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति भी करता है। इनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे की स्थापना, वित्तीय वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग केलिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का रिकॉर्ड 75 प्रतिशत निर्धारित करना, निजी उद्योग केलिए 25 प्रतिशत आरएंडडी बजट और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने केलिए रक्षा उत्कृष्टता केलिए नवोन्मेषण पहल और प्रौद्योगिकी विकास कोष शामिल है।
रक्षामंत्री ने कहाकि उत्तर प्रदेश डीआईसी पर मिशन मोड में काम चल रहा है और अबतक लगभग 1700 हेक्टेयर भूमि के 95 प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा चुका है, इनमें से 36 उद्योगों और संस्थानों को करीब 600 हेक्टेयर जमीन आवंटित की जा चुकी है, 16000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश मूल्य केसाथ 109 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने बतायाकि यूपीडीआईसी में विभिन्न संस्थाओं से अबतक लगभग 2500 करोड़ रुपये का कुल निवेश किया जा चुका है और यह गलियारा न केवल स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन करेगा, बल्कि ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्धकला, विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण और असेम्बल भी करेगा।
रक्षामंत्री ने रेखांकित कियाकि पिछले कुछ वर्ष में सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा उत्पादन और लगभग 16000 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। उन्होंने विश्वास जतायाकि रक्षा निर्यात शीघ्र ही 20000 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर लेगा। उन्होंने कहाकि हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने केलिए एक अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहे हैं, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूपसे शक्तिशाली और पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत बनाना है, जो एक शुद्ध रक्षा निर्यातक भी हो। इस अवसर पर यूपीडीआईसी के मुख्य नोडल अधिकारी एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (सेवानिवृत्त), सशस्त्र बलों और डीआरडीओ के अधिकारी तथा उद्योग एवं शिक्षा जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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