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Friday 30 June 2023 04:31:24 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रत्येक छात्र, शिक्षक और दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहाकि डीयू की 100 साल पुरानी यात्रा में कई ऐतिहासिक पड़ाव रहे हैं, जिन्होंने कई छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों के जीवन को जोड़ा है। उन्होंने टिप्पणी कीकि दिल्ली विश्वविद्यालय सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, इसने हर एक आंदोलन को जिया है और हर आंदोलन में जान भरदी है। प्रधानमंत्री ने पुराने और नए छात्रों को ध्यान में रखते हुए कहाकि यह आपस में जुड़ने का एक अवसर है, इन सौ वर्ष में डीयू ने अगर अपनी भावनाओं को जीवित रखा है तो अपने मूल्यों को भी जीवंत रखा है। ज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि जब भारत में नालंदा और तक्षशिला जैसे जीवंत विश्वविद्यालय थे तो यह समृद्धि के चरम पर था। उन्होंने उस समय की वैश्विक जीडीपी में उच्च भारतीय हिस्सेदारी को रेखांकित करते हुए कहाकि भारत की समृद्ध शिक्षा प्रणाली भारत की समृद्धि की वाहक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुलामी के कालखंड में लगातार हमलों ने इन संस्थानों को नष्ट कर दिया, जिससे भारत के बौद्धिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न हुई और विकास रुक गया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश की आजादी केबाद विश्वविद्यालयों ने प्रतिभाशाली युवाओं की एक मजबूत पीढ़ी तैयार करके आजादी केबाद के भारत की भावनात्मक प्रगति को ठोस आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहाकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाई है और अतीत की यह समझ हमारे अस्तित्व को आकार देती है, हमारे आदर्शों को आकार देती है और भविष्य की दृष्टि को विस्तार देती है। प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में बनने वाले प्रौद्योगिकी संकाय, कंप्यूटर केंद्र और शैक्षणिक ब्लॉक के भवन की आधारशिला रखी। उन्होंने स्मारक शताब्दी खंड-शताब्दी समारोहों का संकलन जारी किया, लोगो बुक-दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों का लोगो और आभा-दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्ष। प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचने केलिए मेट्रो की सवारी की, यात्रा के दौरान छात्रों से भी बातचीत की। उन्होंने प्रदर्शनी 100 वर्षों की यात्रा का अवलोकन किया। उन्होंने संगीत एवं ललित कला संकाय की प्रस्तुत सरस्वती वंदना और विश्वविद्यालय कुलगीत भी देखा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में भाग लेने का दृढ़ निर्णय लिया है और कहाकि यह भावना घर वापसी जैसी है। उनके संबोधन से पहले चलाई गई लघु फिल्म का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि दिल्ली विश्वविद्यालय से निकले व्यक्तित्वों के योगदान से यहां की झलक मिलती है। विश्वविद्यालय की किसीभी यात्रा केलिए सहकर्मियों केसाथ के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में पहुंचने केलिए मेट्रो से यात्रा करने का अवसर मिलने पर खुशी व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कहाकि दिल्ली विश्वविद्यालय का शताब्दी समारोह ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहाकि किसीभी देश के विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान उसकी उपलब्धियों का प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब किसी व्यक्ति या संस्था का संकल्प देश केप्रति होता है तो उसकी उपलब्धियां राष्ट्र की उपलब्धियों के बराबर होती हैं। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि जब दिल्ली विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई थी, तब इसके अंतर्गत केवल 3 कॉलेज थे, लेकिन आज इसके अंतर्गत 90 से अधिक कॉलेज हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी रेखांकित कियाकि भारत जिसे कभी नाजुक अर्थव्यवस्था माना जाता था, वह अब दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। यह देखते हुएकि डीयू में पढ़ने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है प्रधानमंत्री ने बतायाकि देश में लिंग अनुपात में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने एक विश्वविद्यालय और एक राष्ट्र के संकल्पों केबीच अंतर्संबंध के महत्व पर जोर दिया और कहाकि शैक्षणिक संस्थानों की जड़ें जितनी गहरी होंगी, देश की प्रगति उतनी ही अधिक होगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब दिल्ली विश्वविद्यालय पहलीबार शुरू हुआ था तो उसका लक्ष्य भारत की आजादी था, लेकिन अब जब भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे तो संस्थान के 125 साल पूरे हो जाएंगे, दिल्ली विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारत को 'विकसित भारत' बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहाकि पिछली सदी के तीसरे दशक ने भारत की आजादी के संघर्ष को नई गति दी, अब नई सदी का तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को गति देगा।
नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, आईआईटी, आईआईएम और एम्स का संकेत देते हुए कहाकि ये सभी संस्थान नए भारत के निर्माण खंड बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछली सदी के तीसरे दशक ने भारत की आजादी के संघर्ष को नई गति दी, अब नई सदी का तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को गति देगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दियाकि शिक्षा केवल शिक्षण की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि सीखने का एक तरीका भी है। उन्होंने बतायाकि लंबे समय केबाद एक छात्र क्या सीखना चाहता है, उसपर ध्यान केंद्रित हो रहा है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विषयों के चयन में लचीलेपन की बात की। संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार और उनमें प्रतिस्पर्धात्मकता लाने की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क का उल्लेख किया, जो संस्थानों को प्रेरित कर रहा है। उन्होंने संस्थानों की स्वायत्तता को शिक्षा की गुणवत्ता से जोड़ने के प्रयास की ओर भी इशारा किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भविष्य की शैक्षिक नीतियों और फैसलों के कारण भारतीय विश्वविद्यालयों की मान्यता बढ़ रही है। उन्होंने बतायाकि जहां 2014 में क्यूएस विश्व रैंकिंग में केवल 12 भारतीय विश्वविद्यालय थे, वहीं आज यह संख्या 45 तक पहुंच गई है। उन्होंने इस परिवर्तन केलिए मार्गदर्शक शक्ति के रूपमें भारत की युवा शक्ति को श्रेय दिया।
प्रधानमंत्री ने शिक्षा को प्लेसमेंट और डिग्री तक सीमित मानने की अवधारणा से आगे निकलने केलिए आज के युवाओं की सराहना की। उन्होंने कहाकि वे अपनी खुद की राह बनाना चाहते हैं और इस सोच के प्रमाण के रूपमें एक लाख से अधिक स्टार्टअप, 2014-15 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक पेटेंट फाइलिंग और ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में वृद्धि प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका केसाथ क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी या आईसीईटी पर समझौते पर प्रकाश डाला और कहाकि यह एआई से सेमीकंडक्टर तक विभिन्न क्षेत्रों में भारत के युवाओं केलिए नए अवसर पैदा करेगा। उन्होंने कहाकि इससे उन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच संभव हो सकेगी, जो कभी हमारे युवाओं की पहुंच से बाहर थीं और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने बतायाकि माइक्रोन, गूगल, एप्लाइड मैटेरियल्स आदि कंपनियों ने भारत में निवेश करने का फैसला किया है और यह युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की झलक प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि उद्योग 4.0 क्रांति भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही है, एआई, एआर और वीआर जैसी प्रौद्योगिकियां, जो केवल फिल्मों में देखी जा सकती थीं, अब हमारे वास्तविक जीवन का हिस्सा बन गई हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि ड्राइविंग से सर्जरी तक रोबोटिक्स नया सामान्य हो गया है और ये सभी क्षेत्र भारत की युवा पीढ़ी केलिए नए रास्ते बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते वर्षों में भारत ने अपने अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र को खोला है और ड्रोन से संबंधित नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिला है। प्रधानमंत्री ने छात्रों पर भारत की बढ़ती छवि के प्रभाव के बारेमें बताया। उन्होंने कहाकि अब लोग भारत के बारेमें जानना चाहते हैं। उन्होंने कोरोनाकाल में दुनिया को भारत की मदद का जिक्र किया, इससे दुनिया में भारत के बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा पैदा हुई, जो संकट के दौरान भी काम करता है। उन्होंने कहाकि जी20 प्रेसीडेंसी जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ती मान्यता छात्रों केलिए योग, विज्ञान, संस्कृति, त्यौहार, साहित्य, इतिहास, विरासत और व्यंजन जैसे नए रास्ते बना रही है। उन्होंने कहाकि भारतीय युवाओं की मांग बढ़ रही है, जो दुनिया को भारत के बारेमें बता सकें और हमारी बातों को दुनिया तक पहुंचा सकें। प्रधानमंत्री ने कहाकि लोकतंत्र, समानता और आपसी सम्मान जैसे भारतीय मूल्य मानवीय मूल्य बन रहे हैं, जिससे सरकार और कूटनीति जैसे मंचों पर भारतीय युवाओं केलिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दियाकि इतिहास, संस्कृति और विरासत पर ध्यान भी युवाओं केलिए नए अवसर पैदा कर रहा है। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित किए जारहे जनजातीय संग्रहालयों और पीएम संग्रहालय के जरिए स्वतंत्र भारत की विकास यात्रा को प्रस्तुत किए जाने का उदाहरण दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त कीकि दुनिया का सबसे बड़ा विरासत संग्रहालय-'युगे युगीन भारत' दिल्ली में बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भारतीय शिक्षकों की बढ़ती मान्यता को भी स्वीकार किया और उल्लेख कियाकि कैसे विश्व नेता अक्सर उन्हें अपने भारतीय शिक्षकों के बारेमें बताते हैं, भारत की ये सॉफ्ट पॉवर भारतीय युवाओं की सफलता की कहानी बन रही है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से इस विकास केलिए अपनी मानसिकता तैयार करने को कहा। उन्होंने इसके लिए एक रोडमैप तैयार करने को कहा और दिल्ली यूनिवर्सिटी से कहाकि जब वह 125 साल का जश्न मनाए तो उन्हें दुनिया के शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों में शामिल होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि भविष्य बनाने वाले इनोवेशन यहीं हों, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विचार और नेता यहीं से निकलें, इसके लिए आपको लगातार काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने अपने दिमाग और दिल को उस लक्ष्य केलिए तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो हम जीवन में अपने लिए निर्धारित करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित कियाकि किसी राष्ट्र के दिमाग और दिल को तैयार करने की जिम्मेदारी उसके शैक्षणिक संस्थानों को पूरी करनी होगी। प्रधानमंत्री ने विश्वास जतायाकि दिल्ली विश्वविद्यालय इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए इन संकल्पों को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकालाकि हमारी नई पीढ़ी को भविष्य केलिए तैयार होना चाहिए, चुनौतियों को स्वीकार करने और उनका सामना करने का स्वभाव होना चाहिए, यह केवल शैक्षणिक संस्थान के दृष्टिकोण और मिशन के माध्यम से संभव है। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह और छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं स्टाफकर्मी उपस्थित थे। गौरतलब हैकि दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मई 1922 को हुई थी। बीते सौ वर्ष में दिल्ली विश्वविद्यालय का काफी विकास और विस्तार हुआ है और अब इसमें 86 विभाग, 90 कॉलेज और 6 लाख से अधिक छात्र हैं और इसने राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान दिया है।