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Tuesday 4 July 2023 12:37:55 PM
नई दिल्ली। रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने कहा हैकि भारत सरकार सैन्य विमानन में गुणवत्ता आश्वासन यानी क्यूए सुनिश्चित करने और रक्षा विनिर्माण उद्योग के स्वदेशीकरण से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के क्रम में उचित उपाय करने केलिए प्रतिबद्ध है। वे नई दिल्ली में 'स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने केलिए सैन्य विमानन में क्यूए सुधार' विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य भाषण दे रहे थे। रक्षा सचिव वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय, रक्षा मंत्रालय और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स समारोह में मुख्य अतिथि थे। रक्षा सचिव ने कहाकि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से जुड़े विजन के अनुरूप प्रगति कर रहा है।
रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने कहाकि यह एक चुनौती है, लेकिन प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं और इसे हासिल करने केलिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र से वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन अनुसंधान एवं परीक्षण में और अधिक निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि विमानन क्षेत्र एक जटिल क्षेत्र है, जिसमें उन्नत प्रौद्योगिकी और सुरक्षा एवं मिशन की सफलता से संबंधित महत्वपूर्ण विचार शामिल होते हैं, इन जोखिमों को दूर करने केलिए वैश्विक विमानन उद्योग राज्य या सरकारी एजेंसियों की शासित उड़ान योग्यता रूपरेखा के तहत काम करते हैं। उन्होंने बतायाकि भारत में डीजीएक्यूए से युक्त तकनीकी उड़ान योग्यता प्राधिकरण गुणवत्ता आश्वासन के माध्यम से उड़ान योग्यता सुनिश्चित करता है और सैन्य उड़ान योग्यता एवं प्रमाणन केंद्र डिजाइनों की उड़ान योग्यता सुनिश्चित करता है तथा सभी भारतीय विमानन उद्योगों केलिए उड़ान योग्यता प्रमाणन और गुणवत्ता आश्वासन प्रदान करता है।
गौरतलब हैकि भारत सरकार के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रमों के हिस्से के रूपमें डीजीएक्यूए भारतीय रक्षा आवश्यकताओं केलिए संभावित आपूर्तिकर्ता बनने और राष्ट्रीय रक्षा तैयारियों में योगदान देने केलिए विभिन्न पहल कर रहा है, ताकि अधिकतम संख्या में विमानन उत्पाद निर्माताओं को शामिल किया जा सके। कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य डीजीएक्यूए द्वारा वित्तीय सहायता एवं मार्गदर्शन पहलों को रेखांकित करना है, जो भारतीय निर्माताओं को रक्षा विमानन विनिर्माण व्यवसाय में प्रवेश करने की सुविधा प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त स्वदेशी विनिर्माण की क्षमता बढ़ाने केलिए समर्थन और सहायता से संबंधित किसीभी अन्य आवश्यकता की पहचान करना है। कार्यशाला में रक्षा मंत्रालय, भारतीय वायुसेना, सेना विमानन, नौसेना विमानन, भारतीय तटरक्षक, डीआरडीओ लैब्स, सीईएमआईएलएसी के वरिष्ठ अधिकारियों और भारतीय विमानन उद्योग के अग्रणियों ने भाग लिया।