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Tuesday 11 July 2023 04:31:50 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने निर्भया कोष के अंतर्गत बलात्कार, सामूहिक बलात्कार पीड़ितों और गर्भवती होनेवाली नाबालिग बालिकाओं को न्याय दिलाने की प्रक्रिया के दौरान उनकी देखभाल और सहायता केलिए 74.10 करोड़ रुपये की योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य उन नाबालिग लड़कियों को आश्रय, भोजन, दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति, न्यायालय की सुनवाई में भाग लेने केलिए सुरक्षित परिवहन और कानूनी सहायता प्रदान करना है, जिन्हें बलात्कार या सामूहिक बलात्कार या किसी अन्य कारण से जबरन गर्भधारण के कारण उनका परिवार उन्हें छोड़ देता है और उनके पास अपना भरण-पोषण करने केलिए कोई अन्य साधन नहीं होता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2021 में पोक्सो अधिनियम के तहत 51863 मामले दर्ज किए थे, जिनमें से 64 प्रतिशत यानी 33348 मामले धारा 3 यानी पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट और धारा 5 यानी ऐग्रवेट पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट के तहत दर्ज किए गए थे। इस डेटा के विश्लेषण से पता चलता हैकि अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत दर्ज किएगए कुल 33348 अपराधों में से 99 प्रतिशत (33.036) अपराध बालिकाओं केसाथ हुए हैं। इनमें से कई मामलों में बालिकाएं गर्भवती हो जाती हैं और कई शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझती हैं। ये समस्याएं उस समय और भी बढ़ जाती हैं, जब उन्हें अपना ही परिवार अस्वीकार कर देता है, त्याग देता है अथवा वे अनाथ हो जाती हैं।
योजना के उद्देश्य हैं-पीड़ित बालिकाओं को एकही मंच पर समर्थन और सहायता प्रदान करना, शिक्षा, पुलिस सहायता, चिकित्सा मातृत्व, नवजात शिशु और शिशु देखभाल सहित मनोवैज्ञानिक और मानसिक परामर्श, कानूनी सहायता और बालिकाओं केलिए बीमा कवर सहित तत्काल आपातकालीन और गैर-आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान करना, ताकि पीड़िता और उसके नवजात शिशु को एकही मंच पर न्याय और पुनर्वास संबंधी सहायता मिल सके। योजना के पात्रता मानदंड में शामिल हैं-18 वर्ष से कम आयु की पीड़िता, पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट-पोक्सो अधिनियम की धारा 3, ऐग्रवेट पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट-पोक्सो अधिनियम की धारा 5, भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 376, 376ए-ई और इस तरह के दुष्कर्म के कारण यदि बालिका गर्भवती हो गई है तो योजना का लाभ दिया जाता है। ऐसी बालिका एक अनाथ हो या परिवार द्वारा त्याग दिया गया हो या परिवार केसाथ नहीं रहना चाहती हो।
देखभाल और सहायता योजना केतहत लाभ प्राप्त करने केलिए पीड़ित बालिका केपास एफआईआर की प्रति होना अनिवार्य नहीं है, हालांकि योजना को लागू करने केलिए यह सुनिश्चित करना जिम्मेदार व्यक्तियों का दायित्व होगाकि पुलिस को जानकारी प्रदान की जाए और एफआईआर दर्ज की जाए। बाल देखभाल संस्थानों, बालगृह में पालन की जानेवाली प्रक्रिया, बालिका गृह का प्रभारी व्यक्ति पीड़ित बालिका केलिए एक अलग सुरक्षित स्थान प्रदान करेगा, क्योंकि उसकी आवश्यकताएं गृह में रहने वाले अन्य बच्चों से भिन्न हैं। इस बालिका की देखभाल केलिए प्रभारी व्यक्ति तुरंत मामले से संबंधित एक कर्मी को नियुक्त करेगा। पीड़िता की देखभाल और सुरक्षा केलिए गृह को अलग से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। मिशन वात्सल्य दिशा-निर्देशों केतहत पोक्सो पीड़िताओं के उचित पुनर्वास और समर्थन केलिए प्रावधान भी किए जाएंगे।