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Saturday 15 July 2023 04:34:23 PM
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने डीआरडीओ निदेशकों के सम्मेलन में कहा हैकि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति भू-राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव के अनुरूप विकसित होनी चाहिए, जो युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी संघर्ष के पूरे परिदृश्य पर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहाकि इन बदलावों को इस तरीके से आत्मसात करना होना चाहिए, ताकि चुनौतियों का सामना किया जा सके और अवसरों का लाभ उठाया जा सके। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने केलिए प्रदर्शन, सुधार, परिवर्तन, जानकारी और अनुरूपता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी और रणनीति में श्रेष्ठता समय की मांग है और भारतीय सशस्त्र बल नई प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहे हैं। संयुक्तता, एकीकरण और युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी की अवधारणा एक मौलिक परिवर्तन है, जो शुरू की जाने वाली है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहाकि यह आज़ादी केबाद किए गए दूरगामी प्रभाव वाले सबसे महत्वाकांक्षी परिवर्तनों में से एक है। संयुक्तता और एकीकरण की दिशा में उठाए जानेवाले सही कदमों पर इस यात्रा की शुरुआत निर्भर करती है। सीडीएस ने कहाकि भौतिक डोमेन में एकीकरण का उद्देश्य गुणात्मक प्रभाव प्राप्त करना है, क्योंकि यह युद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ावा देने केलिए एकीकृत प्रक्रियाओं और संरचनाओं के माध्यम से सेवाओं की विशिष्ट क्षमताओं को संयोजित करता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने उद्घाटन भाषण में युद्ध की प्रकृति में होनेवाले बदलावों और उनमें शामिल गंभीरता पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया के लक्ष्य के अनुरूप सुधार और बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया।
जनरल अनिल चौहान ने डीआरडीओ की प्रणालियों और उप-प्रणालियों की दूसरी सूची जारी की, ताकि आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप उद्योग जगत इनका डिजाइन, विकास और निर्माण कर सकें। डीआरडीओ की यह दूसरी सूची, पहले जारी की गई 108 वस्तुओं की सूची का अगला क्रम है। उन्होंने उत्पादन समन्वय केलिए डीआरडीओ दिशा-निर्देश भी जारी किए, जो डीआरडीओ के विकसित सैन्य उपकरणों, प्लेटफार्मों या प्रणालियों के उत्पादन से जुड़े मुद्दों के उत्पादन समन्वय और समाधान की रूपरेखा तैयार करते हैं। दिशा-निर्देश डिजाइनरों, उपयोगकर्ताओं, उत्पादन एजेंसियों, गुणवत्ता एजेंसियों और अन्य हितधारकों को शामिल करके इन प्रणालियों के उत्पादन से संबंधित मुद्दों को हल करने केलिए दो स्तरीय व्यवस्था प्रस्तुत करते हैं। यह पहल भारतीय रक्षा उद्योग केलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
गौरतलब हैकि विभिन्न चिंतन शिविर बैठकों और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इनके परिणामों की समीक्षा केबाद इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसमें डीआरडीओ के शीर्ष अधिकारी भाग ले रहे हैं, जिनमें विभिन्न प्रौद्योगिकी केसाथ-साथ कॉर्पोरेट कंपनियों के निदेशक, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के निदेशक, डीआरडीओ मुख्यालयों के निदेशक और एकीकृत वित्तीय सलाहकार शामिल हैं। इसके छह तकनीकी सत्रों में नई सरकारी नीतियों और उभरते परिदृश्यों के मद्देनज़र डीआरडीओ की भूमिका को फिरसे परिभाषित करना विषय के अनुरूप विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा एवं प्रत्येक सत्र केबाद एक पैनल चर्चा आयोजित की जाएगी।