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Sunday 16 July 2023 01:45:46 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जी20 युवा उद्यमी गठबंधन शिखर सम्मेलन में कहा हैकि भारत में चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण से अंतरिक्ष स्टार्टअप और अंतरिक्ष उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2020 में निजी भागीदारी केलिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोले जाने केबाद से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने पिछले साल नवंबर में भारत के पहले निजी सबऑर्बिटल रॉकेट विक्रम को सफलतापूर्वक लॉंच करके इतिहास रचा था। डॉ जितेंद्र सिंह ने जी20 देशों के युवा वैज्ञानिकों और युवाओं से अंतरिक्ष उद्यमिता के उद्देश्य से संयुक्त मिशन मोड में आकर्षक स्टार्टअप उद्यमों से अंतरिक्ष क्षेत्र में संभावनाएं तलाशने का आह्वान किया है। उन्होंने बतायाकि भारत के अबतक प्रक्षेपित किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 389 नरेंद्र मोदी सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल में लॉंच किए गए हैं।
अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री ने कहाकि जनवरी 2018 से अबतक इसरो ने वाणिज्यिक समझौते केतहत ऑनबोर्ड पीएसएलवी और जीएसएलवी-एमके III लॉंचर से कोलंबिया, फ़िनलैंड, इज़राइल, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया, नीदरलैंड, सिंगापुर, स्पेन, स्विट्जरलैंड, अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जापान, कोरिया गणराज्य सहित प्रमुख जी20 देशों से संबंधित 200 से अधिक विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉंच किया है। उन्होंने अंतरिक्ष और इससे संबद्ध अन्य क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों को तेजीसे बढ़ाने केलिए राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूपसे जी20 देशों केबीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर जोर दिया। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमरीका यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हो गया हैकि अमेरिका अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत को एक समान भागीदार एवं सहयोगी के रूपमें मानता है। उन्होंने कहाकि नासा भारत के अंतरिक्ष यात्रियों से आग्रह कर रहा है और आर्टेमिस समझौता, जिसमें भारत भी हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है, वह भी भारत के महान अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रमाण भी है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन केसाथ इस साझेदारी के प्रमुख स्तंभों के तहत सहयोग पर चर्चाएं की हैं, जिसमें अंतरिक्ष, सुरक्षा, नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी, आतंकवाद का मुकाबला, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखलाओं का एकीकरण शामिल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन की विषयवस्तु पर कहाकि ऐसे समय में जब भारत और प्रधानमंत्री की भूमिका एवं महत्व दिन-ब-दिन बढ़ रहा है तो यह उचित ही हैकि इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है। उन्होंने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त कियाकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले 10-15 वर्ष में इसके तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। डॉ जितेंद्र सिंह को गर्व जतायाकि भारत के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा प्रशिक्षित लोगों का एक सशक्त नेटवर्क है, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी श्रमशक्ति है, करीब 1000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं।
राज्यमंत्री ने बतायाकि हालही में भारत सरकार ने भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के प्रवासियों को सहयोगात्मक अनुसंधान गतिविधि केलिए भारतीय शैक्षणिक तथा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों केसाथ जोड़ने के उद्देश्य से एक नई फेलोशिप योजना शुरू की है, जिससे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में सूचना, ज्ञान एवं सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने तथा सहयोगात्मक अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक फेलोशिप कार्यक्रम लागू करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने एक हालिया वैश्विक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहाकि भारत ने बीते 15 वर्ष में लगभग 415 मिलियन लोगों को ग़रीबी से बाहर निकाला है और संयुक्तराष्ट्र के अलावा किसी अन्य देश ने इसकी सराहना नहीं की है। उन्होंने कहाकि इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में बीते दस वर्ष में विभिन्न योजनाओं को जाता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान कहाकि दुनिया को भारत से उम्मीदें हैं और कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए कहाकि यह भारत ही था, जिसने दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन बनाया और दुनिया के अन्य देशों तक पहुंचाया। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि भारत ने टीकाकरण केलिए कोविन प्लेटफॉर्म भी साझा किया है। राज्यमंत्री ने कहाकि भारत ने न केवल हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है, बल्कि भारत सौर गठबंधन के प्रमुख देशों में से एक है। उन्होंने कहाकि हालही में कैबिनेट के अनुमोदित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन भी भारत की महान वैज्ञानिक प्रगति का सूचक है। सम्मेलन की विषयवस्तु-एक सतत विश्व: 2047-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि एक वैश्विक समुदाय के रूपमें सीओपी-26 के नेट-शून्य उद्देश्य और संयुक्तराष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों केप्रति हमारी व्यक्तिगत तथा सामूहिक जिम्मेदारियां हैं, इनके लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एक प्रमुख चालक हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत अपनी जी20 अध्यक्षता में अपने ज्ञान, सिद्धांत तथा प्रक्रियाओं को ग्लोबल साउथ के अन्य देशों केसाथ साझा करने केलिए प्रतिबद्ध और उत्सुक है।