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Monday 17 July 2023 01:25:13 PM
नई दिल्ली/ भोपाल। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से भारत लाए गए 20 चीतों में से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अबतक पांच वयस्क चीतों की मृत्यु हो चुकी है। प्रोजेक्ट चीता के कार्यांवयन का काम शीर्ष संस्था राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को दिया गया था, जिसके प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार सभी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुई हैं। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का कहना हैकि मीडिया में चीतों की मौतों केलिए अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराने वाली रिपोर्टें केवल अटकलें एवं अफवाहें हैं और ये किसीभी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं। मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं, जिनमें चीतों की मौत केलिए उनके रेडियो कॉलर आदि सहित अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है, ऐसी रिपोर्टें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं, बल्कि अटकलें और अफवाहें हैं।
पर्यावरण मंत्रालय का कहना हैकि प्रोजेक्ट चीता को अभी एक साल पूरा होना बाकी है और सफलता एवं विफलता के संदर्भ में परिणाम का निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, क्योंकि चीतों द्वारा बच्चों को जन्म देना एक दीर्घकालिक परियोजना है। बीते 10 महीने में इस परियोजना में शामिल सभी हितधारकों ने चीता प्रबंधन, निगरानी और सुरक्षा में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त की है। ऐसी आशा हैकि परियोजना दीर्घावधि में सफल होगी और इस समय अटकलें लगाने का कोई कारण नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय का कहना हैकि बाहर से लाए गए चीतों के संरक्षण के प्रयास जारी है। चीतों की मौत के कारणों की जांच केलिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों एवं पशु चिकित्सकों से नियमित आधार पर परामर्श किया जा रहा है। इसके अलावा मौजूदा निगरानी प्रोटोकॉल, सुरक्षा स्थिति, प्रबंधकीय इनपुट, पशु चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलुओं की समीक्षा स्वतंत्र राष्ट्रीय विशेषज्ञ कर रहे हैं।
चीता परियोजना संचालन समिति परियोजना की बारीकी से निगरानी कर रही है और उसने अबतक इसके कार्यांवयन पर संतोष व्यक्त किया है। पर्यावरण मंत्रालय का कहना हैकि बचाव, पुनर्वास, क्षमता निर्माण, व्याख्या की सुविधाओं केसाथ चीता अनुसंधान केंद्र की स्थापना जैसे कदम, भूदृश्य स्तर प्रबंधन केलिए अतिरिक्त वन क्षेत्र को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक नियंत्रण में लाना, अतिरिक्त अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी उपलब्ध कराना, चीता सुरक्षा बल की स्थापना और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश में चीतों केलिए दूसरा घर बनाने की परिकल्पना की गई है। पर्यावरण मंत्रालय का कहना हैकि चीता को सात दशक केबाद भारत वापस लाया गया है और इतने बड़े प्रोजेक्ट में उतार-चढ़ाव आना तय है। विशेष रूपसे दक्षिण अफ्रीका के वैश्विक अनुभव से पता चलता हैकि अफ्रीकी देशों में चीतों के पुन: प्रवेश के प्रारंभिक चरण में प्रविष्ट चीतों की मृत्यु 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
चीता की मृत्यु अंतर प्रजाति के झगड़े, बीमारियों, दुर्घटनाओं के कारण हो सकती है। शिकार करने के दौरान लगी चोट, अवैध शिकार, सड़क पर हमला, जहर और अन्य शिकारियों के शिकारी हमले आदि के कारण भी मृत्यु हो सकती है। इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना में जनसांख्यिकीय और आनुवंशिक प्रबंधन केलिए प्रारंभिक संस्थापक आबादी के वार्षिक अनुपूरण का प्रावधान किया गया है। गौरतलब हैकि प्रोजेक्ट चीता भारत सरकार की चीता को भारत वापस लाने की महत्वाकांक्षी परियोजना है। परियोजना चीता को मध्य प्रदेश वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान और दक्षिण अफ़्रीका और नामीबिया के चीता विशेषज्ञों के सहयोग से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय केतहत एक वैधानिक निकाय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण कार्यांवित कर रहा है। परियोजना का कार्यांवयन 'भारत में परिचय केलिए कार्ययोजना' के अनुसार किया जा रहा है और परियोजना की देखरेख केलिए सरिस्का और पन्ना टाइगर रिज़र्व में पहलीबार सफल बाघ पुनरुद्धार में शामिल प्रतिष्ठित विशेषज्ञों एवं अधिकारियों की एक संचालन समिति भी गठित की गई है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत कुल 20 रेडियो कॉलर वाले चीतों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश में पहलीबार अंतरमहाद्वीपीय जंगल से जंगल स्थानांतरण में लाया गया था। अनिवार्य क्वारंटीन पीरियड केबाद सभी चीतों को बड़े अनुकूलन बाड़ों में स्थानांतरित कर दिया गया। इस समय में 11 चीते मुक्त अवस्था में हैं और भारतीय धरती पर जन्मे एक शावक सहित 5 जानवर क्वारंटीन बाड़ों में हैं। प्रत्येक स्वतंत्र चीता की एक समर्पित निगरानी टीम चौबीस घंटे निगरानी कर रही है। भारत सरकार ने कुनो राष्ट्रीय उद्यान में क्षेत्रीय अधिकारियों केसाथ निकट समन्वय में काम करने केलिए अधिकारियों की एक समर्पित एनटीसीए टीम तैनात की है। यह टीम बेहतर प्रबंधन केलिए आवश्यक स्वास्थ्य और संबंधित हस्तक्षेपों सहित विभिन्न प्रबंधन पहलुओं पर निर्णय लेने केलिए फील्ड मॉनिटरिंग टीमों के एकत्र किए गए वास्तविक समय फ़ील्ड डेटा का विश्लेषण करने केलिए लगी हुई है।