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Monday 24 July 2023 01:13:40 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जामिया मिलिया इस्लामिया के शताब्दी वर्ष और दीक्षांत समारोह में कहा हैकि लोकतंत्र पूरी तरह से संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस के लिए है, व्यवधान और अशांति लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। उन्होंने दुख और चिंता व्यक्त कीकि लोकतंत्र के मंदिरों को अशांति का हथियार बनाया गया है, जबकि सभीको न्याय सुनिश्चित करने केलिए चौबीस घंटे कार्यात्मक रहना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने लोकतांत्रिक मूल्यों के सार को संरक्षित और सतत बनाए रखने का आह्वान करते हुए जोर दियाकि संसद को हरपल कार्यात्मक न रखने का कोई बहाना नहीं हो सकता, देश के लोग इसके लिए भारी मूल्य चुका रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब किसी विशेष दिन संसद में व्यवधान होता है तो उस दिन प्रश्नकाल नहीं हो पाता है, जबकि प्रश्नकाल शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को सृजित करने वाला एक तंत्र है, इसमें सरकार हर सवाल का जवाब देने केलिए बाध्य है और इससे समाधान होते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब आप लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के बारेमें सोचते हैं तो प्रश्नकाल का न होना कभी भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि असहमति और मतभेद लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा हैं, लेकिन असहमति को शत्रुता में बदलना लोकतंत्र केलिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी की कि विरोध को बदले में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए और सुझाव दियाकि किसी भी विषय या समस्या के समाधान केलिए बातचीत और चर्चा ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने कहाकि भारत ने अपने आपको सबसे कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं में से बाहर निकलकर विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर लिया है, जो देश के विकास केलिए बहुत आशाजनक और गर्व की बात है। उन्होंने युवाओं का नकारात्मक और विकास विरोधी ताकतों को बेअसर करने का आह्वान करते हुए कहाकि देश में शैक्षिक संस्थानों और विकास की कहानी को कलंकित करने, दाग़दार बनाने और अपमानित करने केलिए कुछ खतरनाक ताकतें काम कर रही हैं, उनके भयानक इरादे हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों का हवाला देते हुए कहाकि वे अस्थिर धरातल पर भारत विरोधी आख्यान को बढ़ावा देने केलिए ब्रीडिंग स्थल बन गए हैं। उन्होंने सावधान कियाकि ऐसे संस्थान हमारे छात्रों और संकाय सदस्यों का अपने संकीर्ण उद्देश्य केलिए भी उपयोग करते हैं। उन्होंने छात्रों से ऐसी स्थितियों से निपटते समय सावधान होने और निष्पक्षता पर ध्यान देने केलिए कहा। उन्होंने कहाकि यह बडे़ आश्चर्य की बात हैकि जिन्हें किसी न किसी पद पर देश की सेवा करने का अवसर मिला है, उनमें से कई उस स्थिति को खो देते हैं। उन्होंने मेधावी छात्रों से भारत विरोधी कहानियों को हटाने और प्रभावहीन करने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने पारदर्शिता और जवाबदेही को सरकार का केंद्रबिंदु बताते हुए टिप्पणी कीकि भ्रष्टाचार, बिचौलियों और सत्ता के दलालों केलिए कोई जगह नहीं है, ऐसा होने से भ्रष्टाचार में डूबे हुए लोग एक समूह में एकत्रित हो गए हैं, वे छिपने और भागने केलिए सभी ताकतों की तैनाती कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भ्रष्टाचार, विकास और समान अवसरों के विरुद्ध है और यह बहुत सुखद हैकि भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वालों के बचने के सभी रास्ते अब काफी हदतक बंद हो गए हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि कानून के शासन को चुनौती देने केलिए सड़कों पर होने वाले हिंसक प्रदर्शन हमारे स्वभाव के सुशासन और लोकतंत्र की पहचान नहीं है। उन्होंने देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया से डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को बधाई दी। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को नवाचारी और उद्यमी बनने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि वे नौकरी की इच्छा रखने की बजाय नौकरी देने वाले बनें। उन्होंने जामिया की कुलपति प्रोफेसर नज़मा अख्तर को बधाई दी और कहाकि वे जामिया के 100 साल के इतिहास में पहली महिला कुलपति हैं, जो खासतौर से छात्राओं और महिलाओं केलिए एक प्रेरणादायक मॉडल हैं। उन्होंने खुशी और गर्व से कहाकि राष्ट्रीय संस्थागत फ्रेमवर्क रैंकिंग में जामिया मिलिया को देश के तीन शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि वित्तीय लाभ केलिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता करना राष्ट्रीय हित में नहीं है, युवा अपने को पूरी तरह से आर्थिक राष्ट्रवाद में शामिल और आत्मसात करें।
उपराष्ट्रपति ने शैक्षणिक उपलब्धियों पर जोर देते हुए छात्र-छात्राओं से कहाकि वे अपने ज्ञान को देश शिक्षा और बड़े सामाजिक विकास से जोड़ें। उन्होंने कहाकि मानव संसाधनों का सशक्तिकरण राष्ट्रनिर्माण का महत्वपूर्ण घटक है, युवाओं को स्वस्थ राजनीति, क्षमता निर्माण और अपने व्यक्तित्व विकास के माध्यम से ही स्वयं को सशक्त बनाना होगा। नई शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्वास जतायाकि यह दूरदर्शी और बड़े बदलाव की उत्प्रेरक होगी। यह देखते हुएकि देश के कुछ भागों में इस नीति को अपनाने की तुरंत आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि इसका लाभ सभी उठा सकेंगे। उन्होंने देश के संसाधनों के समान वितरण का आह्वान किया। केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उनकी उपस्थिति और बहुमूल्य मार्गदर्शन केलिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि अबजब पूरी दुनिया भारत को आशाजनक दृष्टि से देख रही है, यह विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन करते हुए वैश्विक बौद्धिक नागरिक तैयार करके पश्चिमी दुनिया और ग्लोबल साउथ केबीच असमानता कम करने में अपना कर्तव्य निभाएगा। दीक्षांत समारोह में संकाय सदस्य, छात्र-छात्राएं और जानी-मानी हस्तियां उपस्थित थीं।