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Monday 24 July 2023 04:51:03 PM
नई दिल्ली। भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के प्रोबेशनरों और भारतीय रक्षा संपदा सेवा के 2018-22 बैच के अधिकारियों एवं प्रोबेशनरों ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने दोनों सेवाओं के प्रोबेशनरों और अधिकारियों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया और कहाकि प्रशासनिक सेवा के रूपमें उनकी यात्रा ऐसे समय में शुरू हुई है, जब भारत ने वैश्विक स्तरपर नेतृत्व हासिल कर लिया है, भारत ने अपनी सांस्कृतिक समृद्धि केसाथ अपनी तकनीकी प्रगति केलिए विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और दिखाया हैकि प्रोद्यौगिकी एवं परंपराएं साथ-साथ चल सकती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि यह भारतीय रक्षा संपदा सेवा के अधिकारियों का कर्तव्य हैकि वे यह सुनिश्चित करेंकि उनकी दी जाने वाली सेवाएं और सुविधाएं पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ हों। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी सुशासन को सक्षम बनाती है और उन्हें डोमेन विशेषज्ञता केसाथ अपने तकनीकी कौशल में सुधार करते रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि छावनियों में प्रभावी प्रशासन और रक्षा भूमि के प्रबंधन केलिए प्रौद्योगिकी का अधिकतम संभव उपयोग किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनरों को संबोधित करते हुए कहाकि भारत की जलवायु और भौगोलिक स्थिति वनों के फैलाव से निकटता से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहाकि वन और वन्य जीव जिन्हें वन सहारा देते हैं, हमारे देश के अमूल्य संसाधन और विरासत हैं। उन्होंने कहाकि पर्यावरण में गिरावट, वन क्षेत्र में कमी, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरे वैश्विक बातचीत और भागीदारी के केंद्र में हैं, इसीलिए पर्यावरण संरक्षण 21वीं सदी केलिए एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत ने दुनिया को 'लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' का मंत्र दिया है, वन समाधान का एक अभिन्न अंग हैं और भारतीय वन सेवा के अधिकारी समाधान प्रदाताओं में से हैं। राष्ट्रपति ने उनसे अपेक्षा कीकि वे इस मंत्र के व्यावहारिक क्रियांवयन केलिए अथक प्रयास करें। राष्ट्रपति ने प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने और प्रतिष्ठित सेवाओं में चयनित होने पर प्रोबेशनरों को बधाई दी और कहाकि यह सफलता उनकी क्षमता, दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से प्रोबेशनरों और अधिकारियों ने अपने समृद्ध प्रशिक्षण अनुभव साझा किए। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि उनके समूहों में विविध पृष्ठभूमि के अधिकारी शामिल हैं, जो भारत की 'अनेकता में एकता' का प्रतिनिधित्व और प्रचार करते हैं। उन्होंने कहाकि वे सिविल सेवकों में आनेवाले समय में और अधिक महिला अधिकारियों से मिलना चाहती हैं और यकीन हैकि महिलाएं वन अधिकारियों एवं रक्षा संपदा प्रबंधकों दोनों के रूपमें कारगर दृष्टिकोण सामने लाएंगी। राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनरों को बतायाकि रक्षा संपदा महानिदेशालय भारत सरकार के अधीन सबसे बड़ी भूमि धारण एजेंसी है, छावनी बोर्ड हमेशा संगठित और नियोजित भूमि उपयोग, सर्वोत्तम नागरिक सुविधाओं और स्वच्छ वातावरण केलिए जाने जाते हैं एवं प्रौद्योगिकी के आगमन केसाथ यह आपकी जिम्मेदारी हैकि आप निवासियों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं सुनिश्चित करने केलिए उच्च मानक स्थापित करें।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि रक्षा संपदा महानिदेशालय ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो अनधिकृत निर्माण जैसी जमीनी गतिविधियों का स्वचालित रूपसे पता लगा सकता है। उन्होंने कहाकि खुशी हैकि छावनी बोर्डों केसाथ नागरिकों के संपर्क को बेहतर बनाने केलिए ई-छावनी पोर्टल भी लॉंच किया गया है। राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनरों से कहाकि देश के अमृतकाल में आपको देश की वन संपदा के संरक्षक के रूपमें चुना गया है, वन अधिकारी के रूपमें आप लगन से काम करके और अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर देश के सर्वांगीण और समावेशी विकास के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कहाकि वन हमारी प्राकृतिक संपदा और भौगोलिक विविधता को बढ़ाते हैं, भारत की जलवायु और स्थलाकृति का इसके वन वितरण से गहरा संबंध है, वन और उनके समर्थित वन्य जीवन हमारे देश के अमूल्य संसाधन और विरासत हैं, वे कई समुदायों केलिए आजीविका का स्रोत भी हैं। गौरतलब हैकि इन दोनों सेवाओं के बैच में भूटान के प्रशिक्षु अधिकारी भी शामिल थे।