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जरूरत पड़ी तो एलओसी पार करेंगे-रक्षामंत्री

'हरएक भारतीय एक सैनिक की भूमिका निभाने को तैयार रहे'

देशभर में कारगिल युद्ध के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 26 July 2023 06:33:49 PM

emotional tribute to the martyrs of kargil war

द्रास। देशभर में कारगिल विजय के रूपमें भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत की 24वीं वर्षगांठ, जिसे हर साल 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' के रूपमें मनाया जाता है पर कारगिल युद्ध में शहीद वीर सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज लद्दाख के कारगिल युद्ध स्मारक द्रास पर पुष्पचक्र अर्पित करके शहीद सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कारगिल विजय दिवस पर द्रास में मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि कारगिल युद्ध भारत के सैनिकों की वीरता का प्रतीक है, जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा, कारगिल विजय भारत की जनता की जीत थी, भारतीय सेनाओं ने 1999 में कारगिल की चोटियों पर जो तिरंगा लहराया था, वह केवल एक झंडाभर नहीं था, बल्कि वह देश के करोड़ों लोगों का स्वाभिमान था। उन्होंने कहाकि हमने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि दुनिया को यह संदेश दियाकि जब बात हमारे राष्ट्रीय हितों की आएगी तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी, हम आजभी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा केलिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, सामने चाहे कोई भी हो।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत माँ के ललाट की रक्षा केलिए 1999 में कारगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने वीरता का जो प्रदर्शन-शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। रक्षामंत्री ने कहाकि आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं, क्योंकि किसी समय माइनस तापमान में भी हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें नीची नहीं की। उन्होंने कहाकि कारगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था, उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था, स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था, लेकिन पाकिस्तान ने हमारी पीठ में खंजर घोंप दिया। रक्षामंत्री ने कहाकि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज़ से ऊपर है और इसके लिए हम किसीभी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहाकि उस समय अगर हमने एलओसी पार नहीं किया तो इसका मतलब यह नहींकि हम एलओसी पार नहीं कर सकते थे, हम एलओसी पार कर सकते थे, हम एलओसी पार कर सकते हैं और जरूरत पड़ी तो भविष्य में एलओसी पार करेंगे।
रक्षामंत्री ने कहाकि 26 जुलाई 1999 को युद्ध जीतने के बादभी हमारी सेनाओं ने अगर एलओसी पार नहीं किया तो वह इसलिएकि हम शांतिप्रिय हैं, भारतीय मूल्यों केप्रति हमारा विश्वास है, और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। रक्षामंत्री ने कहाकि आज कारगिल में भारत का ध्वज पूरे वैभव केसाथ लहरा रहा है, आजभी माएं कारगिल में भारत की अपने बच्चों को जब वीरता की कहानियां सुनाती हैं तो उनकी कहानियों में कैप्टन मनोज पांडे, कैप्टन विक्रम बत्रा और इन जैसे न जाने कितने वीरों का जिक्र होता है, हमने इन वीरों को थाती बनाकर रखा है और आनेवाली न जाने कितनी पीढ़ियां इनके शौर्य से प्रेरणा लेती रहेंगी। द्रास के समारोह में युद्ध नायकों, वीर नारियों और शहीद नायकों के परिजनों की उपस्थिति भी देखी गई। राजनाथ सिंह ने उनसे परस्पर बातचीत की और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देनेवाले सभी लोगों का स्मरण करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें आश्वासन दियाकि इन शहीद वीरों का बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा। रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों की वीरता और प्रतिबद्धता की सराहना की, जिन्होंने समय-समय पर देश को संकट के समय मजबूती से खड़े रहने में मदद की है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि आजका भारत सैनिकों के बलिदान की नींव पर टिका है, ऑपरेशन विजय को एक ऐसी घटना के रूपमें वर्णित किया, जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत के साहस और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। उन्होंने इस विजय को एक लॉंच पैड भी करार दिया, जिसने देश को सफलता की ऊंचाइयों को छूने केलिए प्रेरित किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारी महानता कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठने में है। रक्षामंत्री ने कहाकि युद्ध के दौरान प्रतिद्वंद्वी के पास सामरिक सैन्य लाभ होने के बावजूद हमारी सेनाओं ने उन्हें पीछे धकेलने और हमारी भूमि को पुनः प्राप्त करने केलिए असाधारण वीरता और कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने दोहरायाकि इस विजय केसाथ भारत ने पाकिस्तान और विश्व को संदेश दियाकि अगर देश के हितों को नुकसान पहुंचाया गया तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। रक्षामंत्री ने कहाकि देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा, हमने देश के शत्रुओं को खत्म करने केलिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दे रखी है।
रक्षामंत्री ने कहाकि पहले देश और सशस्त्र बलों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी, लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कमी को दूर कर दिया है, हम अपनी सेनाओं केसाथ मजबूती से खड़े हैं, लोगों और संसद को हमारे सैनिकों पर पूरा भरोसा है। राजनाथ सिंह ने कारगिल युद्ध के कई बहादुर सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों को याद किया, जिनमें परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन मनोज पांडे तथा वीरचक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन, कैप्टन जिंटू गोगोई, कैप्टन विजयंत थापर और नायब सूबेदार मंगेज सिंह शामिल थे। रक्षामंत्री ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन का विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने युद्ध के दौरान असाधारण साहस दिखाया और यह संदेश दियाकि जब देश की सीमाओं की सुरक्षा की बात आती है तो भारतीय महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों से कम नहीं हैं, ये सभी सैनिक भारत के विभिन्न क्षेत्रों से थे, लेकिन देश और उसके लोगों के हितों की रक्षा केलिए एक होकर लड़े। राजनाथ सिंह ने कहाकि युद्ध केवल अस्त्रों और बमों से नहीं लड़े और जीते जाते हैं, वीरता और अदम्य भावना भी समान रूपसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहाकि यह इच्छा शक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना ही भारतीय सैनिकों को दूसरे सैनिकों से अलग करती है। उन्होंने कहाकि हमारी सेनाएं देश, इसकी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा केलिए देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हैं।
रक्षामंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहाकि यह युद्ध, जो पिछले एक वर्ष के अधिक समय से जारी है, आजके समय में संघर्षों की अप्रत्याशित प्रकृति को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि यह युद्ध लंबा खिंच गया है, क्योंकि लोग अपने प्रयोजन केलिए लड़ने केलिए प्रशिक्षण ले रहे हैं और अपनी सेना में शामिल हो रहे हैं। राजनाथ सिंह ने लोगों से अपील कीकि आवश्यकता पड़ने पर वे न केवल परोक्ष रूपसे, बल्कि प्रत्यक्ष रूपसे भी युद्ध में भाग लेने केलिए तैयार रहें। उन्होंने कहाकि लोगों को मानसिक रूपसे तैयार रहना चाहिए, ताकि जब भी देश को उनकी आवश्यकता हो, वे सशस्त्र बलों की मदद केलिए तैयार रहें, जैसे हर सैनिक भारतीय है, उसी तरह हर भारतीय को एक सैनिक की भूमिका निभाने केलिए तैयार रहना चाहिए। कारगिल विजय समारोह में लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक, उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली, लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और लेफ्टिनेंट जनरल अमरनाथ औल भी शामिल हुए।
कारगिल विजय समारोह को सैन्य साहस और दृढ़ संकल्प के सच्चे उदाहरण और पीवीसी प्राप्तकर्ता सूबेदार मेजर संजय कुमार और महावीर चक्र से सम्मानित हवलदार दिगेंद्र कुमार की उपस्थिति ने सभी को प्रेरित किया। कैप्टन मनोज पांडे, पीवीसी के भाई मनमोहन पांडे और कैप्टन विक्रम बत्रा, पीवीसी के भाई विशाल बत्रा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। द्रास में कारगिल विजय समारोह एकता, कृतज्ञता और गर्व का क्षण था, क्योंकि राष्ट्र उस वीरता को सम्मानित करने केलिए एकजुट हुआ था, जो 'भारत की भावना' को परिभाषित करती है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और तीनों सेनाओं के वाइस चीफ ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी।

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