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अधिवक्ता ग़रीबों की भी मदद करें-मुर्मु

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा का दीक्षांत समारोह

देश की आजादी में अधिवक्ताओं ने नेतृत्व किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 27 July 2023 02:49:46 PM

president droupadi murmu

कटक (ओडिशा)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कटक में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा के दीक्षांत समारोह में भाग लिया और अपने संबोधन में इस बात पर गर्व कियाकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व देश के योग्य अधिवक्ताओं ने किया था, जिससे पता चलता हैकि उस पीढ़ी के बड़ी संख्या में वकील राष्ट्र केलिए बलिदान देने की भावना से ओतप्रोत थे। मधु बैरिस्टर के नामसे प्रसिद्ध उत्कल गौरव मधुसूदन दास को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि उनकी जयंती को ओडिशा में 'अधिवक्ता दिवस' के रूपमें मनाया जाना बड़े गौरव की बात है। उन्होंने कहाकि ओडिशा के लोगों केलिए महात्मा गांधी और मधु बैरिस्टर भारत में स्वाधीनता की लड़ाई के दो सबसे सम्मानित नाम हैं, उनके जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों एवं अधिवक्ताओं ने एक प्रगतिशील और एकजुट समाज के निर्माण केलिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श बनाए रखे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कानून के विद्यार्थियों से संवैधानिक आदर्शों के पालन में दृढ़ प्रतिज्ञ रहने का आह्वान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्र की प्राथमिकताओं केप्रति संवेदनशील होने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने कहाकि विद्यार्थियों को ऐसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में अपना योगदान देने केलिए जागरुक होकर प्रयास भी करने चाहिएं। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा के आदर्श वाक्य 'सत्ये स्थितो धर्मः' का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि इस वाक्य का अर्थ है 'धर्म दृढ़तापूर्वक सत्य या वास्तविकता में निहित है। राष्ट्रपति ने कहाकि प्राचीन भारत में न्यायालयों का वर्णन करने केलिए सदैव दो शब्द प्रयोग किए जाते थे 'धर्मसभा' और 'धर्माधिकार' आज के आधुनिक भारत केलिए हमारा धर्म भारत के संविधान में निहित है, जो देश का सर्वोच्च कानून है। उन्होंने कहाकि उत्तीर्ण होने वाले युवा विद्यार्थियों सहित संपूर्ण कानूनी समुदाय को संविधान को अपने पवित्र ग्रंथ के रूपमें मानना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहाकि महिलाओं सहित हमारे देश की जनता के कमजोर वर्गों को समान अवसर और सम्मान देना प्रत्येक भारतीय केलिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, जो देश के ऐसे नागरिकों की सहायता करने की स्थिति में हैं। उन्होंने कहाकि देश के शोषित एवं वंचित साथी नागरिकों की एक बहुत बड़ी आबादी को अपने हक तथा अधिकारों के बारेमें जानकारी भी नहीं है और न ही उनके पास राहत अथवा न्याय पाने केलिए अदालत में जाने के साधन सुलभ हैं। राष्ट्रपति ने कानून के विद्यार्थियों को उनका कर्तव्यबोध कराते हुए कहाकि वे अपने कामकाजी समय से कुछ वक्त निकालकर उसे शोषित वर्ग या सुविधाओं से वंचित लोगों की सेवा केलिए समर्पित करें। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से आग्रह कियाकि वे अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का कम से कम एक छोटा हिस्सा वास्तविक करुणा की भावना केसाथ गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने हेतु खर्च करें। उन्होंने कहाकि यह ठीक ही कहा गया हैकि कानून सिर्फ एक आजीविका का एक साधन ही नहीं है, बल्कि यह एक आह्वान है।

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