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Saturday 5 August 2023 11:58:45 AM
नागपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकों से यह सुनिश्चित करने केलिए एक जन आंदोलन शुरू करने की अपील की हैकि सभी जन प्रतिनिधि उन कार्यों में ईमानदारी से संलग्न हों, जिनका संविधान ने निर्वाह करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है। इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुएकि देश के लोकतंत्र के मंदिरों को वास्तव में नष्ट किया जा रहा है, उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को आगाह कियाकि यदि इन स्थानों को चर्चा, संवाद और बहस के मंच के रूपमें संरक्षित नहीं किया गया, तो उनपर वैसी शक्तियों का कब्जा होने की आशंका है जो न तो प्रतिनिधिक हैं और न ही राष्ट्र के लोगों के प्रति उत्तरदायी हैं। उपराष्ट्रपति नागपुर में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान सभा का एक अनुकरणीय मॉडल के रूपमें उदाहरण देते हुए इस बात पर जोर दियाकि असहमति को विरोध में नहीं बदला जा सकता है, जबकि व्यवधान और अशांति केलिए संवाद एवं चर्चा को त्याग दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि संविधान सभा को विभाजनकारी और विवादास्पद मुद्दों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्हें हमेशा समन्वय, सहयोग और साझेदारी की भावना से हल किया गया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि राजकोषीय कारणों से आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आग्रह कियाकि व्यापार, उद्योग और व्यवसाय जगत को इसके प्रति बेहद संवेदनशील होना होगा, इसे केवल नागरिकों द्वारा खुदको आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व केप्रति जागरुक करके ही हासिल किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने नागरिकों को याद दिलाया कि किसीको भी अपनी वित्तीय क्षमता के आधार पर ऊर्जा या जल संसाधनों का असीमित उपयोग करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहाकि इन संसाधनों का अधितकम सदुपयोग सुनिश्चित करना हमारा परम कर्तव्य है। वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा, साख और हैसियत पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने यह रेखांकित कियाकि किसीभी व्यक्ति को अस्थिर एवं अतार्किक तरीके से संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करने और उसे अपमानित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने नागरिकों से भारत विरोधी बयानों को बेअसर करने का आह्वान किया, क्योंकि ये राष्ट्र के हितों के प्रतिकूल हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों केलिए अलग-अलग दृष्टिकोणों केप्रति खुला दिमाग रखने के महत्व पर जोर देते हुए उनसे राय बनाने में धीमे चलने और चीजों को समझने में तेजी दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि जब आप दूसरों के रुख की सराहना करना सीख जाएंगे तो आप समझदार बन जाएंगे। उन्होंने 2047 के योद्धाओं को अपनी प्रतिभा को जगह देने केलिए प्रोत्साहित करते हुए सलाह दीकि वे अपने चुने हुए रास्ते में गंभीरतापूर्वक सोचें, व्यापक रूपसे पढ़ें, लगातार अनुकूलन करें और क्षितिज का निरंतर विस्तार करें। शताब्दी समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, राष्ट्रसंत तुकाडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के कुलपति डॉ सुभाष चौधरी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।