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न्यायिक प्रक्रिया में जल्दबाजी ठीक नहीं-रक्षामंत्री

रक्षामंत्री का सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की स्थापना पर संबोधन

'सही समय पर सही व्यक्ति को न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 5 August 2023 03:55:26 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से यह सुनिश्चित करते हुए लंबित मामलों का तेजीसे समाधान करने का आह्वान किया हैकि न्यायिक प्रक्रिया का बिना किसी उल्लंघन के ईमानदारी से पालन किया जाए। उन्होंने कहाकि देशभर की विभिन्न अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं, लेकिन बोझ को कम करने केलिए विशेष न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहाकि हालांकि इतनी संख्या लोगों को सही समय पर न्याय नहीं मिलने की चुनौती पेश करती है, न्यायिक प्रक्रिया पर ध्यान दिए बिना त्वरित निस्तारण तो औरभी खतरनाक है। राजनाथ सिंह ने कहाकि कहा जाता हैकि न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है, इससे लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम हो जाता है। रक्षामंत्री एएफटी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने केलिए समय-समय पर फास्ट ट्रैक कोर्ट और ट्रिब्यूनल आदि की स्थापना की जाती है, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाते समय सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा 'जल्दबाजी में न्याय के दफन होने' का खतरा रहता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि मामलों के निपटारे और लोगों को न्याय दिलाने केलिए समय और प्रक्रिया केबीच संतुलन बनाने की जरूरत है, न्याय के बिना कोईभी समाज पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहाकि सही समय पर सही व्यक्ति को न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य है। एएफटी के कामकाज में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि मामलों को सभी शामिल पक्षों की जरूरतों, हितों, संसाधनों और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए हल किया जाए। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के संदर्भ में समझाया जहां जनप्रतिनिधि संतुलन बनाए रखते हुए समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि चूंकि देश ने अमृतकाल में प्रवेश कर लिया है और 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है, इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता हैकि समाज के सभी वर्गों को किफायती न्याय प्रदान किया जाए। उन्होंने कहाकि सरकार इस उद्देश्य को हासिल करने केलिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। गौरतलब हैकि एएफटी की स्थापना सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम-2007 के तहत की गई थी, जिसका उद्घाटन 8 अगस्त 2009 को देश के राष्ट्रपति ने किया था। इसकी स्थापना सशस्त्र बलों के सेवारत कार्मिकों, पूर्व सैनिकों, उनके परिवारों और युद्ध विधवाओं के अलावा त्वरित और सुलभ न्याय सुनिश्चित करने केलिए की गई थी। इसने 30 जून 2023 तक 74000 से अधिक मामलों का निपटान किया है, जिससे निपटान दर लगभग 76 प्रतिशत बनी हुई है। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने एएफटी द्वारा अबतक उत्तर दिए गए संदर्भों वाले 'एएफटी लॉ जर्नल' के पहले खंड का अनावरण किया। कार्यक्रम में भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और एएफटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन भी उपस्थित थे।

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