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Tuesday 8 August 2023 01:43:41 PM
नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार को सुप्रीमकोर्ट का दिया ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार वापस लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल को देने वाला दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक-2023 राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से पारित कर दिया। बिल को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर केलिए भी भेज दिया गया है, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा और केजरीवाल सरकार उसमें निहित की गई अधिकारियों के तबादलों की शक्तियों से कानून वंचित हो जाएगी। हालांकि दो दिन बाद ही केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार को ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान संशोधन कानून के अंतर्गत अध्यादेश के जरिए रोक दिया था। केंद्र सरकार इसे कानून का रूप देने केलिए पहले लोकसभा में संशोधन विधेयक लाई, जिसे पारित होने के बाद राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया, जहां उसे 102 के मुकाबले 131 मतों से मंजूरी मिल गई। इससे केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता को भी एक संदेश गया है।
केजरीवाल सरकार की ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार अपने पास रखने वाली दलीलों पर लोकसभा और राज्यसभा में मुकम्मल जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक-2023 पर चर्चा पर कहाकि इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचाररहित और लोकाभिमुख शासन सुनिश्चित करना है और केजरीवाल सरकार या विपक्ष की जो आशंकाएं हैं, वे पूरी तरह निर्मूल हैं। उन्होंने कहाकि बिल के किसीभी प्रावधान से पहले से चली आ रही व्यवस्था में कोईभी परिवर्तन नहीं होगा। उन्होंने कहाकि दिल्ली कई मायनों में सभी राज्यों से अलग है, क्योंकि यहां संसद भवन, संवैधानिक हस्तियां, सुप्रीम कोर्ट और दूतावास हैं और दुनियाभर के देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां आते हैं, इसीलिए दिल्ली को यूनियन टैरिटरी बनाया गया। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि इस बिल केसाथ दिल्ली सरकार को समस्या हैकि उन्हें यूटी के चुनाव लड़ने केबाद राज्य के अधिकार चाहिएं।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहाकि केजरीवाल सरकार की इस समस्या का समाधान हैकि उसे अपनी मानसिकता को बदलना, सीमित और संयत करना होगा। उन्होंने कहाकि देश में दिल्ली संघराज्य क्षेत्र की विधानसभा ही एकमात्र ऐसी असेंबली है, जिसका सत्रावसान ही नहीं होता है, इस सरकार ने वर्ष 2020 से 2023 में विधानसभा का केवल बजट सत्र ही बुलाया है। अमित शाह ने कहाकि ये कैबिनेट की गिनी-चुनी बैठक बुलाते हैं और एम्स, आईआईटी दिल्ली जैसी संस्थाओं के 13 परमिशन को इन्होंने पेंडिंग रखा हुआ था, इसके अलावा 5G टेक्नोलॉजी लाने केलिए 2016 में एक अधिनियम बनाया गया था, जो देश के सभी राज्यों ने स्वीकार किया, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। गृहमंत्री ने कहाकि दिल्ली में 1991 से 2015 तक अलग-अलग पार्टियों के कई मुख्यमंत्री रहे, लेकिन किसी का केंद्र सरकार से कभी कोई झगड़ा नहीं रहा, क्योंकि सभी सरकारें विकास चाहती थीं, नाकि सत्ता पर केवल कब्ज़ा करना।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि बार-बार ये कहा जारहा हैकि केंद्र सरकार शक्ति अपने हाथ में लेना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार को शक्ति हाथ में लेने की ज़रुरत ही नहीं है, क्योंकि भारत की 130 करोड़ जनता ने खुद सरकार को शक्ति दी है। अमित शाह ने कहाकि यह बिल सरकार इसीलिए लाई है, ताकि केंद्र द्वारा दी गई शक्तियों का दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण को वैधानिक रूपसे रोका जा सके। अमित शाह ने कहाकि संविधान के अनुच्छेद 239 (AA)(3)(B) के तहत देश की संसद को दिल्ली संघराज्य क्षेत्र या इसके किसीभी भाग के बारेमें और उससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार अधिकार लेने केलिए बल्कि दिल्ली की जनता के अधिकारों की रक्षा करने केलिए लालायित थी, इसीलिए ये अध्यादेश लाना पड़ा। उन्होंने कहाकि अगर केंद्र सरकार अध्यादेश नहीं लाती तो सभी घोटालों की फाइलों को गुम करने का एक नया घोटाला होता।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि आपातकाल के दौरान राजनीतिक दलों के 3 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया गया था और अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी, ऐसे लोगों को डेमोक्रेसी की बात नहीं करनी चाहिए। अमित शाह ने कहाकि सरकार हमेशा सदन में मणिपुर पर चर्चा करने केलिए तैयार है और मैं स्वयं चर्चा में हर बात का जवाब देने केलिए तैयार हूं, लेकिन विपक्ष मणिपुर पर चर्चा नहीं चाहता। उन्होंने कहाकि दिल्ली सरकार द्वारा विजिलेंस विभाग को इसीलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वहां आबकारी घोटाले और मुख्यमंत्री के नए बंगले के निर्माण पर अवैध रूपसे हुए खर्च की फ़ाइलें बंद थीं। अमित शाह ने कहाकि इस विधेयक में धारा 3 ए को भारत सरकार ने खुदही हटा लिया है और अब दिल्ली की विधानसभा भी सेवा संबंधित नियम बना सकेगी, लेकिन वो कानून केंद्र द्वारा बनाए गए कानून का विरोधाभासी नहीं होगा। अमित शाह ने कहाकि 1993 से ही दिल्ली में शासन नियमों के हिसाब से चल रहा था, लेकिन इन नियमों को कानून का हिस्सा बनाना पड़ा, क्योंकि दिल्ली में एक ऐसी सरकार आई, जो नियमों को नहीं मानती है।