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Wednesday 9 August 2023 02:23:35 PM
औरोविल्ले (पुडुचेरी)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने औरोविल्ले में 'एस्पायरिंग फॉर सुपर माइंड इन द सिटी ऑफ इंवाल्विंग कॉंशसनेस' विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने इससे पहले मातृमंदिर और औरोविल्ले में एक नागरिक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहाकि महर्षि अरबिंदो का मानना थाकि सुपरमाइंड मानव अस्तित्व को आध्यात्मिक अस्तित्व में बदल सकता है, उन्होंने यह दर्शन दियाकि अतिमानसिक चेतना में इस भौतिक जगत को दिव्य बनाने की शक्ति है। राष्ट्रपति ने कहाकि हममें से प्रत्येक केलिए दिव्यता का एक अलग अर्थ और परिभाषा है, लेकिन एक बात सामान्य है, जो दिव्य है, उसे भौतिक से ऊपर और मूर्त से परे होना होगा। उन्होंने कहाकि दिव्य मन एक शुद्ध मन है, यह स्वयं से ऊपर है, यह सबकी उन्नति, एकता और विकास के बारे में सोचता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मन की आध्यात्मिक जागृति एक सामान्य प्राणी को सचेतन प्राणी में बदल सकती है, यह जागृति ही है जो व्यक्तियों, संगठनों, देशों और दुनिया को बदल सकती है। उन्होंने कहाकि जब जागृति और दिमाग एक साथ आते हैं और सामान्य लक्ष्यों की दिशा में काम करते हैं तो अकल्पनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि महर्षि अरबिंदो द्वारा प्रतिपादित ब्रह्मांडीय सत्ता का विचार उन समस्याओं केलिए बहुत प्रासंगिक है, जिनका दुनिया सामना कर रही है। उन्होंने कहाकि ब्रह्मांडीय चेतना की अवधारणा को समझने और अपनाने सेही आज दुनिया के सामने आनेवाले कई मुद्दों को सद्भाव केसाथ हल किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि सर्वोच्च सत्ता और ब्रह्मांडीय मन की अवधारणाएं जीवन के अंतिम उद्देश्य की प्राप्ति की ओर ले जाती हैं और ये आदर्श दुनिया को जीने केलिए एक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण स्थान बनाने में मदद कर सकते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि औरोविल्ले एक ऐसा स्थान है, जहां मानव मस्तिष्क उच्चतम चेतना प्राप्त करने के बड़े उद्देश्य केलिए खोज करता है, विकसित होता है और सर्वोच्च चेतना प्राप्त करने के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए मिलकर काम करता है, यह सभी मनुष्यों के विकास को बढ़ावा देता है। राष्ट्रपति ने कहाकि यहां औरोविल्ले में आना उनके लिए गहरे आध्यात्मिक महत्व की बात है, जैसाकि हम सभी जानते हैंकि औरोविल्ले महर्षि अरबिंदो का सपना था, जिसे उनकी माँ ने वास्तविकता में अनुवादित किया था, उनकी शिक्षाएं और दर्शन दुनियाभर में लाखों साधकों को प्रेरित और मार्गदर्शन करते रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि वह खुदको उन लोगों के बड़े समुदाय का हिस्सा मानती हैं, जिन्होंने महर्षि अरबिंदो और उनकी मां के दृष्टिकोण से लाभ उठाया है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें 1990 के दशक के दौरान लगभग तीन वर्ष तक अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर रायरंगपुर में मानद शिक्षक के रूपमें सेवा करने का सौभाग्य मिला था। राष्ट्रपति ने बतायाकि अगले सप्ताह मंगलवार 15 अगस्त को हम सभी अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे, यह बहुतही महत्वपूर्ण संयोग हैकि महर्षि अरबिंदो की जयंती भी 15 अगस्त को होती है और व्यापक रूपसे मनाई जाती है।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि महर्षि अरबिंदो ने स्वतंत्रता की अनूठी अवधारणा दी, एक क्रांतिकारी राष्ट्रवादी से आध्यात्मिक गुरु बनने तक की उनकी परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान उनकी 'स्वतंत्रता' की अवधारणा में भी बड़ा बदलाव आया। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की स्वतंत्रता पर अरबिंदो ने देश और मानवता केलिए अपने सपनों को रेखांकित करते हुए एक महत्वपूर्ण भाषण दिया था, उन्होंने भारत के आध्यात्मिक उपहार को दुनिया तक पहुंचाने का सपना देखा था, द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आज विश्व में भारत का संदेश आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों सेभी आगे जाता है। उन्होंने कहाकि भारत का 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' या 'वसुधैव कुटुंबकम' का संदेश अरबिंदो के प्रचारित आदर्शों को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि अरबिंदो ने स्वयं जागृति का अभ्यास और अनुभव किया। उन्होंने कहाकि भारत वैश्विक चुनौतियों का स्थायी समाधान प्रदान करने में दुनिया का नेतृत्व करने केलिए तैयार है और औरोविल्ले समुदाय इस प्रयास में बड़ा योगदान दे सकता है।