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Saturday 12 August 2023 04:23:35 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारत में अंग्रेजों के बनाए कानून ख़त्म करके नए भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य संशोधन विधेयक-2023 को लोकसभा में प्रस्तुत किया। गृहमंत्री ने कहाकि भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त से आज़ादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आज़ादी की 75 से 100 वर्ष की यात्रा शुरू होगी, जो निश्चित रूपसे महान भारत की रचना करेगी। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने बीते 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में पांच प्रण देश की जनता के सामने रखे थे, इनमें से एक प्रण थाकि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। गृहमंत्री ने कहाकि ये तीनों विधेयक एक प्रकार से पांच प्रण में से एक प्रण की अनुपालना करने वाले हैं, इन तीनों विधेयकों में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम केलिए मूलभूत कानून हैं। उन्होंने कहाकि इंडियन पीनल कोड-1860, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड-1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट-1872 में अंग्रेज़ों के बनाए गए और अंग्रेज़ी संसद से पारित इन तीनों कानूनों को समाप्त करके हम तीन नए कानून लाए हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बतायाकि इंडियन पीनल कोड-1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता-2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड-1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट-1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 लेगा। गृहमंत्री ने कहाकि समाप्त होनेवाले ये तीनों कानून अंग्रेज़ी शासन को मज़बूत करने और उसकी रक्षा करने केलिए बनाए गए थे, इनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं था, इन दोनों मूलभूत चीज़ों को हम परिवर्तन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि इन तीनों कानूनों को रिप्लेस करके आनेवाले तीन नए कानूनों की आत्मा होगी, इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं, बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में दंड वहीं दिया जाएगा, जहां अपराध रोकने की भावना पैदा करने की ज़रूरत है। गृहमंत्री ने आश्वस्त कियाकि 1860 से 2023 तक अंग्रेज़ी संसद के बनाए गए कानूनों के आधार पर इस देश का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम चलता रहा, अब इन तीनों कानूनों की जगह भारतीय आत्मा केसाथ ये तीन कानून स्थापित होंगे, जिससे हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि अभीके कानूनों में मानव हत्या या स्त्री केसाथ दुराचार जैसे जघन्य अपराधों को बहुत नीचे रखा गया था राजद्रोह, खजाने की लूट शासन के अधिकारी पर हमले जैसे अपराधों को इनसे ऊपर रखा गया था। उन्होंने कहाकि इस अप्रोच को हम बदल रहे हैं और इन नए कानूनों में सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों केसाथ अपराध पर होगा, दूसरा चैप्टर मानव वध और मानव शरीर के साथ होने वाले अपराधों पर होगा। गृहमंत्री ने कहाकि हम शासन की जगह नागरिक को केंद्र में लाने का बहुत बड़ा सैद्धांतिक निर्णय करके ये कानून लाए हैं। अमित शाह ने कहाकि इन कानूनों को बनाने के पीछे बहुत लंबी प्रक्रिया रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में हम सबका मार्गदर्शन किया थाकि अंग्रेज़ों के समय के बनाए गए जितने भी कानून जिस विभाग में भी हैं, उनपर पर्याप्त चर्चा और विचार करके समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाना चाहिए। उन्होंने कहाकि इन कानूनों को बनाने केलिए हर जगह व्यापक कंसल्टेशन किया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि उन्होंने अगस्त 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों, सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और सभी कानून विश्वविद्यालयों को पत्र लिखे थे, वर्ष 2020 में सभी सांसदों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और संघशासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखे गए, इसके बाद व्यापक कंसल्टेशन केबाद ये प्रक्रिया कानून बनने जा रही है।
अमित शाह ने कहाकि 18 राज्यों, 6 संघशासित प्रदेशों, सुप्रीमकोर्ट, 16 हाईकोर्ट, 5 न्यायिक अकादमी, 22 विधि विश्वविद्यालय, 142 सांसद, लगभग 270 विधायकों और जनता ने इन नए कानूनों पर अपने सुझाव दिए हैं। अमित शाह ने कहाकि 4 साल तक इनपर गहन विचार-विमर्श किया गया है और वे स्वयं 158 बैठकों में उपस्थित रहे हैं। गृहमंत्री ने कहाकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जो सीआरपीसी को रिप्लेस करेगी में अब 533 धाराएं रहेंगी, 160 धाराओं को बदल दिया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने बतायाकि भारतीय न्याय संहिता, जो आईपीसी को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने बतायाकि भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, एक नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं। अमित शाह ने कहाकि ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे, इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था और हमने सिर्फ इन्हें अडॉप्ट किया था, इन कानूनों में पार्लियामेंट ऑफ यूनाइटेड किंगडम, प्रोविंशियल एक्ट, नोटिफिकेशन बाई द क्राउन रिप्रेज़ेन्टेटिव, लंदन गैज़ेट, ज्यूरी और बैरिस्टर, लाहौर गवर्नमेंट, कॉमनवेल्थ के प्रस्ताव, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड पार्लियामेंट का ज़िक्र है।
गृहमंत्री ने बतायाकि इन कानूनों में हर मैजेस्टी और बाइ द प्रिवी काउंसिल के रेफेरेंस दिए गए हैं, कॉपीज़ एंड एक्सट्रैक्ट्स कंटेट इन द लंदन गैज़ेट के आधार पर इन कानूनों को बनाया गया है, पज़ेशन ऑफ द ब्रिटिश क्राउन, कोर्ट ऑफ जस्टिस इन इंग्लैंड और हर मैजेस्टी डॉमिनियन्स का भी ज़िक्र इन कानूनों में कई स्थानों पर है। उन्होंने कहाकि कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्तकर हम नए कानून लेकर आए हैं, इन कानूनों से हमने नए युग को भी जोड़ने का प्रयास किया है। गृहमंत्री ने कहाकि हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत समय लगता है, न्याय इतनी देर से मिलता हैकि न्याय का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है, लोगों की श्रद्धा उठ गई है और अदालत में जाने से डरते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि इन कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को समाहित किया गया है, दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तारकर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल और मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है, जिनसे अदालतों में लगने वाले कागज़ों के अंबार से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहाकि एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है। अभी सिर्फ आरोपी की पेशी वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से हो सकती है, लेकिन अब पूरा ट्रायल, क्रॉस क्वेश्चनिंग सहित वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से होगा। शिकायतकर्ता और गवाहों का परीक्षण, जांच-पड़ताल और मुक़द्मे में साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और उच्च न्यायालय के मुक़दमे और पूरी अपीलीय कार्यवाही भी अब डिजिटली संभव होगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि हमने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और इस विषय के देशभर के विद्वानों एवं तकनीकी एक्सपर्ट्स केसाथ चर्चाकर इसे बनाया है। उन्होंने कहाकि सर्च और ज़ब्ती के वक़्त हमने वीडियोग्राफी को कंपल्सरी कर दिया है, जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा, पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोईभी चार्जशीट वैध नहीं होगी। गृहमंत्री ने कहाकि आज़ादी के 75 साल केबाद भी हमारा दोष सिद्धि का प्रमाण बहुत कम है, इसीलिए फॉरेंसिक साइंस को हमने बढ़ावा देने का काम किया है, तीन साल के बाद हर साल 33 हज़ार फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स और साइंटिस्ट्स देश को मिलेंगे। गृहमंत्री ने कहाकि इस कानून में हमने लक्ष्य रखा हैकि दोष सिद्धि के प्रमाण को 90 प्रतिशत से ऊपर लेकर जाना है, इसके लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया हैकि 7 वर्ष या इससे अधिक सज़ा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम की विज़िट को कंपल्सरी किया जा रहा है, इसके माध्यम से पुलिस केपास एक वैज्ञानिक साक्ष्य होगा, जिसके बाद कोर्ट में दोषियों के बरी होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। गृहमंत्री ने कहाकि वर्ष 2027 से पहले देश की सभी अदालतों को कंप्यूटराइज़्ड कर देंगे, इसी प्रकार मोबाइल फॉरेंसिक वैन का भी अनुभव किया जा चुका है। उन्होंने कहाकि दिल्ली में हमने एक सफल प्रयोग किया हैकि 7 वर्ष से अधिक सज़ा के प्रावधान वाले किसीभी अपराध के स्थल को एफएसएल टीम विज़िट करती है, इसके लिए हमने मोबाइल एफएसएल के कॉन्सेप्ट को लॉंच किया है, जोकि एक सफल कॉन्सेप्ट है और हर ज़िले में 3 मोबाइल एफएसएल रहेंगी और अपराध स्थल पर जाएंगी।
अमित शाह ने कहाकि नागरिकों की सुविधा केलिए आज़ादी के 75 साल केबाद पहलीबार ज़ीरो FIR को हम शुरू कर रहे हैं, अपराध कहीं भी हुआ हो, उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा, अपराध रजिस्टर होने के 15 दिन के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। गृहमंत्री ने कहाकि पहलीबार हम ई-एफआईआर का प्रावधान जोड़ रहे हैं, हर ज़िले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा, जो गिरफ्तार किएगए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारेमें ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूपसे सूचना देगा। अमित शाह ने कहाकि यौन हिंसा के मामले में पीड़ित का बयान कंपल्सरी कर दिया गया है और यौन उत्पीड़न के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अब कंपल्सरी कर दी गई है, पुलिस को 90 दिन में शिकायत का स्टेटस और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को स्टेटस देना कंपल्सरी होगा। गृहमंत्री ने कहाकि पीड़ित को सुने बिना कोईभी सरकार 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास का केस वापस नहीं ले सकेगी, इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। उन्होंने कहाकि पहलीबार हम कम्युनिटी सर्विस को सज़ा के रूपमें इस कानून में ला रहे हैं, छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा भी बढ़ा दिया गया है, अब 3 साल तक की सज़ा वाले अपराध समरी ट्रायल में शामिल हो जाएंगे, इस अकेले प्रावधान से ही सेशन्स कोर्ट्स में 40 प्रतिशत से अधिक केस समाप्त हो जाएंगे। अमित शाह ने कहाकि आरोप पत्र दाखिल करने केलिए 90 दिन की समयसीमा तय कर दी गई है और परिस्थिति देखकर अदालत आगे 90 दिन की परमीशन और दे सके, इस प्रकार 180 दिन के अंदर जांच समाप्त कर ट्रायल केलिए भेज देना होगा।
गृहमंत्री ने कहाकि कोर्ट अब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिन में देने केलिए बाध्य होंगे, बहस पूरी होने के 30 दिन के अंदर माननीय न्यायाधीश को फैसला देना होगा, इससे सालों तक निर्णय पेंडिंग नहीं रहेगा और फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा। गृहमंत्री ने कहाकि सिविल सर्वेंट या पुलिस अधिकारी के विरूद्ध ट्रायल केलिए सरकार को 120 दिन के अंदर अनुमति पर फैसला करना होगा, वरना इसे डीम्ड परमीशन माना जाएगा और ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। गृहमंत्री ने कहाकि हमने एक और बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव किया है, जो पुलिस अधीक्षक (SP) अभी नौकरी कर रहा है, वोही फाइल देखकर गवाही देगा, जो पहले था उसे आने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे गवाही जल्द होगी और न्याय भी जल्द हो सकेगा, इसके अलावा घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान लेकर आए हैं। उन्होंने बतायाकि अंतर्राज्यीय गिरोह और संगठित अपराधो के विरूद्ध अलग प्रकार की कठोर सज़ा का नया प्रावधान भी हम इस कानून में जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि महिलाओं केप्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटारे केलिए कई प्रावधान किए हैं। पहलीबार ऐसा प्रावधान किया गयाकि शादी, रोज़ग़ार और पदोन्नति के झूंठे वादे और गलत पहचान के आधार पर यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में लाया गया है। गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया है, जो आज अमल में नहीं है, 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने बतायाकि मॉब लिंचिग केलिए 7 साल, आजीवन कारावास और मृत्यु दंड के तीनों प्रावधान रखे गए हैं, मोबाइल फोन या महिलाओं की चेन की स्नेचिंग केलिए पहले कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब इसके लिए भी प्रावधान रखा गया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि गंभीर चोट के कारण निष्क्रियता की स्थिति और मामूली चोट लगने के मामले दोनों में 7 साल की सज़ा का प्रावधान था, हमने दोनों को अलग कर दिया है। उन्होंने कहाकि हमेशा केलिए अपंगता या ब्रेन डेड होने की स्थिति में 10 साल या आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है। बच्चों केसाथ अपराध करने वाले व्यक्ति केलिए सज़ा को 7 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है, अनेक अपराधों में जुर्माने की राशि को भी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, हिरासत में से भाग जाने वाले अपराधियों के लिए 10 साल की सज़ा का प्रावधान है। उन्होंने कहाकि सज़ा माफी को राजनीतिक फायदे केलिए उपयोग करने के कई मामले देखे जाते थे, अब मृत्यु दंड को आजीवन कारावास, आजीवन कारावास को कम से कम 7 साल की सज़ा और 7 साल के कारावास को कम से कम 3 साल तककी सज़ा में ही बदला जा सकेगा और किसीभी गुनहगार को छोड़ा नहीं जाएगा। गृहमंत्री ने कहाकि मोदी सरकार राजद्रोह को पूरी तरह से समाप्त करने जा रही है, क्योंकि भारत में लोकतंत्र है और सबको बोलने का अधिकार है, पहले आतंकवाद की कोई व्याख्या ही नहीं होती थी, लेकिन अब अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववाद, भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसे अपराधों की पहलीबार इस कानून में व्याख्या की गई है और इससे जुड़ी संपत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार भी दिया गया है, जांचकर्ता पुलिस अधिकारी के संज्ञान पर कोर्ट इसका आदेश देगा।
अमित शाह ने कहाकि अनुपस्थिति में ट्रायल केबारे में मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है, सेशन्स कोर्ट के जज द्वारा प्रक्रिया केबाद भगोड़ा घोषित किएगए व्यक्ति की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सज़ा भी सुनाई जाएगी, चाहे वो दुनिया में कहीं भी छिपा हो, उसे सज़ा के खिलाफ अपील करने केलिए भारतीय कानून और अदालत की शरण में आना होगा। अमित शाह ने कहाकि देशभर के पुलिस स्टेशनों में बड़ी संख्या में केस संपत्तियां पड़ी रहती हैं, इनकी वीडियोग्राफी करके सत्यापित प्रति कोर्ट में जमा करके इनका निपटारा किया जा सकेगा। उन्होंने कहाकि कानून में कुल 313 बदलाव किए गए हैं, जो हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक आमूलचूल परिवर्तन लाएंगे और किसीको भी अधिकतम 3 वर्ष में न्याय मिल सकेगा। अमित शाह ने कहाकि इस कानून में महिलाओं और बच्चो का विशेष ध्यान रखा गया है, अपराधियों को सज़ा मिले ये सुनिश्चित किया गया है और पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग ना कर सके, ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं।