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'भारतीय चंद्रयान का विश्व समुदाय कायल'

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश होगा

विश्व समुदाय को सांस रोककर अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा

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Friday 18 August 2023 12:41:02 PM

chandrayaan (file photo)

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि चंद्रयान-3 के विशेष निष्कर्षों और इनपुट्स का विश्व समुदाय कायल है और इसका निश्चित रूपसे विश्व समुदाय को लाभ होगा। डॉ जितेंद्र सिंह चंद्रयान-3 मिशन की एक और ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद मीडिया से बातकर रहे थे, जब प्रज्ञान रोवर को ले जाने वाले अंतरिक्ष यान का विक्रम लैंडर मॉड्यूल अपनी आगे की चंद्र यात्रा में प्रोपल्सन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हुआ। उन्होंने कहाकि अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ ने हमसे बहुत पहले ही अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू कर दी थी और अमेरिका ने 1969 में चंद्रमा की सतह पर एक मनुष्य को भी उतारा था, फिर भी यह हमारा चंद्रयान ही था, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी की तस्वीरें खींचकर अमेरिका सहित विश्व में सभीको चौंका दिया।
अंतरिक्ष राज्यमंत्री ने कहाकि हमने हमेशा काल्पनिक कहानियां सुनी हैं और हम खुद से पूछते थेकि क्या चंद्रमा पर लोग रहते हैं, लेकिन पहली बार चंद्रयान की खोज ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन सवालों के वैज्ञानिक जवाब तलाशने पर मजबूर कर दिया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्व का एकमात्र देश होगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने विश्वास जताया कि मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया हैकि 23 अगस्त 2023 को शाम 5.30 से 6.00 बजे के बीच चंद्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग होगी। उन्होंने कहाकि प्रत्येक भारतीय और पूरी दुनिया हर पल इसे देख रही है और सांस रोककर अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है। डॉ जितेंद्र सिंह ने मीडियाकर्मियों को बताया कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलो-ऑन मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा या चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और परिक्रमा करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है।
अंतरिक्ष राज्यमंत्री ने कहाकि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने केलिए आवश्यक जटिल मिशन प्रोफ़ाइल को बहुत सटीक तरीके से क्रियांवित किया गया है। उन्होंने बतायाकि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग केबाद छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और उसके चंद्रमा पर 14 दिन तक काम करने की सम्भावना है एवं रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से हम तस्वीरें ले सकेंगे। अंतरिक्ष कर्मियों केलिए सक्षम वातावरण प्रदान करने और सार्वजनिक निजी भागीदारी केलिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने जैसे अग्रणी निर्णय लेने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि विकास की वर्तमान गति के आधार पर भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आने वाले वर्ष में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हो सकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि चंद्रयान-3 मिशन के प्राथमिक तीन उद्देश्य हैं-चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर की परिक्रमा करना और चन्द्रमा की सतह पर इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
डॉ जितेंद्र सिंह ने याद दिलायाकि चंद्रयान की श्रृंखला में पहले अर्थात चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय दिया जाता है और जो विश्व यहां तककि सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों केलिए एक नई खोज थी। उन्होंने कहाकि संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा भी इस खोज से हैरान था और उसने अपने आगे के प्रयोगों केलिए इन जानकारियों का उपयोग किया। उन्होंने कहाकि चंद्रयान-3 इससे अगले स्तरपर संचालित है, अंतरिक्ष यान अपने प्रक्षेपण केलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के विकसित लॉंच व्हीकल मार्क-3 का उपयोग किया है। इससे पहले इस मिशन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 हेवी लिफ्ट प्रक्षेपण वाहन के माध्यम से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था और उसके बाद चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक कक्षा में भेजा गया था।

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