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Saturday 19 August 2023 11:26:59 AM
गांधीनगर (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में वीडियो संदेश से शामिल हुए और 2.1 मिलियन डॉक्टरों, 3.5 मिलियन नर्सों, 1.3 मिलियन अर्द्ध चिकित्साकर्मियों, 1.6 मिलियन फार्मासिस्टों और भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में संलग्न लाखों लोगों की ओरसे जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों का स्वागत किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि गांधीजी स्वास्थ्य को इतना महत्वपूर्ण मानते थेकि उन्होंने इस विषय पर 'की टू हेल्थ' नामक पुस्तक की रचना की। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वस्थ रहने का आशय व्यक्ति के मन व शरीर का सामंजस्य और संतुलन की स्थिति में होना है, जिसका अभिप्राय हैकि स्वास्थ्य ही जीवन का आधार है। उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक भी पढ़ा, जिसका अर्थ है-'स्वास्थ्य ही परम धन है और अच्छे स्वास्थ्य से हर कार्य पूरा किया जा सकता है।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि कोविड-19 महामारी ने हमें याद दिलाया हैकि स्वास्थ्य हमारे निर्णयों के केंद्र में होना चाहिए। उन्होंने कहाकि समय ने हमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अहमियत भी समझायी है, चाहे वह दवा और वैक्सीन वितरण के संबंध में हो या अपने लोगों को घर वापस लाने के संबंध में हो। दुनिया को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने की भारत सरकार की मानवीय पहल पर प्रधानमंत्री ने कहाकि वैक्सीन मैत्री पहल के तहत भारत ने ग्लोबल साउथ के अनेक देशों सहित 100 से अधिक देशों को 300 मिलियन वैक्सीन की खुराक वितरित की। महामारी के दौरान लचीलेपन को सबसे बड़ा सबक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को लचीला होना चाहिए एवं हमें अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति की रोकथाम करने, तैयार रहने और मुकाबला करने केलिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि मौजूदा परस्पर संबद्ध दुनिया में यह विशेष रूपसे महत्वपूर्ण है, जैसाकि हमने कोरोना महामारी के दौरान देखाकि दुनिया के एक हिस्से की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत कम समय में दुनिया के अन्य सभी हिस्सों पर असर डाल सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में हम समग्र और समावेशी दृष्टिकोण का अनुसरण कर रहे हैं, हम स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहे हैं, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा दे रहे हैं और सभीको किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन समग्र स्वास्थ्य की सार्वभौमिक इच्छा का प्रतीक है और वर्ष 2023 अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूपमें मनाया जा रहा है, मोटे अनाज या 'श्री अन्न' जिस नामसे वे भारत में जाने जाते हैं के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा मानना हैकि समग्र स्वास्थ्य और कल्याण हर किसीकी क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकता है, गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन से इसकी क्षमता का उपयोग करने के प्रयासों में तेजी आएगी। उन्होंने कहाकि पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक भंडार का निर्माण करना हमारा साझा प्रयास होना चाहिए।
स्वास्थ्य और पर्यावरण के एक-दूसरे से जैविक रूपसे संबद्ध होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि साफ हवा, सुरक्षित पेयजल, पर्याप्त पोषण और सुरक्षित आश्रय स्वास्थ्य के प्रमुख कारक हैं। उन्होंने जलवायु और स्वास्थ्य पहल के शुभारंभ की दिशा में उठाए गए कदमों केलिए जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों को बधाई दी। उन्होंने कहाकि एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरे से निपटने केलिए उठाए गए कदम भी सराहनीय हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि एएमआर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य और अबतक की सभी फार्मास्युटिकल प्रगति केलिए एक गंभीर खतरा है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि जी-20 स्वास्थ्य कार्य समूह ने 'वन हेल्थ' को प्राथमिकता दी है और 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' का हमारा विजन पूरे इकोसिस्टम मनुष्यों, पशुओं, पौधों और पर्यावरण के अच्छे स्वास्थ्य की परिकल्पना करता है। उन्होंने कहाकि यह एकीकृत दृष्टिकोण गांधीजी के किसीको भी पीछे नहीं छोड़ने का संदेश देता है। स्वास्थ्य संबंधी पहलों की सफलता के प्रमुख घटक के रूपमें सार्वजनिक भागीदारी के महत्व पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह हमारे कुष्ठ उन्मूलन अभियान की सफलता के मुख्य कारणों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि तपेदिक उन्मूलन पर हमारा महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जनभागीदारी कोभी प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहाकि हमने देश की जनता से 'नि-क्षय मित्र' या 'टीबी उन्मूलन केलिए मित्र' बनने का आह्वान किया है, जिसके तहत लगभग 1 मिलियन रोगियों को नागरिकों ने अपनाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अब हम 2030 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले ही तपेदिक का उन्मूलन करने की राह पर हैं। स्वास्थ्य सेवा सभी केलिए सुलभ बनाने में डिजिटल समाधानों और नवाचारों की भूमिका पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि ये हमारे प्रयासों को समानता आधारित और समावेशी बनाने का उपयोगी साधन हैं, क्योंकि दूर-दराज के मरीज़ टेली-मेडिसिन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय मंच ई-संजीवनी की सराहना करते हुए कहाकि इसने अबतक 140 मिलियन टेली-स्वास्थ्य परामर्श की सुविधा प्रदान की है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि इसने 2.2 अरब से अधिक वैक्सीन खुराकों की डिलीवरी और विश्वस्तर पर सत्यापन योग्य टीकाकरण प्रमाणपत्रों की वास्तविक समय पर उपलब्धता का प्रबंधन किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल विभिन्न डिजिटल स्वास्थ्य पहलों को एक साझा मंच पर लाएगी। प्रधानमंत्री ने आह्वान करते हुए कहाकि आइए हम अपने नवाचारों का उपयोग जनकल्याण केलिए करें, आइए हम धन की उपलब्धता के संबंध मेंदोहराव से बचें, आइए हम प्रौद्योगिकी की समान उपलब्धता सुगम बनाएं। उन्होंने कहाकि यह पहल ग्लोबल साउथ के देशों को स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के अंतर को समाप्त करेगी और हमें सबके लिए स्वास्थ्य की कवरेज प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य के एक कदम और करीब ले जाएगी। प्रधानमंत्री ने अपना भाषण संस्कृत में मानवता केलिए एक प्राचीन भारतीय कामना केसाथ समाप्त किया, जिसका अनुवाद है, 'सभी सुखी हों, सभी रोग मुक्त हों।'