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Saturday 19 August 2023 03:47:00 PM
बेंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु शहर में आयोजित जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा हैकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता की भावना एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था पर चर्चा केलिए इससे बेहतर स्थल नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने बीते 9 वर्ष में भारत में हुए अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन केलिए 2015 में डिजिटल इंडिया पहल के शुभारंभ को श्रेय दिया। उन्होंने रेखांकित कियाकि भारत का डिजिटल परिवर्तन नवाचार में इसके अटूट विश्वास और त्वरित कार्यांवयन केलिए इसकी प्रतिबद्धता और समावेश की भावना से प्रेरित है, जिसमें कोईभी पीछे नहीं है। इस परिवर्तन के पैमाने, गति और दायरे का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के 850 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की भी चर्चा की, जो दुनिया में कुछ सबसे सस्ती डेटा लागतों का आनंद लेते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शासन को बदलने और इसे अधिक कुशल, समावेशी, तेज और पारदर्शी बनाने केलिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का उल्लेख किया और 1.3 बिलियन से अधिक लोगों को कवर करने वाले भारत के अद्वितीय डिजिटल पहचान मंच आधार का उदाहरण दिया। उन्होंने जेएएम ट्रिनिटी यानी जनधन बैंक खातों, आधार और मोबाइल का उल्लेख किया, जिनके माध्यम से वित्तीय समावेशन और यूपीआई भुगतान प्रणाली में क्रांति आ चुकी है, इन साधनों से हर महीने लगभग 10 बिलियन लेन-देन होते हैं और वैश्विक वास्तविक समय भुगतान का 45 प्रतिशत भारत में होता है। प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना का जिक्र करते हुए कहाकि इस प्रणाली में खामियों को दूर करने से 33 अरब डॉलर से अधिक की बचत हुई है। भारत के कोविड टीकाकरण अभियान का समर्थन करने वाले कोविन पोर्टल के बारेमें प्रधानमंत्री ने बतायाकि इसने डिजिटल रूपसे सत्यापन योग्य प्रमाणपत्रों केसाथ 2 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक की डिलीवरी में सहायता प्रदान की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गति शक्ति मंच के बारेमें बताया, जो बुनियादी ढांचे और रसद को मैप करने केलिए प्रौद्योगिकी एवं स्थानिक योजना का उपयोग करता है, जिससे योजना बनाने, लागत को कम करने और वितरण की गति बढ़ाने में सहायता मिलती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऑनलाइन सार्वजनिक खरीद प्लेटफार्म गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्ठा लाई जा सकी है। उन्होंने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स कीभी जानकारी दी, जिसके माध्यम से ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण किया जारहा है। उन्होंने कहाकि पूरी तरह से डिजिटल कराधान प्रणाली पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने एआई संचालित भाषा अनुवाद मंच 'भाषिनी' के विकास का भी उल्लेख किया, जो भारत की विविध भाषाओं में डिजिटल समावेशन का समर्थन करता है। देश की असाधारण विविधता पर प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में दर्जनों भाषाएं और सैकड़ों बोलियां हैं, यह दुनियाभर के हर धर्म और असंख्य सांस्कृतिक प्रथाओं का घर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा वैश्विक चुनौतियों केलिए व्यवहार्य, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि प्राचीन परंपराओं से नवीनतम प्रौद्योगिकियों तक भारत में सभी केलिए कुछ न कुछ है। उन्होंने कहाकि इस तरह की विविधता केसाथ भारत समाधान केलिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है। उन्होंने कहाकि भारत में सफल होने वाले समाधान को दुनिया में कहीं भी आसानी से लागू किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कियाकि भारत दुनिया केसाथ अपने अनुभव साझा करने केलिए तैयार है और कोविड महामारी के दौरान वैश्विक कल्याण केलिए प्रस्तुत किए गए कोविन प्लेटफॉर्म का उदाहरण दिया। उन्होंने रेखांकित कियाकि भारत ने एक ऑनलाइन ग्लोबल पब्लिक डिजिटल गुड्स रिपॉजिटरी इंडिया स्टैक बनाया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेकि विशेषकर ग्लोबल साउथ केसाथ-साथ कोई भी पीछे न छूटे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त कियाकि कार्यसमूह जी-20 वर्चुअल ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी का निर्माण कर रहा है, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे केलिए समान प्रारूप पर प्रगति से सभी केलिए एक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष डिजिटल इकोसिस्टम बनाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल कौशल की दूसरे देश से तुलना की सुविधा और डिजिटल कौशल पर वर्चुअल कौशल केंद्र स्थापित करने केलिए एक प्रारूप तैयार करने के प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने कहाकि भविष्य केलिए तैयार कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने केलिए ये महत्वपूर्ण प्रयास हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था के वैश्विकस्तर पर फैलने केसाथ सुरक्षा खतरों और चुनौतियों को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि एक सुरक्षित, विश्वसनीय और लचीली डिजिटल अर्थव्यवस्था केलिए जी-20 उच्चस्तरीय सिद्धांतों पर आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम वर्तमान में जिस तरह से प्रौद्योगिकी से जुड़े हैं, यह सभी केलिए समावेशी और सतत विकास का भरोसा दिलाती है। उन्होंने कहाकि जी-20 देशों केपास एक समावेशी, समृद्ध और सुरक्षित वैश्विक डिजिटल भविष्य की नींव रखने का एक अनूठा अवसर है। उन्होंने कहाकि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों और छोटे व्यवसायों द्वारा डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने, वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टमबनाने के लिए रूपरेखा स्थापित करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग केलिए भी प्रारूप विकसित करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव देते हुए कहाकि मानवता के सामने आनेवाली चुनौतियों का सामना करने केलिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों का एक पूरा इकोसिस्टम तैयार किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहाकि हमें केवल दृढ़ विश्वास, प्रतिबद्धता, समन्वय और सहयोग की आवश्यकता है और विश्वास व्यक्त कियाकि जी-20 देशों का कार्य समूह हमें उस दिशा में आगे ले जाएगा।