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Wednesday 19 June 2013 08:06:58 AM
नई दिल्ली / देहरादून। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में राहत और बचाव के लिए सभी प्रकार की सहायता का आश्वासन देते हुए एक हज़ार करोड़ रूपये देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने कल शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से बातचीत कर राज्य में बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली थी और आज उन्होंने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मीडिया से कहा कि दोनों ने उत्तराखंड के वर्षा और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया, हमने राज्य में बड़े पैमाने पर हुई तबाही को खुद देखा, हमारा हृदय उन परिवारों के दुःख के साथ द्रवित हो रहा है, जिन्होंने इस बड़ी त्रासदी में अपने परिजन खोए हैं और जो इसमें घायल हो गए हैं या जिनकी धन संपत्ति की हानि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों के राहत और बचाव में सेना और वायु सेना पहले से ही कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों को भी राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में सहायता करने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने उत्तराखंड में आपदा राहत के लिए एक हज़ार करोड़ रूपये मुहैया कराने का फैसला किया है, जिसमें से 145 करोड़ रूपए की राशि तत्काल जारी की जा रही है, सभी केंद्रीय एजेंसियों को भी निर्देश दिया गया है कि वे राज्य में अपने स्तर पर सभी संभव सहायता प्रदान करें। उन्होंने कहा कि जान और माल के नुकसान, सड़क और बुनियादी ढांचे को हुई हानि के पूरे आकलन में अभी कुछ वक्त लगेगा, इसलिए अभी प्रशासन के सामने सबसे पहली प्राथमिकता आपदा में फंसे लोगों को बचाना और उन लोगों को सहायता मुहैया कराना है, जिन्हें इनकी सबसे अधिक जरूरत है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से उन प्रत्येक परिवारों को 2-2 लाख रूपये दिए जाएंगे, जिन्होंने इस विध्वंस में अपने परिजन खोए हैं। घायलों को 50-50 हज़ार रूपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इसके अलावा उन लोगों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से एक-एक लाख रूपये की सहायता भी मिलेगी, जिनके घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और 50-50 हज़ार रूपये की राशि उन्हें दी जाएगी, जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीए अध्यक्ष और मैंने आज जो देखा वह बहुत ही तकलीफदेह था। ताजा अनुमानों में मृतकों का आंकड़ा 102 सामने आया है पर आशंका है, इसमें और बढ़ोत्तरी हो सकती है, अब तक दस हज़ार से अधिक लोगों को बचाया गया है और उन्हें भोजन, कपड़े, तथा शरण दी गई है, अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं, सबसे अधिक क्षति केदारनाथ और उसके आस पास के क्षेत्र में हुई है, सबसे पहली आवश्यकता बचाव और राहत अभियानों की है और सरकार इस प्रयास में कोई कमी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने इस विकट त्रासदी से निपटने के लिए तुरंत सभी संभव संसाधन तैनात कर दिए हैं। राहत और बचाव के उपायों में सेना के लगभग 5500 जवान और अधिकारी, सीमा सड़क संगठन के 3000 कर्मी तथा भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 600 जवान लगे हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा बचाव समूह के 13 दलों को तैनात किया गया है। भारतीय वायुसेना ने 18 हेलीकॉप्टर और एक सी-130 विमान राहत और बचाव कार्यों में लगाए हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए निजी हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार आपसी सामंजस्य से इस दिशा में लगातार काम जारी रखेगी, ताकि प्रभावित लोगों को तत्काल सभी संभव सहायता सुनिश्चित की जा सके और उन्हें फिर से अपने जीवन को बसाने में मदद मुहैया करायी जा सके।