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चांद पर भारत की जय हो! इसरो की जय हो!

'हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अछूते क्षेत्र में स्थापित'

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग पर अंतरिक्ष राज्यमंत्री का बयान

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Thursday 24 August 2023 01:24:39 PM

'our national pride set in the uncharted region of the moon's south pole'

बैंगलुरू। 'चंद्रमा पर भारत की जय हो! इसरो की जय हो!' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के तुरंत बाद पीएमओ, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के ये प्रारंभिक शब्द थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के वक्त एक ट्वीट में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि दूसरे लोग चांद की कल्पना करते हैं, हमने चांद को महसूस किया है, जहां बाकी लोग सपनों की उड़ान में खोए हुए हैं, वहीं चंद्रयान-3 ने सपने को हकीकत में बदल दिया है, चंद्रमा के आकाश में ऊंचा लहराता हुआ तिरंगा भारत के संकल्प की पुष्टि करता है, जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि 'आसमान की सीमा नहीं है'।
अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मीडिया को दिए एक संक्षिप्त बयान में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, मिशन निदेशक मोहन कुमार और इसरो की पूरी टीम की सराहना की, जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय गौरव का दायरा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अछूते क्षेत्र तक स्थापित किया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अबतक कोई अन्य अंतरिक्ष मिशन यहां नहीं पहुंच सका है। उन्होंने कहाकि सामान्य नागरिकों केलिए यह समझना कठिन हैकि इसे कितनी निरंतर मेहनत, प्रयास और दृढ़ संकल्प से हासिल किया गया है, वर्षों और महीनों तक दिन-रात काम करने, सावधानीपूर्वक योजना और सूक्ष्म विवरण ने मिशन की सफलता सुनिश्चित की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी राष्ट्र के रूपमें अपनी स्थिति की फिरसे पुष्टि की है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उनके संस्थापक विक्रम साराभाई के सपने को साकार करने में सक्षम बनाने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया, जिससे भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक ऐसा माहौल तैयार हुआ, जिसमें भारत की विशाल क्षमता और प्रतिभा को एक रास्ता मिला और वह खुदको बाकी दुनिया के सामने साबित कर सका।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि विक्रम अपने एल्गोरिदम और उपकरणों की मदद से सुरक्षित रूपसे उतर गया और लैंडर का झुकाव अंतरिक्ष रॉकेट पर लगे इनक्लिनोमीटर से मापा गया, जबकि विक्रम के कैमरों ने चंद्रमा की तस्वीरें खींचीं और टचडाउन की पुष्टि की साथही अन्य सेंसर से भी इसकी पुष्टि हुई। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस क्षण केबाद आगे की गतिविधियों का वर्णन करते हुए कहाकि विक्रम और प्रज्ञान पर प्रयोग पूरे दिन जारी रहेंगे और चंद्रमा पर अगले 14 दिन तक सभी उपकरणों से अधिक डेटा एकत्र किया जाएगा। लैंडर के बारेमें डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि संचालन के उपकरणों में ध्रुवीय क्षेत्र केपास चंद्र सतह के थर्मल गुणों की माप करने केलिए चंद्र का सतह थर्मो भौतिक प्रयोग, लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर एरे, रंभा-एलपी-सतह के प्लाज्मा घनत्व को मापने केलिए एक लैंगमुइर प्रोब, भविष्य के ऑर्बिटर्स द्वारा चंद्र सतह पर लैंडर की सटीक स्थिति को मापने केलिए विक्रम के कोने पर एक लेजर रिफ्लेक्टर लगाया गया है।
अंतरिक्ष राज्यमंत्री ने बतायाकि लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने और समझने केलिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि केलिए उपकरण चंद्र परत और मेंटल की संरचना, चंद्र लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना निर्धारित करने केलिए लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी, एपीएक्सएस-अल्फा कण चंद्र सतह और आकार के बारेमें हमारी समझ को और बढ़ाने केलिए रासायनिक संरचना और खनिज संरचना को मापने केलिए एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर निकट अवरक्त वेवलेंथ रेंज (1 - 1.7 μm) में रहने योग्य ग्रह पृथ्वी के स्पेक्ट्रो पोलरिमेट्रिक का अध्ययन करने के स्पेक्ट्रो पोलरिमेट्री लगाया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि रात और अत्यधिक ठंड की स्थिति केबाद अगले 14 दिन के अंत में दिन निकलने पर विक्रम और प्रज्ञान केलिए सौर ऊर्जा उत्पादन फिर से शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहाकि ऑर्बिटर को लंबे समय तक चलने केलिए डिजाइन किया गया है।

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