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ब्रिक्स सदस्य देशों में और भी नए देश शामिल

अफ्रीका को भविष्य का ग्लोबल पावरहाउस बनाएंगे-प्रधानमंत्री

'ब्रिक्स एक संगठन के रूप में और भी ज्यादा मज़बूत होगा'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 24 August 2023 05:14:36 PM

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जोहान्सबर्ग/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस वार्ता में शामिल हुए और कहाकि अफ्रीका की भूमि पर ब्रिक्स मित्रों केबीच उपस्थित होकर उन्हें बहुत प्रसन्नता है। प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा का हृदय से अभिनंदन कियाकि उन्होंने ब्रिक्स आउटरीच समिट में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका के देशों केसाथ विचार साझा करने का अवसर दिया है। उन्होंने कहाकि इन दो दिन में ब्रिक्स की सभी चर्चाओं में हमने ग्लोबल साउथ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं पर बल दिया है, हमारा मानना हैकि ब्रिक्स द्वारा इन मुद्दों पर विशेष महत्व दिया जाना वर्तमान समय की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने ब्रिक्स की 15वीं वर्षगांठ पर ब्रिक्स फोरम का विस्तार करने का भी निर्णय लिया है, हम सभी पार्टनर देशों का स्वागत करते हैं और भारत का मत हैकि नए सदस्यों के जुड़ने से ब्रिक्स एक संगठन के रूपमें और मज़बूत होगा तथा हमारे सभी साझा प्रयासों को एक नया बल देने वाला होगा। उन्होंने कहाकि हम अर्जेंटीना, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब, इथियोपिया और यूएई का ब्रिक्स में स्वागत करने केलिए सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये वैश्विक संस्थाएं और मंच प्रतिनिधि और समावेशी बनाने की हमारी कोशिशों की एक पहल है, जब हम ग्लोबल साउथ शब्द का प्रयोग करते हैं तो यह मात्र कूटनीतिक शब्द नहीं है, हमारे साझा इतिहास में हमने उपनिवेशवाद और रंगभेद का मिलकर विरोध किया है। उन्होंने कहाकि अफ्रीका की भूमि पर ही महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध जैसी शक्तिशाली अवधारणाओं को विकसित किया, परखा और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस्तेमाल किया था, उनकी सोच और विचारों ने अफ्रीका के महान नेता नेल्सन मंडेला को प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इतिहास के इस मज़बूत आधार पर हम अपने आधुनिक संबंधों को एक नया स्वरूप दे रहे हैं, भारत ने अफ्रीका केसाथ संबंधो को उच्च प्राथमिकता दी है, उच्चस्तरीय बैठकों केसाथ हमने अफ्रीका में 16 नए दूतावास खोले हैं। उन्होंने कहाकि आज भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और पांचवा सबसे बड़ा निवेशक देश है, सूडान, बुरुंडी और रवांडा में पावर प्रोजेक्ट्स हों या इथियोपिया और मलावी में शुगर प्लांट्स हैं, मोजाम्बिक, कोत दिव्वार और एस्वातिनी में टेक्नोलॉजी पार्क्स हों या तंज़ानिया और यूगांडा में भारतीय विश्वविद्यालयों के कैंपस बनाए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत ने अफ्रीका के देशों की क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे का विकास को हमेशा प्राथमिकता दी है, एजेंडा 2063 के अंतर्गत अफ्रीका को भविष्य का ग्लोबल पावरहाउस बनाने की यात्रा में भारत एक विश्वसनीय और करीबी साझेदार है। उन्होंने कहाकि अफ्रीका में डिजिटल डिवाइड कम करने केलिए हमने टेली एजुकेशन और टेली-मेडिसिन में पंद्रह हज़ार से भी अधिक छात्रवृत्ति प्रदान की हैं, हमने नाइजीरिया, इथियोपिया और तंज़ानिया में रक्षा अकादमियां और कॉलेज का निर्माण किया है, बोत्सवाना, नामीबिया, यूगांडा, लेसोथो, ज़ाम्बिया, मॉरिशस, सेशेल्स और तंज़ानिया में प्रशिक्षण केलिए टीम्स तैनात की हैं, लगभग 4400 भारतीय शांतिदूत, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, अफ्रीका में शांति और स्थिरता बहाल करने केलिए अपना योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आतंकवाद और पायरेसी के विरुद्ध लड़ाई में भी हम अफ्रीका के देशों केसाथ मिलकर काम कर रहे हैं, कोविड महामारी के मुश्किल समय में हमने अनेक देशों को खाद्य पदार्थों और वैक्सीन की आपूर्ति की, अब हम अफ्रीकी देशों केसाथ मिलकर कोविड और अन्य वैक्सीन की संयुक्त विनिर्माण पर भी काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि मोजाम्बिक और मालावी में चक्रवात हों या मेडागास्कर में बाढ़, भारत प्रथम उत्तरदाता के रूपमें सदैव अफ्रीका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है। उन्होंने कहाकि लैटिन अमेरिका से सेंट्रल एशिया तक, पश्चिम एशिया से दक्षिण-पूर्व एशिया तक, इंडो-पेसिफ़िक से इंडो-अटलांटिक तक भारत सभी देशों को एक परिवार के रूपमें देखता है। उन्होंने कहाकि वसुधैव कुटुम्बकम यानि पूरा विश्व एक परिवार है, हजारों वर्षों से हमारी जीवनशैली का आधार है, यह हमारी जी-20 अध्यक्षता का भी मूलमंत्र है। उन्होंने कहाकि ग्लोबल साउथ की चिंताओं को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए हमने तीन अफ़्रीकी देशों तथा कई विकासशील देशों को अतिथि देश के रूपमें आमंत्रित किया है, भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की स्थायी सदस्यता देने का प्रस्ताव भी रखा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका मानना हैकि ब्रिक्स और आज उपस्थित सभी मित्र देश मिलकर बहुध्रुवीय वर्ल्ड को सशक्त करने में सहयोग कर सकते हैं, ग्लोबल संस्था का प्रतिनिधि बनाने और उपयुक्त रखने केलिए उनके रिफार्म को प्रगति दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि काउंटर टेररिज्म, पर्यावरण सुरक्षा, क्लाइमेट एक्शन, साइबर सिक्यूरिटी, फ़ूड और हेल्थ सिक्यूरिटी, ऊर्जा सिक्यूरिटी, लचीली सप्लाई चेन के निर्माण में हमारे समान हित हैं, सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स नेताओं को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे केलिए गठबंधन, एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य, बिग कैटालियंस जैसी व्यापारिक चिकित्सा केलिए वैश्विक केंद्र में सहभागिता केलिए आमंत्रित किया। भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक से जुड़ने, अपने-अपने विकास में उसका लाभ उठाने केलिए भी सबको आमंत्रित किया औश्र कहाकि हमें अपना अनुभव और क्षमताएं आप सबके साथ साझा करने में ख़ुशी होगी। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि साझा प्रयासों से हमें सभी चुनौतियों का मिलकर सामना करने केलिए एक नया आत्मविश्वास मिलेगा।

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