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Wednesday 6 September 2023 01:41:22 PM
कोटा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी कोटा यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से संवाद करके उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान संसद में व्यवधानों को अनुचित बताते हुए उन्होंने कहाकि देश की सबसे बड़ी पंचायत संवाद और विचार-विमर्श का मंच होनी चाहिए नाकि शोर-शराबे और हंगामे का। उन्होंने कहाकि एक मुद्दा आया वन नेशन-वन इलेक्शन का, कुछ कह रहे हैंकि हम चर्चा ही नहीं करेंगे! अरे चर्चा करना आपका काम है, उससे सहमत होना या ना होना आपका विवेक है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो वह लोकतंत्र कहां है? लोकतांत्रिक मूल्यों केलिए आवश्यक हैकि चर्चा और विमर्श हो। सरकारों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने को गलत प्रवृत्ति बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारा जोर पूंजीगत व्यय पर अधिक होना चाहिए, ताकि स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा सके, ऐसा करने के बजाय यदि कोई सरकार लोगों की जेब गर्म करती है तो यह लाभ अल्पकालिक होगा और इससे दीर्घकालिक नुकसान उठाने पड़ेंगे।
भारतीय इतिहास पढ़ाने से संबंधित एक छात्र के प्रश्न के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहाकि हर छात्र-छात्रा को इतिहास पढ़ना चाहिए, भले ही उनके अध्ययन के विषय कुछ भी हों, इससे हमें हमारे देश एवं स्वतंत्रता बलिदानियों के बारेमें जानने को मिलता है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि अमृतकाल में हमें अनेक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को जानने का अवसर मिला है। एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि प्राइमरी शिक्षा बच्चों का आधार तैयार करती है, अतः प्राइमरी एजुकेशन की गुणवत्ता सुधारने पर बल देना चाहिए। उन्होंने कहाकि गांवों में देखता हूंकि सरकारी स्कूलों की अच्छी बिल्डिंग हैं, काफी एरिया है, क्वालिफाइड शिक्षक हैं, लेकिन लोग अपने बच्चों को ऐसे छोटे प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं, जिसमें प्लेग्राउंड भी नहीं है और जहां उनका आर्थिक शोषण होता है, यह न केवल सरकार, बल्कि समाज, एनजीओ, आम नागरिक सबकी जिम्मेदारी हैकि वे सरकारी स्कूलों पर अपना ध्यान फोकस करें।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहाकि भारतीय होने पर गर्व कीजिए, भारत की उपलब्धियों पर गर्व कीजिए और हर हाल में राष्ट्र को सर्वोपरि रखिए। उन्होंने कहाकि भारत आज बुलंदियों पर है, लेकिन कुछ सिरफिरे परेशान हैं और मजबूत भारत को मजबूर भारत बताना चाहते हैं। उन्होंने छात्रों से कहाकि वे कभी टेंशन ना लें और असफलता के भय से भयभीत न हों, असफलता का भय सबसे बुरी बीमारी है। दुनिया का कोई भी बड़ा काम एक प्रयास में नहीं हुआ है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग कराते समय आखिरी क्षण में कुछ गड़बड़ी आ गई थी, लेकिन उसीसे सीखकर हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतार दिया। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को नदी से सीखने की सलाह देते हुए कहाकि जैसे नदी अपना रास्ता स्वयं बनाती है, वैसे ही युवाओं को अपनी रुचि और एप्टीट्यूड के अनुसार जीवन में कैरियर चुनना चाहिए, लोगों से प्रभावित होकर या उनके दबाब में आकर जीवन के निर्णय नहीं करने चाहिए।
स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि ये सभी कॉलेज ड्राप आउट्स थे, लेकिन उनमें कुछ नया करने का जुनून था। उन्होंने कहाकि डिग्री की आज सीमित अहमियत है, मुख्य बात है आपकी काबिलियत और आपकी स्किल। उभरते भारत की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि डिजिटल तकनीक, डीबीटी और पारदर्शिता के जरिये भ्रष्टाचारियों और दलालों को सत्ता के गलियारों से दूर कर दिया गया है। उन्होंने युवा छात्रों से अपील कीकि वे जीवन में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखें, संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों पर भी अमल करें। इस अवसर पर कोटा की विभिन्न कोचिंग संस्थानों के छात्र और शिक्षक उपस्थित थे। तत्पश्चात उपराष्ट्रपति ने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के पूर्व छात्रों से भी मुलाकात की।