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Wednesday 13 September 2023 02:47:48 PM
जम्मू। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा निर्माताओं से भारत को लगातार विकसित हो रही दुनिया केसाथ तालमेल बनाए रखने केलिए अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश करने का आग्रह किया है। राजनाथ सिंह भारतीय सेना की उत्तरी कमान, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जम्मू में संयुक्त रूपसे आयोजित नॉर्थ टेक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने कहाकि हालांकि अनुसंधान और विकास एक जोखिमभरा उद्यम है, क्योंकि इसके लिए अलग हटकर विचार करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहाकि कभी-कभी यह वांछित परिणाम नहीं देता है, इसके बावजूद यह किसीभी देश के विकास केलिए बुनियादी जरूरतों में से एक है, इसलिए अनुसंधान और विकास में पूंजी निवेश एक आवश्यकता बन गई है।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारत एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, प्रौद्योगिकी को अनुकरण या हस्तांतरण के माध्यम से हासिल करने में कुछभी गलत नहीं है, लेकिन केवल इन आधारों पर हम एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते, हमें अपने स्वयं के पेटेंट प्राप्त करने की आवश्यकता है, जिसके लिए अनुसंधान और विकास में बहुत अधिक निवेश की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि अनुसंधान और विकास में पूंजी निवेश से वर्तमान में कम लाभ हो सकता है, लेकिन यह लंबी अवधि में उद्योग जगत और देश केलिए लाभदायक सिद्ध होगा। राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत के भागीदारों से अनुसंधान और विकास को कुशल मानव संसाधनों के आधार पर प्रोत्साहित करने वाली संस्कृति अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास इकोसिस्टम तैयार करने केलिए आईआईटी, आईआईएम और आईआईएससी जैसे संस्थानों के कार्य को रक्षा क्षेत्र से संबद्ध करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहाकि भारतीय अनुसंधान और विकास क्षेत्र से उन इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए, जो विदेशों में शीर्ष विश्वविद्यालयों, कंपनियों, अंतरिक्ष एजेंसियों और वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों में काम कर रहे हैं और भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अनुसंधान और विकास केलिए अनुकूल संस्कृति बनाने केलिए देश-विदेश से शीर्ष प्रबंधकों, विधि विशेषज्ञों और वित्तीय विशेषज्ञों को नियुक्त करने की सिफारिश भी की। रक्षामंत्री ने इस बात को रेखांकित कियाकि उच्च कोटि की प्रतिभाओं की सेवाएं प्राप्त करने केलिए एक अच्छी कार्य संस्कृति और सकारात्मक वातावरण बनाने और नए मानव संसाधन मानकों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि हम 21वीं सदी में अपने कार्यबल को 19वीं सदी की मानव संसाधन नीति के आधार पर नहीं संचालित कर सकते, वर्तमान में काम की गुणवत्ता काम के घंटों की संख्या से अधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए रचनात्मकता और नवीनता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि एक ऐसी कार्य संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता है, जहां श्रेष्ठ और निम्न की नहीं बल्कि वरिष्ठ और जूनियर की अवधारणा हो एवं अनुसंधान और विकास में महिलाओं को भी अधिक प्रभावशीलता केसाथ शामिल करने की आवश्यकता है। राजनाथ सिंह ने भारतीय औद्योगिक इकाइयों में स्वामित्व और प्रबंधन में उचित अंतर सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री ने कहाकि कंपनियों के मामले में पारिवारिक स्वामित्व को उचित ठहराया जा सकता है, लेकिन पारिवारिक स्तरपर प्रबंधन कभी-कभी कंपनी और उसके कर्मचारियों केलिए घातक होता है। रक्षामंत्री ने सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स से एक स्वतंत्र निकाय बनाने का भी आह्वान किया, जिसमें उद्योग जगत के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल हों, यह निकाय पारदर्शिता केसाथ काम करेगा और कंपनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों का मूल्यांकन करेगा। उन्होंने कहाकि खरीदार या सरकार निश्चित रूपसे अपने स्तरपर उत्पादों की गुणवत्ता की जांच करने की कोशिश करेगी, लेकिन आंतरिक मूल्यांकन केलिए भी एक प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, यह गुणवत्ता जांच प्रणाली समय केसाथ विश्वस्तर पर आपकी विश्वसनीयता में वृद्धि करेगी। राजनाथ सिंह ने सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स को भ्रष्टाचार और पक्षपात के संभावित मामलों से निपटने केलिए एक आंतरिक सतर्कता व्यवस्था तैयार करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहाकि अगर आपसे जुड़ी कोई कंपनी किसी गलत काम में लिप्त है या गलत जानकारी दे रही है तो आपको इसे सरकार के सामने लाना चाहिए, इस तरह की कार्रवाइयों से संस्थानों में लोगों का भरोसा और बढ़ेगा।'
रक्षामंत्री ने घरेलू उद्योग को सहायता देने केलिए मोदी सरकार के कदमों को सूचीबद्ध किया जैसे-मांग आश्वासन सुनिश्चित करने केसाथ रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नीति को लागू करना शामिल है। उन्होंने कहाकि सरकार और घरेलू कंपनियों केबीच तालमेल से वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन और 16000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि रक्षा निर्यात जल्द ही 20000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लेगा। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के अनुरूप उद्योग जगत को स्वयं केसाथ-साथ राष्ट्र का समग्र विकास सुनिश्चित करने केलिए रक्षा मंत्रालय द्वारा निरंतर सहायता प्रदान करने का भरोसा वक्त किया। गौरतलब हैकि नॉर्थ टेक संगोष्ठी प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है और इस वर्ष इसका आयोजन आईआईटी जम्मू में किया गया, इसमें लगभग 200 उद्योग भागीदारों की उत्साहपूर्ण प्रतिभागिता देखी गई और 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण के अंतर्गत निर्माताओं केपास उपलब्ध समकालीन प्रौद्योगिकियों और हार्डवेयर समाधानों के बारेमें जागरुकता केलिए विभिन्न हितधारकों केबीच जानकारी देने का अवसर प्रदान किया गया। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड और आइडियाफोर्ज टेक्नोलॉजी लिमिटेड सहित कई उद्योग भागीदारों को सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स चैंपियन पुरस्कार 2023 प्रदान किए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संगोष्ठी के दौरान ढेर सारे स्वदेशी हथियारों का अवलोकन किया। उन्होंने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयासों में उत्तरी कमान, आईआईटी जम्मू, एसआईडीएम और उद्योग भागीदारों सहित सभी हितधारकों के प्रयासों की प्रशंसा की। संगोष्ठी ने परीक्षणों केबाद उत्तरी कमान में शामिल करने केलिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों और उत्पादों की पहचान करने का मार्ग प्रशस्त किया और सभी उद्योग भागीदारों को अपने उत्पादों, नवाचारों और प्रौद्योगिकी क्षमताओं को प्रदर्शित करने केलिए एक अनूठा मंच प्रदान किया। संगोष्ठी का उद्देश्य सजीव अभियानों और युद्ध क्षेत्रों में उपयोग किए जानेवाले विभिन्न उपकरणों की सर्वोत्तम स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के उपयोग की सुविधा प्रदान करना था। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एसआईडीएम अध्यक्ष एसपी शुक्ला भी संगोष्ठी में उपस्थित थे।