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देश में प्रोजेक्ट चीता का कार्यांवयन सफल

एक वर्ष पूूरे होने पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान एमपी में कार्यक्रम

अगले 5 वर्ष में 12 से 14 चीतों को और लाया जाएगा

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Monday 18 September 2023 12:48:27 PM

program in kuno national park mp on completion of one year of project cheetah

भोपाल। भारत में प्रोजेक्ट चीता के सफल कार्यांवयन के एक वर्ष होने पर सेसईपुरा वन परिसर कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें उल्लेख किया गयाकि 17 सितंबर 2022 को भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक इतिहास बनाया था, जब धरती पर सबसे तेजी से दौड़ने वाला जानवर विलुप्त होने के लगभग 75 वर्ष केबाद आखिरकार भारत लौट आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल करके भारत में विलुप्त होने के दशकों बाद पहलीबार अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण में आठ अफ्रीकी चीतों को नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित कराया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के बारह चीतों को भी स्थानांतरित कराया गया और उन्हें फरवरी 2023 में कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया। यह प्राकृतिक धरोहरों को बहाल करने में भारत की एक बड़ी उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इस परियोजना को नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और भारत से संबंधित सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, वन्यजीव जीवविज्ञानी और पशु चिकित्सकों की विशेषज्ञ टीम की देखरेख में लागू किया गया था।
भारत में प्रोजेक्ट चीता की अल्पावधि में सफलता का आकलन करने केलिए 6 मानदंडों में से परियोजना पहले ही चार मानदंडों को पूरा कर चुकी है, इसमें चीतों का 50 प्रतिशत अस्तित्व, होम रेंज की स्थापना, कूनो में शावकों का जन्म और परियोजना में स्थानीय समुदायों को सीधे चीता ट्रैकर्स की नियुक्ति के माध्यम से प्रत्यक्ष और कूनो के आसपास के क्षेत्रों में भूमि मूल्य में वृद्धि के माध्यम से राजस्व में अप्रत्यक्ष रूपसे योगदान सम्मिलित है। कार्यक्रम में अंतर-महाद्वीपीय, जंगल से जंगल तथा नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत में चीता स्थानांतरण की बड़ी चुनौती थी, जो अतीत में की गई पारिस्थितिक रूपसे भूल को सुधारने का दुनिया में पहला ऐसा प्रयास है। आमतौर पर अंतरमहाद्वीपीय लंबी दूरी केलिए चीतों के स्थानांतरण में मृत्यु का अंतर्निहित जोखिम होता है, हालांकि नामीबिया से 8 चीतों और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को बिना किसी मृत्यु दर के सफलतापूर्वक कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया था।
अधिकांश चीते भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल अपने को ढाल रहे हैं और सामान्य गुणों को प्रदर्शित कर रहे हैं। इसमें शिकार और इलाके की खोज करना, मारे गए शिकार को तेंदुए और लकड़बग्घे जैसे अन्य मांसाहारियों से बचाना/ पीछा करना, अपना क्षेत्र स्थापित करना, भीतरी झगड़े, मेंटिंग और मनुष्यों केसाथ कोई नकारात्मक संपर्क ना रखना आदि सम्मिलित हैं। भारत में 75 साल बाद एक मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है। एक जीवित शावक अब 6 महीने का है और सामान्य रूपसे बड़ा हो रहा है। अबतक किसी चीता की मौत अवैध शिकार, जाल में फंसने, दुर्घटना, जहर और आपसी संघर्ष जैसे अप्राकृतिक कारणों से नहीं हुई है। यह स्थानीय गांवों से भारी सामुदायिक समर्थन के कारण संभव हुआ है। प्रोजेक्ट चीता ने स्थानीय समुदाय को संगठित किया है और उन्हें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार द्वारा आजीविका के विकल्प प्रदान किए हैं। स्थानीय समुदाय का समर्थन जबरदस्त है। एक दीर्घकालिक परियोजना होने के नाते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, अन्य अफ्रीकी देशों से 12-14 चीतों को अगले 5 वर्ष तक प्रतिवर्ष और उसके बाद आवश्यकता के आधार पर लाया जाएगा।
चीतों केलिए अन्य वैकल्पिक स्थल गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में भी तैयार किए जारहे हैं। गांधी सागर डब्ल्यूएलएस में संगरोध और अनुकूलन बाड़े निर्माणाधीन हैं और वर्ष के अंततक साइट तैयार होने की उम्मीद है। चीता के अगले बैच को साइट के मूल्यांकन केबाद गांधी सागर डब्ल्यूएलएस में लाने की योजना बनाई जाएगी। चीता सेंटर, चीता रिसर्च सेंटर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, चीता मैनेजमेंट ट्रेनिंग सेंटर और चीता सफारी के संरक्षण प्रजनन की योजना बनाई जा रही है। जंगली मूल के, लेकिन कैद में पाले गए दो नामीबियाई मादा चीता में फिरसे जंगली व्यवहार के लक्षण दिखा रहे हैं। कुछ और मूल्यांकन और निगरानी केबाद उन्हें जंगल में छोड़ा जा सकता है। यह एक चुनौतीपूर्ण परियोजना है और शुरुआती संकेत उत्साहजनक हैं। चीतों के पुन: आनेसे देश के सूखे घास के मैदानों के संरक्षण पर आवश्यक ध्यान केंद्रित होगा और स्थानीय समुदायों केलिए रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे।
प्रोजेक्ट चीता की सफलता दुनियाभर में पहलों को पुनर्जीवित करने की संभावनाओं को खोल देगी। यह एक अद्वितीय प्रयास के रूपमें खड़ा है, जो अंतरमहाद्वीपीय प्रयासों के माध्यम से एक विलुप्त हुए प्रजाति को फिरसे प्रस्तुत करने केलिए कुछ परियोजनाओं में से एक है। देश में प्रोजेक्ट चीता के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ एसपी यादव एडीजी (पीटी एंड पीई) और एमएस एनटीसीए ने मेहमानों का स्वागत किया और पिछले एक वर्ष के दौरान प्रोजेक्ट चीता पर एक विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बतायाकि भारत के सफल बाघ संरक्षण केलिए अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को चीता परियोजना में लागू करने केलिए आत्मसात किया गया है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस के सफल कार्यांवयन से चीता परियोजना को होनेवाले लाभों का उल्लेख किया। उन्होंने प्रोजेक्ट चीता के एकवर्ष की सफल उपलब्धि केलिए हितधारकों को बधाई भी दी। इसके बाद चीता परियोजना के सफल कार्यांवयन पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई। सीएसआर पहल केतहत हीरो मोटोकॉर्प्स ने चीता की निगरानी केलिए कूनो में फ्रंटलाइन कर्मचारियों की गतिशीलता बढ़ाने केलिए 50 मोटरबाइक दान की हैं।
कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एनटीसीए और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। प्रदर्शनी और चीता मित्रों केसाथ बातचीत भी हुई। चीता मित्रों को पिछले एक वर्ष के दौरान चीता संरक्षण केलिए जागरुकता अभियानों, सुरक्षा और खुफिया जानकारी जुटाने में उनके सराहनीय प्रयासों केलिए प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया एवं फ्रंटलाइन स्टाफ को सौंपी गई मोटरसाइकिलों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पिछले एक वर्ष के दौरान चीता परियोजना की उपलब्धियों पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। इसके बाद पीसीसीएफ और वन बलों के प्रमुख, अपर मुख्य सचिव (वन) मध्य प्रदेश सरकार ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता और अन्य वन्यजीवों की निगरानी, संघर्ष के प्रबंधन केलिए किए जा रहे प्रयासों, आजीविका के अवसरों और अधिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने केलिए सामुदायिक जुड़ाव के संदर्भ में पिछले एकवर्ष के दौरान चीता परियोजना की उपलब्धियों के बारेमें जानकारी दी। उन्होंने निकट भविष्य में चीतों के अपने क्षेत्रों को स्थापित करने तक परियोजना की विकट चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।
सीपी गोयल डीजीएफ और एसएस एमओईएफसीसी ने संतुलन बहाल करने, जैव विविधता को संरक्षित रखने, इको सिस्टम का पोषण करने और एक स्थायी भविष्य केलिए हमारी प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूपमें प्रोजेक्ट चीता पर जोर दिया। सीपी गोयल ने भारत में चीता परियोजना की सफल उपलब्धि केलिए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के साथ सहयोग की भी सराहना की। सीपी गोयल ने चीता परियोजना के कार्यांवयन पर भी जोर दिया, क्योंकि यह वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों दोनों केलिए लाभदायक रहेगी। चीता परियोजना प्रधानमंत्री के जनभागीदारी के मंत्र को सशक्त करने, मिशन लाइफ के अनुरूप हमारे ग्रह और पृथ्वी का सम्मान करने वाली जीवन शैली को अपनाने और भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत एक पृथ्वी की भावना को आत्मसात करने से जुड़ी है। प्रोजेक्ट चीता ने पहले वर्ष केलिए निर्धारित अधिकांश मानकों और मानदंडों को प्राप्त कर लिया है और यह उचित मार्ग पर है। अबतक सीखे गए अध्ययन परियोजना के सफल कार्यांवयन में सहायता कर रहे हैं। कार्यक्रम में पीसीसीएफ (वन्यजीव) और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू, मध्य प्रदेश ने हितधारकों और प्रतिभागियों केप्रति धन्यवाद व्यक्त किया।

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