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अपनी भाषा में देशज प्रज्ञा बोलती है-प्रो कौल

दिल्ली के हिंदू कालेज में 'वनस्पति को हिंदी में जानो' कार्यक्रम

भारतीय वांग्मय में हुआ है वनस्पतियों का हृदयस्पर्शी वर्णन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 28 September 2023 02:40:22 PM

'know plants in hindi' program at hindu college delhi

नई दिल्ली। अपनी भाषा में अपनी प्रकृति और पर्यावरण को जानना-समझना अधिक आसान है, इसमें हमारे सदियों के लोक संस्कार और देशज प्रज्ञा बोलती है। हिंदू महाविद्यालय में 'वनस्पति को हिंदी में जानो' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये उद्गार वनस्पति विज्ञान के आचार्य प्रोफेसर कुलदीप कुमार कौल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहाकि लगभग पचास एकड़ में फैले हिंदू महाविद्यालय परिसर में वनस्पतियों का भंडार है, यहां लगभग पच्चीस मुख्य वनस्पति प्रजातियों के अनेक किस्म के पेड़ पौधे उपलब्ध हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को भारतभर में आमतौर पर पाए जानेवाले पेड़ों आम, बबूल, नीम, पीपल और वट के बारेमें बताया।
प्रोफेसर कुलदीप कौल ने अनेक अल्प परिचित पेड़-पौधों के वनस्पति वैज्ञानिक नामों और उनकी हिंदी तथा समाज में प्रचलित संज्ञाओं की जानकारी दी। प्रोफेसर कुलदीप कुमार कौल ने कहाकि वनस्पतियों को ठीक से जानना और पहचानना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इनसे कभी हम आपातस्थिति में अपनी प्राण रक्षा भी करते और कर सकते हैं। हिंदी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर विमलेंदु तीर्थंकर ने हिंदी साहित्य में वर्णित फूल देनेवाले पौधों-वृक्षों यथा कचनार, चम्पा, कनेर, हरसिंगार और अमलतास का उल्लेख करते हुए बतायाकि समूचे भारतीय वांग्मय में वनस्पतियों का हृदयस्पर्शी वर्णन है। महाकवि कालिदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि शकुंतला की विदाई पर पशु-पक्षी तो क्या वनस्पतियां भी उदास और ग़मगीन थीं।
प्रोफेसर अंजू श्रीवास्तव ने इससे पहले महाविद्यालय में वनस्पति को हिंदी में जानो कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा करते हुए विद्यार्थियों के दल को रवाना किया, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, राजनीति विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान सहित अन्य विषयों के विद्यार्थी भी शामिल थे। उन्होंने कहाकि अपनी भाषा से अपने संस्कारों को बल मिलता है और हम अपनी संस्कृति को ठीक तरह से जान-समझ पाते हैं। इस अवसर पर हिंदी विभाग के आचार्य डॉ रामेश्वर राय, जसविंदर सिंह, महाविद्यालय के कोषाध्यक्ष वरुणेंद्र रावत, डॉ तालीम अख्तर, डॉ अरविंद कुमार सम्बल और शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ पल्लव ने सभी को आभार व्यक्त किया।

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