स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 2 October 2023 12:08:42 PM
नई दिल्ली। राजस्व आसूचना निदेशालय की टीम ने वन्यजीवों के अवैध व्यापार के खिलाफ कार्रवाई में कई शहरों में ऑपरेशन 'कच्छप' चलाकर छह तस्करों से गंगा के कछुओं के 955 बच्चों को बचाया है। राजस्व आसूचना निदेशालय ने नागपुर, भोपाल और चेन्नई में यह कार्रवाई की, जिसके तहत गंगा में रहने वाले विभिन्न सुंदर और विलक्षण प्रजातियों के कछुओं के 955 जीवित बच्चों केसाथ इन 6 तस्करों को पकड़ा। गंगा में रहे इन कछुओं में कुछ कछुए तो आईयूसीएन की रेड लिस्ट और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम-1972 की अनुसूची I एवं II केतहत संकटग्रस्त प्रजातियों में निर्दिष्ट हैं। राजस्व आसूचना निदेशालय को पता चला थाकि इन कछुओं की गंगा से तस्करी करके उनका अवैध व्यापार हो रहा है। निदेशालय ने इसमें शामिल एक सिंडिकेट के बारेमें पुख्ता खुफिया जानकारी जुटाई और इस सफल कार्रवाई को अंजाम दिया।
दुर्लभतम प्रजातियों के कछुओं के अवैध व्यापार और इनके रहने के घटते प्राकृतिक निवास इन प्रजातियों केलिए बड़ा खतरा बन गए हैं। इन्हें तस्करों से बचाने केलिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। आश्चर्य की बात तो यह हैकि जो लोग समाज के सामने नैतिक जीवन मूल्यों की दुहाईयां देते हैं, उनमें अनेक प्राकृतिक संपदाओं और वन्य जीवन के तस्कर, छिपे हत्यारे और व्यापारी हैं, जिनसे निपटना और उन्हें पहचानना कानून के लिए बड़ा कठिन होता जा रहा है। डीआरआई के अधिकारियों ने देशमें विभिन्न स्थानों पर ऐसे अपराधियों को एक साथ पकड़ने और कछुओं को बचाने केलिए एक जटिल और अखिल भारतीय योजना तैयार की है। अधिकारियों के देशभर में चले सम्मिलित प्रयासों के परिणामस्वरूप 30 सितंबर 2023 को नागपुर, भोपाल और चेन्नई में वन्यजीवों के इन 6 तस्करों, हत्यारों को पकड़कर उनसे कछुओं की विभिन्न प्रजातियों के जीवित बच्चे बरामद किए।
दुर्लभ कछुओं के तस्करों से बचाए गए कछुओं की प्रजातियों में इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन फ्लैपशेल टर्टल, क्राउन रिवर टर्टल, ब्लैक स्पॉटेड/ पॉंड टर्टल और ब्राउन रूफ्ड टर्टल हैं। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम-1972 में प्रारंभिक जब्ती केबाद अपराधियों और गंगा के कछुओं को आगे की जांच केलिए उन्हें वन विभागों को सौंप दिया गया। यह ऑपरेशन कई महीने से जारी था, जोकि ऐसी ही अन्य कार्रवाईयों की शृंखला का हिस्सा है। निदेशालय ने कहा हैकि वह पर्यावरण को संरक्षित रखने और वन्यजीव तस्करी से निपटने के अपने संकल्प को जारी रखे हुए है, क्योंकि इनके अवैध व्यापार, मांस केलिए अत्यधिक शिकार और घटते प्राकृतिक निवास इन प्रजातियों के अस्तित्व केलिए बड़े खतरे हैं।