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Tuesday 7 November 2023 04:59:27 PM
पंतनगर (उत्तराखंड)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के 35वें दीक्षांत समारोह में आज उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को डिग्री एवं मेडल देकर सम्मानित किया और उन्हें एवं उनके परिजनों, प्राध्यापकों को बधाई भी दी। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि मंच पर पदक पानेवाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या अधिक थी, यह ट्रेंड वे अन्य संस्थानों में भी देखती हैं और यह सुखद बदलाव विकासपथ पर बढ़ते हुए भारत का दर्शन है। उन्होंने बेटियों को उनकी उपलब्धि केलिए विशेष बधाई दी। उन्होंने कहाकि दीक्षांत समारोह हर विद्यार्थी केलिए जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, विद्यार्थी, उनके परिजन और प्राध्यापक इस दिन अत्यंत उत्साह और गर्व का अनुभव करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय अपने सशक्त पूर्व छात्र नेटवर्क की वजह से जानेजाते हैं और उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हैकि इस विश्वविद्यालय का भी पूर्व छात्र नेटवर्क सशक्त है और एकदूसरे की मदद केलिए तत्पर रहता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बतायाकि देश में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र के विकास को नई दिशा देने केलिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में वर्ष 1960 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, देश का यह प्रथम कृषि विश्वविद्यालय शुरुआत सेही कृषि शिक्षा अनुसंधान और प्रसार केलिए उत्कृष्टता का केंद्र बन गया था। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि 11000 एकड़ में फैला यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से है, इस बहुविषयक विश्वविद्यालय के परिसर में 8 महाविद्यालय कार्यरत हैं, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय को एक उत्कृष्ट ब्रांड के रूपमें जाना जाता है। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ नार्मन बोरलॉग ने इस विश्वविद्यालय को 'हरित क्रांति के अग्रदूत' का नाम दिया था, उनकी विकसित मैक्सिकन गेहूं की किस्मों का यहां परीक्षण किया गया था। प्रयोगशाला के रूपमें विश्वविद्यालय ने हरित क्रांति की सफलता में प्रभावी भूमिका निभाई है। कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी लोग 'पंतनगर के बीज' के बारेमें जानते हैं, देशभर में किसान और अन्य लोग 'पंतनगर के बीज' पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे, ऐसा विश्वास अर्जित करना किसीभी संस्था के लिए विशेषतम उपलब्धि है। राष्ट्रपति ने कहाकि आजभी इस विश्वविद्यालय में अनुसंधान से विकसित किए गए बीज देशभर के किसान फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने केलिए इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने विश्वास जतायाकि यह विश्वविद्यालय देश के कृषि क्षेत्र के विकास में यूंही अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जीबी पंत विश्वविद्यालय ने कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार के कार्यों में विश्वस्तरीय योगदान दिया है, यह अत्यंत गर्व की बात हैकि विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों, फलों व सब्जियों की कुल 346 उन्नत किस्मों व पशुधन की 2 नस्लों का विकास किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि देश के विभिन्न कृषि संस्थानों ने हालही में रोग प्रतिरोधी दलहनी फसलों की 21 प्रजातियां विकसित की हैं, जिनमें से 7 प्रजातियां पंतनगर विश्वविद्यालय ने विकसित की हैं, ये सातों प्रजातियां दलहन उत्पादन में क्रांति लाएंगी। उन्होंने कहाकि कृषि क्षेत्र में किए जा रहे शोध को किसानों तक पहुंचाना और उससे कृषि उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाना कृषि विकास केलिए जरूरी है। उन्होंने कहाकि विश्वविद्यालय 6 दशक से निरंतर यह कार्य कर रहा है और कृषि विस्तार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान रहा है, विभिन्न जलवायु लचीली प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को सहायता प्रदान कर रहा है, स्थायी कृषि की दिशा में विश्वविद्यालय के ये प्रयास प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहाकि विश्वविद्यालय को 3 बार प्रतिष्ठित पुरस्कार 'सरदार पटेल उत्कृष्ट आईसीएआर संस्थान पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है और यह विश्वविद्यालय भारत के उन श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में है, जिन्होंने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022 में जगह बनाई है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि एक उच्चस्तर के विश्वविद्यालय की पहचान वहां के पढ़ने की संस्कृति और पुस्तकालय से भी होती है, इस विश्वविद्यालय के 5 मंजिला विश्वस्तरीय पुस्तकालय में 4.5 लाख से अधिक किताबें और पठन सामग्री हैं, जो डिजीटल रूपमें भी उपलब्ध है। उन्होंने कहाकि यहां विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की पुस्तकें खरीदनी नहीं पड़ती और वे लाइब्रेरी से ही सेमेस्टर की पुस्तकें जारी कराकर पढ़ सकते हैं, इस बहुअनुशासनिक संस्थान के सभी वर्गों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभता से उपलब्ध करवाने के ऐसे अनुकरणीय प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहाकि आज जलवायु परिवर्तन और मिट्टी की अवनति जैसी समस्याओं से निपटने केलिए दुनिया प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर बढ़ रही है, साथही पर्यावरण-अनुकूल भोजन की आदतों कोभी बढ़ावा दिया जा रहा है, विश्व इस वर्ष को बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूपमें मना रहा है और उत्तराखंड बाजरा के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। राष्ट्रपति ने कहाकि बाजरा को हमारी भोजन की आदतों में प्राथमिकता प्रदान करने में इस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों व संकाय सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
राष्ट्रपति ने कहाकि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने केलिए नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग जरूरी है और सराहनीय हैकि विश्वविद्यालय ने फसल प्रबंधन, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैविक खेती आदि के क्षेत्र में डिजिटल समाधान के माध्यम से नई पहलें की हैं। उन्होंने कहाकि पंतनगर विश्वविद्यालय ने अपना कृषि ड्रोन विकसित किया है, यह कुछही मिनटों में कई हेक्टर भूमि में स्प्रे कर सकता है, इससे किसानों के समय की बहुत बचत होगी। उन्होंने कहाकि वह आशा करती हैंकि ड्रोन तकनीक के लाभ शीघ्र ही किसानों तक पहुंचेंगे। उन्होंने कहाकि शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक विकास केसाथ सामंजस्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि शिक्षण संस्थानों को उद्योग केलिए तैयार स्नातक तैयार करने चाहिएं, जो रोज़गार पैदा कर सकें और प्रौद्योगिकी संचालित दुनिया में प्रतिस्पर्धा कर सकें। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि वे देश-दुनिया में जहांभी रहें, अपने विश्वविद्यालय और इस क्षेत्र को हमेशा याद रखें, अपने क्षेत्र के विकास में भी योगदान अवश्य दें।