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सशक्त महिला समृद्ध राष्ट्र प्रगतिशील सोच-मुर्मु

राष्ट्रपति की छात्रों को नैतिक मूल्यों से समझौता न करने की सलाह

हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की दीक्षांत की थीम सराही

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Thursday 9 November 2023 12:51:28 PM

11th convocation of hemwati nandan bahuguna university

श्रीनगर (गढ़वाल)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि वर्ष 1973 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने समय केसाथ अपने आपको ढाला है और आज जब हम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तब इस दीक्षांत समारोह की विषयवस्तु 'सशक्त महिला समृद्ध राष्ट्र' हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की प्रगतिशील सोच को परिलक्षित करती है। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है, जिन 44 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है, उनमें 30 बेटियां हैं। राष्ट्रपति ने डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले बेटे-बेटियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहाकि देवभूमि उत्तराखंड के शिक्षा केंद्र हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में आकर उन्हें अपार हर्ष है और यह दिलचस्प तथ्य हैकि इसकी स्थापना में जनआंदोलन की प्रमुख भूमिका थी, सत्तर के दशक में शिक्षा केलिए आंदोलन करना, यहां की विकसित जनचेतना का प्रतीक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उत्तराखंड में शिक्षा को जीवन में सदैव महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, यहां के लोगों का शिक्षा से लगाव राज्य की साक्षरता दर में भी परिलक्षित होता है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। उन्होंने उल्लेख कियाकि इस क्षेत्र ने हिंदी साहित्य को कई बड़ी प्रतिभाएं दी हैं, सुमित्रानंदन पंत से मनोहर श्याम जोशी, शिवानी, हिमांशु जोशी तथा मंगलेश डबराल तक एक लंबी प्रेरणादायक परंपरा है। इस क्षेत्र के जनमानस में देशप्रेम की भावना भी कूट-कूटकर भरी हुई है। राष्ट्रपति ने कहाकि उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और बादमें केंद्रीय गृहमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंत इसी क्षेत्र से थे, हेमवती नंदन बहुगुणा, जिनके प्रयासों का प्रतिफल यह विश्वविद्यालय है, अपने समय के एक दिग्गज राजनीतिज्ञ थे, जो केंद्र में मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने बतायाकि भक्त दर्शन जिन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान बदरीनाथ मंदिर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था, एक अच्छे शिक्षाविद थे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी क्षेत्र से हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा में उत्तराखंड का योगदान अतुलनीय है, जीवनदायिनी गंगा और यमुना का उद्गम स्थल यहीं है, बदरीनाथ, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थस्थल हैं, यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कुम्भ का मेला है। इस क्षेत्र की कंदराओं और गुफाओं में भारत भूमि के ऋषि-मुनियों के तप का बल है, यहां के वनों में जीवन का मंत्र है, इस राज्य से अनगिनत जलस्रोत निकलकर मैदानी भागों में वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और मानव को जीवन प्रदान करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि उत्तराखंड पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है, यहां पर मैदानी और तटीय इलाकों की तरह बड़े उद्योग स्थापित करने की अपनी सीमा है। उन्होंने कहाकि सतत विकास और संसाधनों के इष्टतम उपयोग केलिए अनुसंधान और नए नवाचारों की आवश्यकता है, स्थानीय जरूरतों और बाधाओं को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास हासिल करना और रोज़गार के अवसर सृजित करना एक चुनौती और अवसर दोनों है। उन्होंने कहाकि इस राज्य का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी और भी अधिक हो जाती है। उन्होंने इस बातपर बल दियाकि इस विश्वविद्यालय के हितधारकों को ज्ञान का उपयोग लोगों का कल्याण करने के प्रयास में करना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय इस वर्ष 1 दिसंबर को अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर रहा है। उन्होंने कहाकि यह स्वर्णिम यात्रा गर्व करने का अवसर है, लेकिन यह सभी हितधारकों केलिए भविष्य की योजनाएं बनाने और उन्हें सफल बनाने का संकल्प लेने का भी अवसर है। उन्होंने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हुई हैकि विश्वविद्यालय के अंतर्गत हाई एल्टीट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च सेंटर पर्वतीय प्रयोगशाला की उत्तरजीविता, अनुकूलन और उत्पादकता पर शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान कर रहा है, पर्यावरण विज्ञान विभाग उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र के जैव-संसाधनों के संरक्षण पर अनुसंधान कररहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि जिस राज्य में पर्यावरण संरक्षण केलिए चिपको आंदोलन जैसा आंदोलन हुआ हो, उस राज्य के विश्वविद्यालय के ये प्रयास सर्वथा उपयुक्त हैं। राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को अपनी जड़ों को न भूलने की सलाह दी और कहाकि वे सत्य, ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे अपने नैतिक मूल्यों से कभी समझौता न करें और उन लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश करें, जो विकास की इस यात्रा में पीछे रह गए हैं।

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