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Thursday 27 June 2013 11:12:00 AM
नई दिल्ली/ देहरादून। भारतीय वायु सेना के हिंडन एअर बेस से गुरूवार को प्रात: काल सी-130 जे ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के ऊपर उड़ान भरकर मौसम की जानकारी ली। धारसू से एमआई-17 वी 5 ने करीब 17 उड़ानें भरकर हर्सिल और मनेरी से करीब 593 लोगों को दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर धारसू पहुंचाया। इसके बाद मौसम की खराबी ने अभियान में बाधा डाल दी। गोचर से हैलिकॉप्टर अभियान मौसम की खराबी के कारण सुबह 10 बजे तक बाधित रहा। इसके बाद बद्रीनाथ से दोपहर 3 बजे करीब 600 लोगों को निकाला गया और मौसम फिर खराब हो गया। शिमला से चलाये जा रहे हैलिकॉप्टर अभियान सुबह 9 बजे प्रारंभ हुए और कुल 26 उड़ानों के बाद करीब 111 यात्रियों को निकाल लिया गया। इनमें 7 शव भी शामिल हैं। भारतीय वायुसेना ने कुल 1304 लोगों को निकाला है, 84 उड़ानों के साथ करीब 4600 किलोग्राम राहत सामग्री भी गिराई गई। भारतीय वायु सेना ने अब तक कुल 1703 उड़ानों के माध्यम से 14,748 लोगों को निकाला है और कुल 2,52,610 किलोग्राम राहत सामग्री गिराई गई है।
बद्रीनाथ और हर्सिल में फंसे लोगों को निकालने का कार्य आज भी जारी रहा। हर्सिल से आज हवाई माध्यम से 532 लोगों को निकाला गया और अब वहां से सिर्फ 100 से 150 स्थानीय लोगों को निकाला जाना बाकी है। इसके साथ ही हर्सिल से सभी तीर्थयात्रियों को निकाला जा चुका है। बद्रीनाथ से भी 450 लोगों को आज हेलिकॉप्टर के माध्यम से निकाला गया। बहुत से लोगों और शवों को सड़क मार्ग से बद्रीनाथ से जोशीमठ ले जाया गया है। इस दौरान मात्र 12 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद शेष 31 किलोमीटर की यात्रा वाहनों से की जा रही है। करीब 900 लोगों को पैदल यात्रा के बाहर निकाला जा चुका है, जबकि 244 पहले से ही जोशीमठ पहुंच चुके हैं, बाकी लोग मार्ग में हैं और उनके आज रात तक पहुंचने की संभावना है।
उत्तराखंड के कुमांऊ क्षेत्र के पिथौरागढ़ जिले में भी राहत और बचाव अभियान जारी है। आपदा से मुख्य मार्गों से पूरी तरह से कट गये दूर-दराज के क्षेत्रों से करीब 100 लोगों को धारचूला लाकर उन्हें खाना, पानी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गईं। हेमकुंड क्षेत्र से सभी तीर्थयात्रियों को निकाल लिया गया है। गोविंद घाट और घघरिया के बीच फंसे पशुओं और टटुओं को चिकित्सा सहायता देने के बाद सेना के चिकित्सकों का दल आज जोशीमठ लौट आया। पशुओं का चारा और उनकी दवाईयों को गौरीकुंड भेजा जा चुका है, ताकि स्थानीय लोग इनका उपयोग अपने पशुओं के लिए कर सकें। सेना ने स्थानीय लोगों के उपयोग के लिए सोन प्रयाग पर एक अस्थाई पैदल पुल का निर्माण किया है। उत्तराखंड में राहत और बचाव अभियान में अब तक 8,500 से अधिक सैन्यकर्मी और 13 हैलिकॉप्टर कार्य कर रहे हैं।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सड़क नेटवर्क सुधारने के कठिन काम में लगा हुआ है। ताजा आंकड़ों के अनुसार बीआरओ ने 120 एक्स कैवेटर्स तथा बुलडोज़र लगा रखे हैं। नुकसान इतना व्यापक है कि लगभग 30 किलोमीटर की सड़क को फिर से बनाना पड़ेगा। इस कार्य को पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन के 4 हजार कर्मी और श्रर्मिक युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। वर्तमान में मुख्य जोर सभी मुख्य धुरियों को खुला रखना और उन स्थानों को जोड़ना है, जो सड़क मार्ग से अभी भी कटे हुए हैं। पूरे क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण कई स्थानों पर रोड को साफ करने के काम में बाधा आ रही है और भूस्खलन और कटाव से कई सड़कें बाधित हैं, तेजी से इनकी सफाई की जा रही है। बाधाओं के बावजूद बीआरओ ने ऋषिकेश, उत्तरकाशी तथा ऋषिकेश गोविंद घाट धूरी को खोल रखा है।
जोशीमठ बद्रीनाथ धूरी पर गोविंद घाट के निकट अलकनंदा नदी पर पांडुकेशवर में रेडिमेड पैदल पूल शुरू किया गया है, इससे बद्रीनाथ में रूके यात्रियों को तेजी से लाया जा रहा है। टनकपुर-पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटियाबागड़ मार्ग पर बीआरओ ने 30 बुलडोज़र और एक्स कैवेटर्स लगाये हैं। पिथौरागढ़ तक सड़क सभी किस्म के यातायात के लिए है। पिथौरागढ़ से आगे 83 किलोमीटर तक सड़क खराब है, 80 किलोमीटर से आगे तवा घाट तक, लगभग 4 किलोमीटर सड़क 30 से ज्यादा स्थान पर टूटी है, 80 से 96 किलोमीटर तक सड़क को हल्के वाहनों के लिए खोल दिया गया है। धारचूल्हा से सभी तरह के वाहनों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
रोड जोलजीबी-मुंशीयारी लगभग 10 स्थानों पर बड़ी दरारों की वजह से बंद है। साढ़े तीन किलोमीटर से अधिक की सड़कों में दरार आ गई है, 8 बुलडोज़रों और एक्स कैवेटर्स के जरिए सड़क की सफाई के प्रयास किए जा रहे हैं। लगभग 30 किलोमीटर सड़क को साफ कर लिया गया है। रसद पहुंचाने के लिए तथा आम जनता के लिए पैदल संपर्क मार्ग स्थापित कर दिए गये हैं। उत्तराखंड में अन्य सड़कें, मुख्य धुरियों के खुलने के साथ अन्य अस्थाई सड़क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सड़कों पर भी सफाई का काम शुरू हो गया है, लेकिन मुख्य धूरियों के खुलने के बाद ही इस पर मुख्य रूप से जोर दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में वांगथू-पूह तथा पूह-कोरी सड़क को काफी नुकसान पहुंचा है। पांगी तथा रिकांगपियो जिला मुख्यालय सड़क को संपर्क लायक बना देने से स्थानीय लोगों को काफी मदद मिली है। प्रयास किए जा रहे हैं कि सड़क पूरी तरह से साफ हो जाये। सड़क सफाई का काम तेजी पर है। लगभग 80 स्थानों पर 4 किलोमीटर की सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। लगभग 30 बुलडोजर और एक्सक्वेअर लगाये गये हैं। समुदो-काजा-ग्रामपू सड़क धूरी को खोल दिया गया है।
उत्तराखंड में राहत के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तीन जन स्वास्थ्य टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों ने 23.6.2013 को प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को रिपोर्ट किया। आठ अतिरिक्त टीमें तैयार रखी गई हैं, जो अल्प सूचना पर तैनात की जा सकती हैं। सभी प्रभावित जिलों में एनआरएचएम की समन्वित रोग निगरानी कार्यक्रम से जुड़ी जिला इकाइयां स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था चला रही हैं। डायरिया के शुरूआती लक्ष्ण मिलने पर हरिद्वार (अलवलपुर), उत्तरकाशी (उड़वी) तथा रूद्रप्रयाग (चंद्रपुरी) में रोग पर प्रारंभिक अवस्था में ही काबू पा लिया गया। प्रभावित जिलों से जल जनित, खाना, हवा तथा प्रत्यक्ष रूप से होने बाली बीमारियों की सूचना नहीं है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तीन उच्च स्तरीय समितियां देहरादून में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य की स्थिति की समीक्षा करेंगी। मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय मच्छर जनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के एक विशेषज्ञ को राज्य सरकार को दिया गया है। राज्य सरकार ने 60 दवाओं और गैर औषधि सामग्रियों की सप्लाई करने का अनुरोध किया है। तीन ट्रक मेडिकल सप्लाई की जा चुकी है। राज्य के अनुरोध पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 10,00,000 क्लोरिन की गोलियां मंगा रहा है। इंडियन रेड क्रास सोसायटी ने राष्ट्रीय मुख्यालय से दो सदस्यों की टीम 19 जून से उत्तरकाशी में तैनात की है और एक अन्य टीम पिथौरागढ़ में तैनात है। मुख्यालय से एक उच्चस्तरीय टीम रेड क्रास की राज्य शाखा के साथ राहत कार्य का जायजा और तालमेल के लिए तैनात की गई है। इंडियन रेड क्रास सोसायटी ने 7 ट्रक सामग्री भेजी है। इसमें टेंट, फैमिली पैक, किचेन सेट, कंबल तथा लालटेन आदि हैं। इंडियन रेड क्रास सोसायटी के जरिए शवों को लाने के लिए 1100 बैग का प्रबंध भी किया गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 500 अतिरिक्त बैग का प्रबंध किया गया है।